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कानपुर। बर्रा निवासी लैब टैक्नीशियन के अपहरण मामले में पुलिस के हाथ अभी तक खाली है। पुलिस कोई सुराग नहीं लगा सकी है। अपहरण मामले में कथित तौर पर पुलिस टीम के सामने से अपहरणकर्ता 30 लाख रुपये की फिरौती की रकम लेकर उड़ गए। इसके बावजूद अभी तक अपहरण करने वाले 29 वर्षीय युवक को छोड़ा नहीं गया।जिसके चलते पुलिस सवालों के घेरे में आ गई हैं। इस मामले में एसएसपी ने थाना प्रभारी व टीम में शामिल अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्रारंभिक जांच के आदेश दिए हैैं।
एसएसपी ने परिवार को भरोसा दिलाया है कि उनका बेटा जल्द खोज लिया जाएगा। फिरौती की जो भी रकम गई है, उसे भी बरामद कर लिया जाएगा। इसके लिए अलग से क्राइम ब्रांच को भी लगाया गया है। जांच में जो भी पुलिसकर्मी दोषी पाया जाएगा,उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
बर्रा 5 निवासी चमन सिंह का बेटा संजीत बीते 22 जून से लापता है। पीड़ित परिवार ने बर्रा थाने में घटना की जानकारी दी, लेकिन पुलिस उसे नहीं तलाश पाई। तीन दिन बाद संजीत के पिता के मोबाइल पर बदमाशों ने फोन करके उसे छोड़ने के लिए 30 लाख की फिरौती मांगी, जिसके बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की।
अपहर्ताओं को पकड़ने में पुलिस का सर्विलांस सेल हुआ फेल
अपहर्ताओं को पकड़ने में पुलिस का सर्विलांस सेल हुआ फेल
अपहरण के इस मामले में एसपी साउथ अपर्णा गुप्ता और थानेदार रणजीत राय की लापरवाही पीडि़तों को भारी पड़ी। सवाल यह है कि जब इतने दिनों से अपहरणकर्ता लगातार पीडि़त परिवार से बात कर रहे थे तो पुलिस कैसे उन तक नहीं पहुंच पाई। पुलिस का सर्विलांस सेल क्या कर रहा था। सवाल यह भी है कि आखिर पुलिस ने फिरौती की रकम का इंतजाम करने को क्यों कहा? और जरूरी था तो ऐसी व्यवस्था क्यों नहीं की,जिससे अपहर्ताओं को पकड़ा जा सके। पीड़ित परिवार के अनुरोध के बावजूद जीपीएस डिवाइस लगाने की सलाह क्यों नहीं मानी गई?
पीडि़त परिवार के प्रति पुलिस का व्यवहार बेहद आपत्तिजनक
पीडि़त परिवार के प्रति पुलिस अधिकारियों का व्यवहार बेहद आपत्तिजनक रहा। पीडि़त परिवार लगातार आरोप लगा रहा है कि उनके साथ एसपी साउथ अपर्णा गुप्ता और थाना प्रभारी रणजीत राय ने अच्छा व्यवहार नहीं किया। सांत्वना देने के स्थान पर उन्हें डराया धमकाया गया और मुंह बंद रखने की चेतावनी दी गई। जब बेटा और पैसा दोनों चले गए,तब उन्होंने विरोध का रास्ता अख्तियार किया। विशेषकर एसपी साउथ का रवैया बेहद खराब रहा। मामला सार्वजनिक होने के बाद जब मीडिया ने इस संबंध में उनसे बात की तो उन्होंने पीडि़त परिवार के दावे को पूरी तरह से नकार दिया। वह बोली कि बैग में कुछ भी नहीं था, जबकि परिवार चीख-चीखकर आरोप लगा रहा है कि एसपी साउथ और थानेदार के कहने से ही उन्होंने घर जेवर बेचकर तीस लाख रुपये का इंतजाम किया था।
पीडि़त परिवार के प्रति पुलिस का व्यवहार बेहद आपत्तिजनक
पीडि़त परिवार के प्रति पुलिस अधिकारियों का व्यवहार बेहद आपत्तिजनक रहा। पीडि़त परिवार लगातार आरोप लगा रहा है कि उनके साथ एसपी साउथ अपर्णा गुप्ता और थाना प्रभारी रणजीत राय ने अच्छा व्यवहार नहीं किया। सांत्वना देने के स्थान पर उन्हें डराया धमकाया गया और मुंह बंद रखने की चेतावनी दी गई। जब बेटा और पैसा दोनों चले गए,तब उन्होंने विरोध का रास्ता अख्तियार किया। विशेषकर एसपी साउथ का रवैया बेहद खराब रहा। मामला सार्वजनिक होने के बाद जब मीडिया ने इस संबंध में उनसे बात की तो उन्होंने पीडि़त परिवार के दावे को पूरी तरह से नकार दिया। वह बोली कि बैग में कुछ भी नहीं था, जबकि परिवार चीख-चीखकर आरोप लगा रहा है कि एसपी साउथ और थानेदार के कहने से ही उन्होंने घर जेवर बेचकर तीस लाख रुपये का इंतजाम किया था।