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34 साल बाद शिक्षा प्रणाली में बदलाव : स्कूली शिक्षा में लागू होगा 5+3+3+4 फॉर्मूला

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लखनऊ., केंद्र सरकार ने करीब 34 साल बाद शिक्षा नीति में बड़ा परिवर्तन करते हुए नई शिक्षा नीति की गाइडलाइन को जारी कर दिया है। इसके तहत अब 10 + 2 के स्‍थान पर स्कूली शिक्षा को 5+3+3+4 फॉर्मूले पर संचालित किया जाएगा। इस बारे में हमने राजधानी के शिक्षाविदों से बात की तो सबने सकारात्‍मक प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ऐसी ही किसी शिक्षा नीति की देश को आवश्‍यकता थी। केंद्र सरकार ने जो बदलावा किया है वह नए भारत के निर्माण में मील का पत्‍थर साबित होगा।
इसे एक सकारात्‍मक संकेत बताते हुए डॉ एपीजे अब्‍दुल कलाम तकनीकी विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने बताया कि नई शिक्षा नीति 2020 में स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा में किये गये बदलाव सधे हुए और सकारात्मक परिवर्तन के संकेत हैं| इसके लागू होने के साथ ही विद्यार्थियों पर दबाव कम होगा| पढ़ाई का नया तरीका स्टूडेंट्स को प्रेरित करेगा| प्रैक्टिकल पर जोर दिया जाना महत्वपूर्ण फैसलों में से एक है| स्कूल से निकलते हुए जब हमारे विद्यार्थी कॉलेज पहुंचेंगे तो उनके सोचने-समझने के स्तर में गुणात्मक सुधार आ चुका होगा| इसका लाभ शोध और नवाचारों में भी मिलेगा| देश में शिक्षा से जुड़े संस्थान आपसे प्रतिस्पर्धा में जुटेंगे| क्योंकि इस नीति के तहत केंद्र सरकार ने अपने बेहतरीन संस्थानों के दरवाजे पूरी दुनिया के लिए और दुनिया के बेहतरीन संस्थानों के दरवाजे भारत के लिए खोलने की प्रतिबद्धता जता दी है| नई नीति के मुताबिक 2040 तक, सभी उच्च शिक्षा संस्थान का उद्देश्य बहु-विषयक संस्थान बनना होगा, जिनमें से प्रत्येक का लक्ष्य तीन हजार या उससे अधिक छात्र होंगे। 2030 तक, हर जिले में या उसके आसपास कम से कम एक बड़ी बहु-विषयक शैक्षिक संस्था होगी। इसका उद्देश्य उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात को बढ़ाना होगा, जिसमें 2035 तक व्यावसायिक शिक्षा को 26.3% से बढ़ाकर 50% किया जाना भी शामिल है| एकल-स्ट्रीम उच्च शिक्षा संस्थानों को बहु-विषयक बनना होगा| उच्च शिक्षा में 2035 तक सकल नामांकन दर 50 फीसदी पहुंचाए जाने का फैसला आगे चलकर मील का पत्थर साबित होने वाला है| उच्च शिक्षा में मल्टीपल इंट्री और एग्जिट का विकल्प स्टूडेंट्स को राहत देगा| कॉलेजों के एक्रेडिटेशन के आधार पर ऑटोनॉमी मेंटरिंग के लिए राष्ट्रीय मिशन की बात भी की गयी है, जो बहुत महत्वपूर्ण है| डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय ने इस दिशा में जरूरी कदम उठा लिए हैं| हम अपने सम्बद्ध संस्थानों को ऑटोनोमी यानी स्वायत्ता देने के प्रबल पक्षधर हैं| इस दिशा में हमने नियम कानून में जरूरी मंजूरी ले ली है| जल्दी ही इसके परिणाम देखने को मिलने लगेंगे|

वहीं वरदान इंटरनेशनल एकेडमी की प्रिंसपल ऋचा खन्‍ना ने बताया कि नई शिक्षा नीति में तकनीकी को बढ़ावा देने का निर्णय स्‍वागत योग्‍य है। शुरूआत से ही बच्‍चों में नवाचार के प्रति जिज्ञासा का संचार करने वाली नीति है। इसकी सबसे अच्‍छी बात ये है कि अब हिन्दी और अंग्रेजी भाषाओं के अलावा आठ क्षेत्रीय भाषाओं में भी ई-कोर्स उपलब्‍ध होगा | वर्चुअल लैब कार्यक्रम को आगे बढाए जाने का फैसला भी सराहनीय है। नेशनल एजुकेशन टेक्नॉलोजी फोरम और नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना से अनुसंधान एवं नवाचार पर फोकस बढ़ेगा| सबसे अच्‍छी बात ये है कि अब स्‍कूली शिक्षा के लिए एक नियामक संस्था बनेगी जो सारी कार्यप्रणाली को सरल कर देगी। अब साइंस और आर्ट्स का जो भेद है, वो खत्‍म होगा और ह्यूमैनटी को भी बढ़ावा मिलेगा। वहीं आर्ट्स स्‍टूडेंट्स को साइंस की बारीकियां सीखने का मौका मिलेगा।

केंद्रीय कैबिनेट द्वारा स्‍वीकृत नई शिक्षा नीति 2020 का सिटी मांटेसरी स्‍कूल के संस्थापक, डॉ  जगदीश गांधी  ने स्वागत करते हुए कहा कि ज्ञान के इस युग में जहां शिक्षा, शोध और नवाचार महत्वपूर्ण हैं, ये नयी शिक्षा नीति भारत को शिक्षा के जीवंत केंद्र के रूप में परिवर्तित करेगी। देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि इतने बडे़ स्तर पर सबकी राय ली गई है। उन्हें पूरी उम्मीद है कि शिक्षा देश को उज्जवल भविष्य देगी और इसी के चलते देश समृद्धि की ओर जाएगा। नई शिक्षा नीति में स्कूल शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किए गए हैं। इसमें लॉ और मेडिकल शिक्षा को छोड़कर उच्च शिक्षा के लिए सिंगल रेगुलेटर रहेगा। नए सुधारों में टेक्नॉलॉजी और ऑनलाइन एजुकेशन पर जोर दिया गया है। अभी तक भारत में डीम्ड यूनविर्सिटी, सेंट्रल यूनिवर्सिटीज और स्टैंडअलोन इंस्टिट्यूशंस के लिए अलग-अलग नियम हैं। परंतु नई एजुकेशन पॉलिसी के तहत सभी के लिए नियम समान होंगे।

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