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बीजेपी नेता नरेश अग्रवाल बोले- अखिलेश लड़ रहे बच्चों की लड़ाई, शिवपाल के विरोधी है SP अध्यक्ष

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UP Elections: उत्तर प्रदेश में चुनावी माहौल पूरे शबाब पर है. 20 फरवरी को यूपी के 16 जिलों की 59 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. वहीं चुनावों में बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच करारी टक्कर बनी हुई है. बीजेपी नेता नरेश अग्रवाल से एबीपी न्यूज ने खास बातचीत की जिसमें उनसे हिजाब मुद्दे से लेकर हिंदू-मुस्लिम, परिवारवाद समेत कई मामलों पर सवाल किए. आइये जानते हैं क्या कुछ कहना है नरेश अग्रवाल का…

हरदोई की राजनीती में फिलहाल आज की तारीख में 8 की 8 विधानसभा सीटें और दो लोकसभा सीट बीजेपी के पास हैं लेकिन क्या सोच रहे हैं बीजेपी के नेता नरेश अग्रवाल?

नेता से पूछा गया कि, गड़ित के आधार में हरदोई में क्या स्थति होगी?

नरेश अग्रवाल ने सवाल का जवाब देते हुए कहा कि, पिछली बार भी यहां 7 सीटे भारतीय जनता पार्टी ने जीती थीं. उस समय एक लहर थी मोदी जी की या तूफान कह लीजिए. मेरे आने के बाद समाजवादी पार्टी को वो टीम जो बीजेपी का विरोध करती थी वो पूरी मेरे साथ चली आयी. हम डबल इंजन हो गए हैं अब यहां पर. हरदोई में यह ठीक है कि सरकार से कुछ चीजों पर लोग नाराज़ हैं लेकिन उसका असर नहीं पड़ेगा. हरदोई में जीत हमारी होगी.

सवाल- समाजवादी में भी आप रहे क्या गलतियां कर रहे हैं अखिलेश यादव इस वक्त?

नरेश अग्रवाल ने कहा, अखिलेश तो बच्चों जैसी लड़ाई लड़ रहे हैं. वो बच्चा जिन्हें खुद अपने बारे में नहीं मालूम है. जो बच्चे उनके सरकार में लूट मचाये हुए थे जिन्होंने सिर्फ पैसे को प्राथमिकता दी, राजनीति को प्राथमिकता दी वो लूटेरे जिसके सलाहकार हो जाएंगे उसका क्या भविष्य होगा वो तो आप खुद ही जानते हैं और जनता भी जानती है.

सवाल- अखिलेश यादव ने यह भी फैसला लिया है कि वो करहल से चुनाव लड़ेंगे- कैसे देखते हैं इस फैसले को?

नरेश अग्रवाल ने कहा, जब नतीजा आएगा तब अखिलेश जी को अपनी गलती का एहसास हो जाएगा. जिस तरह से वे शिवपाल जी का विरोध कर रहे हैं उनके परिवार में अगर कोई पोलिटिकल लड़ने वाला व्यक्ति था तो वो शिवपाल हैं. जो एक यादव में गुण होने चाहिए वो सारे गुण शिवपाल में हैं. आज भी शिवपाल के पास करहल में जितनी पकड़ है वो कही न कही करहल में और किसी के पास नहीं है. मैनपुरी, इटावा, करहल यह सब शिवपाल का गढ़ है. मुलाम सिंह का गढ़ है यह अखिलेश का गढ़ नहीं है. रामगोपाल जी का गढ़ नहीं है. अब उनके गढ़ में आप शिवपाल को मात देंगे तो मात अपने आप की है.

सवाल- समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है मैनपुरी, इटावा, इन सारे इलाके को? तो फिर यह कैसे दो बातें?

नरेश अग्रवाल ने कहा, समाजवादी का नहीं वो मुलाम सिंह जी का गढ़ था. मुलायम सिंह की असली राजनीतिक विरासत तो शिवपाल में थी. पता नहीं किस बात पर शिवपाल और अखिलेश जी में मतभेद हो गया. जहां तक मुझे मालूम है जब पिछली सरकार बनी थी 2012 में उस समय 4-5 लोग बैठे थे कि मुख्यमंत्री कौन बने? शिवपाल की इतनी गलती हो गई कि उसने कह दिया कि नेताजी आप मुख्यमंत्री बनिए और अखिलेश जी को उप मुख्यमंत्री बना दीजिए. दो साल तक काम करेंगे फिर उसके बाद दे दीजिएगा. वो बात अखिलेश जी को बहुत बुरी लगी. हम सब अखिलेश जी के पक्ष में थे हमने भी कहा कि नेताजी अखिलेश जी को बनाइये. अखिलेश जी बने लेकिन वो मतभेद नहीं दूर हो पाया जिसका नतीजा समाजवादी पार्टी ख़त्म हो गई. 

सवाल- ऐसा क्यों कहा जाता है कि अल्पसंख्यक का वोट- मुसलमानों का वोट समाजवादी पार्टी के समर्थन में उतर रहा है या फिर यह सारी बातें कि 80:20 यह सारी शब्दावली का प्रयोग कैसा व्याख्या है?

नरेश अग्रवाल ने कहा, यह तो उधर से ही शुरू किया गया. मुसलमानवाद तो समाजवादी ने शुरू किया है. आज जिस तरह मुस्लिम सपा के साथ हुआ है उसी तरह हिन्दू मोदी जी के साथ एक हुआ है. हिन्दू अब बहुत होशियार हो गया है.

सवाल- आप हिन्दू-मुस्लिम करें तो ठीक है, समाजवादी पार्टी करे तो फिर गलत हो जाता है?

नरेश अग्रवाल ने जवाब देते हुए कहा कि, जब वो करते हैं तब हम करते हैं. हम तो हिन्दू-मुस्लिम प्रकृति के नहीं हैं. मोदी जी की ऐसी कौन सी योजना थी जिसमें मुसलमान को लाभ नहीं मिला? हमने देखा है कि हर योजना में 30% लाभ मुसलमान को मिला है. हमने हिन्दू-मुस्लिम का भेद नहीं किया लकिन सपा करती है. 

सवाल- लाल टोपी पर सवाल उठता है, समाजवाद, सामंतवाद, आतंकवाद, यहां तक कि अब परिवारवाद भी कह दिया. परिवारवाद यादव परिवार में है? जब आपके बेटे को टिकट मिले तो परिवारवाद नहीं है बीजेपी में?

नरेश अग्रवाल ने कहा, खाली बेटे तक सिमित होता तो हम समझ लेते. मुलायम सिंह के भाई, बहु, जीजा, बहन, नाती, पोता, करीब पचास आदमी अखिलेश की पार्टी में सिर्फ उनके घर के हैं. एमएलए, एमपी, जिला प्रदेश अध्यक्ष, एमएलसी सब घर के हैं तब परिवारवाद की बात आयी. हमारा बेटा ही नहीं, कौशल ककिशोर जी का भी बीटा है. हमने बेटे को परिवारवाद बनाया लेकिन सारे परिवार को आप भर लेंगे तो परिवारवाद है ही. 

सवाल- नेता दर्द बोल रहा है या सांसद, या पिता का?

नरेश अग्रवाल ने कहा कि, यह दर्द का सवाल नहीं है. अगर हमारा बेटा इस लायक नहीं होता तो मैं कभी नहीं बोलता की तुम राजनीती में आओ. मेरा बेटा तो लंदन में रहने की बात कर रहा था लेकिन मैंने कहा कि चौथी पीढ़ी कौन संभालेगा? हमारे बाबा, पिता, फिर हम, अब हमारा बेटा है.

सवाल- कॉलेज में कैसे हिजाब को बंधक बना लिया गया?

नरेश अग्रवाल ने कहा, यह बड़ा दुर्भाग्य दृश्य था. बच्चो में हिन्दू-मुसलमान का होना दुखद है. आज छात्रों को इस चकर में डाल दिया गया ठीक वैसे ही जैसे ममता ने बंगाल को पाकिस्तान बना दिया है. पूरा पूर्वी बंगाल में बांग्लादेश ही एक तरह से बस्ता जा रह है. बंगाल, बिहार, असम की सीमा बांग्लादेश से लगी हुई है मैं जाती समीकरण का बात करूं जहां 80 हिन्दू था वहां 80 मुस्लिम हो गया है. अब उन बाहरी लोगों को हम नागरिकता देते चले जा रहे हैं यह क्या देश के लिए उचित है? बहुत से मुसलमान नेता की सोच है कि हिंदुस्तान को हम 20 साल में मुस्लिम इस्लामिक देश बना लेंगे. बहुत से लोग कहते हैं आप मंदिर बना रहे हैं 20 साल बाद हम उसी मंदिर को तोड़ेंगे. अगर यह भावना उनके अंदर है तो यह हम पूरी नहीं होने देंगे हम भी एक हिन्दू के बेटे हैं.

सवाल- जब बीजेपी ने इतना विकास का काम किया है तो हर बार हिन्दू-मुस्लिम, कब्रिस्तान-मंदिर के सवाल क्यों उठते हैं?

नरेश अग्रवाल ने कहा, यह तो विपक्ष उठाने का प्रयास करता है. अगर वो बताएंगे कि हमने कब कब्रिस्तान की बॉउंड्री बनवाई तो हम कहेंगे कि शमशान की बॉउंड्री क्यों नहीं बनवाई? जब वो कहेंगे तो जवाब तो हमे देना होगा. हमें दुख इस बात का है कि इतना बड़ा उत्तर प्रदेश जहां से राजनीति शुरू होती है वहां चुनाव मुद्दों का नहीं हो रहा है जातिवाद का चुनाव हो रहा है. समाजवादी पार्टी मुद्दों पर आये हम मुद्दों पर बात करने को तैयार हैं.

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