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लॉकडाउन पैनिक की वजह से आजकल कई लोग घर बैठे ही तनाव और निराशा का शिकार हो रहे हैं. ऐसे में प्रकृति के करीब रहना न केवल आपके मन को मजबूती देगा बल्कि आपको तनाव के अलावा कई अन्य बीमारियों से भी बचाएगा. गार्डनिंग का शौक आपको तनाव से निकालने में काफी हद तक कारगर हो सकता है. हिंदुस्तान ई पेपर ने विशषज्ञों का हवाला देते हुए लिखा है कि गार्डनिंग का शौक आपके मन और शरीर दोनों के लिए फायदेमंद है. ऐसे में जब भी मन बोझिल महसूस करे अपने गार्डन में जाकर थोड़ी गार्डनिंग शुरू कर सकते हैं.
सिटी यूनिवर्सिटी लंदन, फूड पॉलिसी सेंटर में प्रोफेसर टिम लैंग का कहना है किगार्डनिंग गुस्से पर काबू पाने में मददगार है. यदि आपको किसी बात पर बहुत गुस्सा आ रहा है तो फावड़ा उठाएं और मिट्टी खोदना शुरू करें, बीज बोएं. पेड़ों की अतिरिक्त शाखाओं या झाडिय़ों को काट सकते हैं. किसी और पर बरसने की बजाय, अंदर के गुबार को इस तरह से बाहर निकालना बेहतर है.
गर्भावस्था में वरदान डॉ. विशाल मकवाना कहते हैं कि गार्डनिंग गर्भावस्था के दौरान भी बहुत फायदेमंद है. इस दौरान रचनात्मक होने से दिमाग सक्रिय हो जाता है और बच्चा यह रचनात्मकता मां से हासिल करता है. मिट्टी में पाए जाने वाले बैक्टीरिया मस्तिष्क कोशिकाओं को न्यूरोट्रांसमीटर सेरोटोनिन का उत्पादन करने के लिए सक्रिय कर सकते हैं. यह डर भगाने में मददगार है.
गार्डनिंग के दौरान पेड़-पौधे रोपने, उनकी कटाई-छंटाई, खरपतवार खींचने और पानी देने जैसे कामों में शरीर को मेहनत करनी पड़ती है. इससे हाथों, पेट, पीठ और पैरों की हड्डियां व मांसपेशियां मजबूत होती हैं. कैलोरी बर्न करने का काम भी आसानी से हो जाता है. साथ ही इसे नियमित तौर पर करने से रक्त संचार में भी सुधार होता है.
गार्डनिंग में समय बिताने वाले लोग, यह सीख लेते हैं कि किसी चीज़ के लिए जल्दबाजी करना ठीक नहीं. हड़बड़ाहट और बेचैनी की एक बड़ी वजह यही है कि हम चीज़ों या स्थितियों को उसके प्राकृतिक रूप में स्वीकार नहीं कर पाते. बागवानी से बेचैनी से राहत मिलती है.