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मिस्र के 4,500 साल पुराने मकबरे से खुलेंगे राज : कैसे होगा दुनिया का खात्मा

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कायरो, मिस्र में पिछले दिनों 2500 साल पुराने ताबूत खोले गए तो एक बार फिर इतिहास में दफन राज, रहस्य और कहानियों की चर्चा चल निकली है। यही नहीं, कायरो के दक्षिणपूर्व में अबूसीर नेक्रोपोलीस (कब्रिस्तान) में वह चेंबर मिला जहां रॉयल लीडर खेंटकॉस 3 को दफनाया गया था।

खेंटकॉस के मकबरे से रिसर्चर्स को उस वक्त के खतरों के बारे में पता चला है और उनका दावा है कि इतिहास खुद को दोहरा सकता है। उनका कहना है कि दुनिया के अंत को स्वीकार कर उसे बचाने की कोशिश की जा सकती है।

खेंटकॉस से 650 फीट दूर ही उनके पति फिरौन नेफेरफ्रे दफन थे। प्रॉजेक्ट लीडर प्रफेसर मीरोस्लाव बार्ता जिसे ओल्ड किंगडम का काला धब्बा बताते हैं, नई खोज से उसके बारे में और जानकारी जुटाने में मदद मिलेगी। चेक इंस्टिट्यूट ऑफ इजिप्टॉलजी की टीम का मानना है कि यहां मिले शिलालेखों से उस वक्त के बारे में और पता लगाया जा सकेगा।

इंसानों के अवशेषों और शिलालेखों के अलावा पुरातत्वविदों को यहां पॉटरी, लकड़ी का काम, तांबा और जानवरों की हड्डियां मिली हैं। इनसे पता चला है कि खेंटकॉस कैसा जीवन जीती थी और भविष्य को लेकर उसके डर के बारे में भी पता चला है। प्रफेसर बार्ट का कहना है कि यह वह समय था जब ओल्ड किंगडम के सामने कई चुनौतियां थीं। लोकतंत्र बढ़ रहा था, परिवारवाद का असर दिख रहा था, इंट्रेस्ट ग्रुप और क्लाइमेट चेंज ने न सिर्फ ओल्ड-किंगडम का अंत किया बल्कि उस वक्त के मिडिल ईस्ट और पश्चिमी यूरोप का भी।

पानी की कमी की वजह से फसल अच्छी नहीं होती थी और लोग टैक्स नहीं जमा कर पाते थे। टैक्स न मिलने के कारण राज्य का विकास नहीं हो पा रहा था। न ही राज्य की विचारधारा और एकता को कायम रखा जा सका। प्रफेसर बार्ट का कहना है कि मौजूदा जलवायु परिवर्तन में इतिहास दोहराते देखा जा सकता है। उनका कहना है कि इतिहास को स्टडी करके वर्तमान के बारे में सीख ली जा सकती है।

उनका कहना है कि अभी यह जानने में कुछ साल लगेंगे कि इस खोज का मिस्र के लिए क्या मतलब है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि खेंटकॉस के मकबरे से सीख ली जाए और इतिहास में आई प्रलय को इस बार रोका जा सके। उन्होंने कहा कि अगर हम यह स्वीकार कर लें कि अंत होगा ही, तो हम सभ्यता को दोबारा खड़ा करने की कोशिश कर सकते हैं।

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