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UP: रामपुर में दो दिग्गज परिवार आमने-सामने, पिता कांग्रेस तो बेटा बीजेपी गठबंधन से मैदान में

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UP Election: उत्तर प्रदेश में तमाम पार्टियां चुनावी जंग में उतरी हुई हैं. लेकिन रामपुर जिले में सियासत की सबसे बड़ी लड़ाई लड़ी जा रही है. इसमें एक तरफ है आज़म खान का परिवार तो दूसरी तरफ़ है रामपुर के नवाब ख़ानदान.

यूपी के रामपुर में नवाब परिवार और आजम खान के परिवार में बेहद फिल्मी अंदाज में सियासी जंग शुरू हो चुकी है. रामपुर की स्वार सीट से आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आज़म मैदान में हैं और उनके खिलाफ अपना दल से उम्मीदवार हैं नवाबों की रियासत के चिराग हैदर अली खान. 2014 के बाद यह पहली बार है, जब बीजेपी गठबंधन ने किसी मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट दिया है.

इस बार यहां चुनाव में दिलचस्प बात यह है कि बेटा बीजेपी गठबंधन से चुनाव लड़ रहा है तो पिता कांग्रेस से. हैदर अली खान उर्फ हमजा मियां कांग्रेस नेता नवाब काजिम अली खान उर्फ नावेद मियां के बेटे हैं. नावेद मियां 2017 में स्वार सीट से बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें अब्दुल्ला आजम से 65 हजार वोट से हार का सामना करना पड़ा था.

पिछले चुनाव में हैदर अली के पिता नावेद मियां की अब्दुल्ला आज़म के हाथों हुई हार का बदला क्या वो ले पाएंगे? इस सवाल के जवाब में हैदर अली खान का कहना था, ‘पिछले चुनाव में अब्दुल्ला की जीत केवल इसलिए हुई क्योंकि उस वक्त प्रशासन उनके साथ था, उन पर दवाब था. हम विकास की राजनीति करते हैं जबकि आज़म खान ने केवल दंगे करवाए.’

उन्होंने कहा, ‘अपनी विधानसभा सीट जीतने को लेकर आश्वस्त हूं. वे लोगों को कहते हैं लेकिन पहले अपने ऊपर मुकदमों को तो देख लें. अब्दुल्ला और आजम खान लोगों के सामने रोना-धोना और बेचारा बनते हैं. हैदर ने कहा, जब इनकी सरकार थी तब इन्होंने लोगों को बेघर किया. कब्रिस्तान की मिट्ठी उठवाई. कब्जे किए. इनके आंसू आंसू हैं, पब्लिक के आंसू कुछ नहीं. अपने करीबियों को गलत तरीके से ठेके दिए.’

हैदर ने आगे कहा, ‘अब्दुल्ला में घमंड है. वो लोगों से हाथ मिलाते वक्त केवल दो उंगलियां दिखाता है. मैंने विकास को चुना इसलिए अपना दल से चुनाव लड़ रहा हूं. सीएम योगी के कार्यकाल में विकास हुआ है.’ इस दौरान उन्होंने 80 और 20 का मतलब भी बताया. अपना दल प्रत्याशी ने कहा, ’80 में वो हैं जो विकास चाहते हैं और 20 में वो जो दंगे कराते हैं जैसे आज़म खान.’

स्वार विधानसभा सीट की बात करें तो यहां की लड़ाई इसलिए और भी दिलचस्प हो गई है क्योंकि अब्दुल्ला आजम के लिए ये साख की लड़ाई है. साल 2017 विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद अब्दुल्ला आजम की विधायकी रद्द कर दी गई थी. अब्दुल्ला को कम उम्र में चुनाव लड़ने और फर्जी कागजात लगाने के चलते विधायकी रद्द कर जेल भेज दिया गया था. करीब 23 महीने बाद अब्दुल्ला आजम 15 जनवरी को जेल से बाहर आए हैं. अब्दुल्ला आज़म चुनाव की तैयारियों में जी जान से जुटे ज़रूर हैं लेकिन वो बिना नाम लिए रामपुर के पूर्व डीएम पर भेदभाव का आरोप लगा रहे हैं.

अब्दुल्ला ने कहा, ‘मेरा मुकाबला सरकार से है. वो अधिकारी जो पहले रामपुर में थे अब मुरादाबाद में हैं ( आंजनेय कुमार सिंह) उनके खिलाफ लड़ाई है. अगर मैं किसी के मरे पर मिलने जाता हूं तो पुलिस की एक गाड़ी आगे चलती है, एक पीछे चलती है और घोषणा करती है कि मुझसे कोई न मिले, नहीं तो मुकदमा कर दिया जाएगा. लाठियों से मारा जाएगा. दूसरी पार्टी के कैंडिडेट भीड़ लेकर घूम रहे हैं. रामपुर के लोगों में वोट न देने को लेकर दहशत फैलाई जा रही है. कितने सारे लोगों पर गुंडा एक्ट लगा दिया गया है. जब तक कुछ अधिकारी ऐसे रहेंगे तब तक यहां निष्पक्ष चुनाव नहीं हो सकता.’

अब्दुल्ला आजम ने आगे कहा, ‘रामपुर में चुनाव उम्मीदवार नहीं लड़ते. जनता लड़ती है. मैं आरोप लगाने वालों को नहीं जानता लेकिन जो जज़्बात मेरे हैं उनको समझने के लिए एक औलाद होना जरूरी है. जो जज्बात मेरे हैं, वही यहां की जनता के भी हैं.’

पाकिस्तान और जिन्ना के सवाल पर अब्दुल्ला ने कहा, ‘चुनाव में जनता बीजेपी से ये जानना चाहती है कि किसानों की आय दोगुनी करने का जो वादा किया था उसका क्या हुआ. किसानों की शहादत का इंसाफ़ कौन देगा? लखीमपुर में किसानों को कुचल कर मारने में इंसाफ़ कब मिलेगा? बेरोज़गारी पर क्या किया? महंगाई कब कम होगी? ऑक्सीजन की कमी पर हुई मौत और गंगा में तैरती लाशों को लेकर क्या जवाब है.’ अब्दुल्ला ने कहा, ‘मैं नहीं जानता मेरे खिलाफ कौन चुनाव लड़ रहा है. 80-20 नहीं पूरे 100 फ़ीसदी लोग (ऊपर पूछे) इन सवालों के जवाब चाहते हैं.’

अब्दुल्ला आज़म जिस स्वार सीट से दूसरी बार ताल ठोक रहे हैं वो स्वार सीट कभी बीजेपी का गढ़ मानी जाती थी. यहां 1989 से बीजेपी के शिवबहादुर सक्सेना 2002 तक चार बार विधायक रहे. लेकिन बाद में ये पार्टी रामपुर के नवाबी खानदान का गढ़ बन गई. इस सीट से नवाब कासिम अली 2002 से 2017 तक लगातार तीन बार विधायक रहे. लेकिन 2017 में उन्हें अब्दुल्ला आजम के सामने हार का सामना करना पड़ा.

वहीं हैदर अली के पिता, काजिम अली इस बार रामपुर में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. सपा से यहां क़द्दावर नेता आजम खान मैदान में हैं. फिलहाल वो सीतापुर जेल में बंद हैं और उनके लिए जनता से वोट उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म ही मांग रहे हैं. नवाब काजिम अली खान ने कहा कि आज़म खान ने केवल जुल्म किए. दहशत फैलाई. वो तो यहां के हैं भी नहीं, वो बाहरी हैं.

रामपुर सीट मुस्लिम बहुल है. लेकिन यहां पर बीजेपी ने मुक़ाबले को दिलचस्प बनाने की कोशिश की है. सूबे की सियासत में मुस्लिम राजनीति का बड़ा चेहरा माने जाने वाले सपा नेता मोहम्मद आजम खान सीतापुर की जेल में कैद हैं. उन्हें सलाखों के पीछे भिजवाने में भाजपा युवा नेता आकाश सक्सेना का बड़ा हाथ रहा है. दो पैन कार्ड, दो पासपोर्ट, दो जन्म प्रमाण पत्र समेत कई मामलों में आकाश सक्सेना सीधे-सीधे मुकदमे में वादी हैं तो कई में कोर्ट में आजम और उनके परिवार पर चार्जफ्रेम कराने में मजबूत गवाही दे चुके हैं.

प्रचार में निकले आकाश सक्सेना योगी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए वोट मांग रहे हैं. दिलचस्प है कि उनकी सभाओं में आने वालों से जब पूछा कि रामपुर में कौन जीतेगा तो लोगों का कहना था मोदी और योगी के भरोसे नैय्या पार कराने की जुगत में लगे हैं आकाश सक़्सेना.

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