ताइपे, दक्षिण चीन सागर में चीनी ड्रैगन के नापाक मंसूबों को नाकाम करने के लिए ताइवान की वायुसेना ने जंग की तैयारी तेज कर दी है।
ताइवान की एयरफोर्स ने सोमवार को अपना वार्षिक हवाई युद्धाभ्यास शुरू कर दिया। इस दौरान ताइवान के एयर डिफेंस सिस्टम को किसी भी हमले से निपटने के लिए परखा गया। ताइवान की वायुसेना ने कहा कि 35 एमएम की तोपों ने दुश्मन के लड़ाकू विमानों को आकाश में बर्बाद करने के लिए जमकर गोले दागे। चीन से लगातार हो रहे हवाई अतिक्रमण के बीच ताइवान की वायुसेना ने कहा कि वह अपने एयरस्पेस की रक्षा करने के लिए तैयार है।
ताइवान की वायुसेना ने बताया कि हवाई अभ्यास के दौरान शूटिंग प्रतियोगिता आयोजित की गई। तोपखाना यूनिट ने रात को भी जोरदार तरीके से गोले दागकर अपनी क्षमता से दुनिया को रू-ब-रू कराया। इस दौरान ताइवान के रेडार सिस्टम ने पूरे आकाश पर कड़ी निगरानी रखी। वायुसेना ने कहा कि इस दौरान जवानों ने अपनी क्षमता का जोरदार प्रदर्शन किया। उधर, ताइवान की वायुसेना के फाइटर जेट ने हुआलिएन स्थित चिया शान एयरबेस पर ड्रिल किया। ताइवान की एयरफोर्स ने बताया कि इस अभ्यास में एफ-16, स्वदेशी रक्षा विमान, मिराज-2000 और पी-3सी विमान हिस्सा ले रहे हैं।
उधर, चीन की सेना दक्षिण चीन सागर में एक बार फिर से ताइवान पर बड़े हमले की तैयारी में जुटी हुई है। इस बीच ताइवान से लगती सीमा पर चीन ने डीएफ-17 हाइपरसोनिक मिसाइल को तैनात किया है। चीन ने इस इलाके में तेजी से अपने सैनिकों की तादात को भी काफी बढ़ाया है। चीन ने ताइवान से लगी सीमा पर रूस से खरीदी गई एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम को भी तैनात किया है। इसका शक्तिशाली रडार 600 किलोमीटर दूर से ही ताइवानी सेना के मिसाइलों, ड्रोन और लड़ाकू विमानों का पता लगा सकता है।
एस-400 का रडार सिस्टम बहुत परिष्कृत है और पूरे ताइवान को कवर करने में सक्षम है। इसमें लगी मिसाइलें ताइवान के किसी भी लड़ाकू विमान को मार गिराने में सक्षम हैं।
यह हाइपरसोनिक मिसाइल लंबी दूरी तक सटीक निशाना लगाने में माहिर है। ऐसे में अगर चीन हमला करता है तो ताइवान को अपनी सुरक्षा के लिए तगड़े इंतजाम करने पड़ेंगे। चीन की डीएफ-17 मिसाइल 2500 किलोमीटर दूर तक हाइपरसोनिक स्पीड से अपने लक्ष्य को भेद सकती है। इस मिसाइल को पहली बार पिछले साल चीन की स्थापना के 70वें वर्षगांठ के अवसर पर प्रदर्शित किया गया था। यह मिसाइल 15000 किलोग्राम वजनी और 11 मीटर लंबी है, जो पारंपरिक विस्फोटकों के अलावा न्यूक्लियर वॉरहेड को भी लेकर जा सकती है। सरल भाषा में कहें तो यह मिसाइल परमाणु हमला करने में भी सक्षम है।
कांवा डिफेंस रिव्यू के एडिटर-इन-चीफ आंद्रेई चांग के मुताबिक, सैटेलाइट इमेज से पता चला है कि हाल के वर्षों में फ़ुजिय़ान और गुआंगडोंग प्रांतों में चीन ने मरीन कॉर्प्स और रॉकेट फोर्स के कई नए ठिकाने बनाएं हैं। ये दोनों राज्य ताइवान के नजदीक स्थित हैं। पूर्वी और दक्षिणी थिएटर कमांड में कुछ मिसाइल अड्डों का आकार भी हाल के वर्षों में दोगुना हो गया है। ऐसे में अंदेशा जताया जा रहा है कि किसी भी पल चीन ताइवान पर हमला कर सकता है। कई सैन्य पर्यवेक्षकों ने चिंता जताई है कि इस क्षेत्र में अपने ताकतवर हथियारों की तैनाती कर चीन सीधे तौर पर ताइवान को धमकी दे रहा है।
चीन ने पहले से ही इस क्षेत्र में डीएफ-11 और डीएफ-15 मिसाइलों को तैनात किया हुआ है। माना जा रहा है कि अब इन पुरानी पड़ चुकी मिसाइलों की जगह अपने हाइपरसोनिक मिसाइल डीएफ-17 को तैनात करेगा।
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