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पीएम रानिल विक्रमसिंघे बर्खास्त, महिंदा राजपक्षे नए पीएम : श्री लंका में बड़ा राजनीतिक बवाल

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कोलंबो , पड़ोसी देश श्री लंका में शुक्रवार को प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को पद से हटाए जाने के बाद बड़ा राजनीतिक बवाल शुरू हो चुका है। राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई। दूसरी तरफ, विक्रमसिंघे ने खुद को हटाए जाने को गैरकानूनी बताया है और कहा है कि वह इस फैसले को कोर्ट में चुनौती देंगे। यह घटनाक्रम तब सामने आया है जब सिरिसेना की पार्टी ने शुक्रवार को रानिल विक्रमसिंघे के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लिया। सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री के हवाले से मीडिया ने यह जानकारी दी।
वहीं, राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि सिरिसेना का फैसला संवैधानिक संकट पैदा कर सकता है क्योंकि संविधान के 19वें संशोधन के मुताबिक, बहुमत मिले बिना वह विक्रमसिंघे को पद से नहीं हटा सकते। राजपक्षे और सिरिसेना की पार्टी को मिलाकर 95 सीट है जो बहुमत से दूर है। विक्रमसिंघे की यूएनपी के पास 106 सीट है जो बहुमत से महज 7 सीट दूर है। हालाकि, अभी विक्रमसिंघे और उनकी पार्टी यूनाइटेड नैशनल पार्टी ( यूएनपी) की तरफ से कोई बयान नहीं आया है।
गठबंधन सरकार से खींचा हाथ 
श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) और यूएनपी की गठबंधन सरकार उस समय संकट में आ गई थी जब पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे की नई पार्टी ने फरवरी में स्थानीय चुनावों में जबरदस्त जीत हासिल की थी जिसे सत्तारूढ़ गठबंधन के लिए जनमत संग्रह माना गया। डेली मिरर की खबर में यूनाइटेड पीपुल्स फ्रीडम अलायंस (यूपीएफए) के महासचिव महिंदा अमरवीरा के हवाले से बताया गया कि उनकी पार्टी ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। उन्होंने कहा, यूपीएफए गठबंधन सरकार से अलग हो गई है। पिछले सप्ताह खबर आई थी कि सिरिसेना ने अपने वरिष्ठ गठबंधन साझेदार यूएनपी पर उनकी और रक्षा मंत्रालय के पूर्व शीर्ष अधिकारी गोताभया राजपक्षे की हत्या की कथित साजिश को गंभीरता से नहीं लेने का आरोप लगाया। गोताभया राजपक्षे पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के भाई हैं।

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