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इतिहास में पहली बार सेक्शन 7 का होगा इस्तेमाल : आरबीआई बनाम मोदी सरकार

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नई दिल्ली , भारत के केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ  इंडिया और केंद्र की वर्तमान मोदी सरकार के बीच की तकरार अब खुलकर सामने आ रही है। जहां वित्त मंत्री अरुण जेटली ने देश में बैंक एनपीए का ठीकरा आरबीआई से सिर फोड़ा है तां वहीं खबर है कि सरकार ने आरबीआई एक्ट के सेक्शन 7 को लागू कर दिया है।
सूत्रों के मुताबिक सरकार ने हाल के हफ्तों में रिजर्व बैंक को पत्र भेजे हैं। ये पत्र सेक्शन 7 के अधिकार के तहत भेजे गए हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के 83 साल के इतिहास में कभी, किसी सरकार ने इसका इस्तेमाल नहीं किया। अगर मोदी सरकार ने किया तो ऐसा करने वाली वो पहली सरकार होगी। वहीं सेक्शन 7 के इस्तेमाल के बाद केंद्रीय बैंक के पास अपनी मर्जी से फैसले करने की गुंजाइश बहुत कम रह जाएगी।
क्या है सेक्शन 7 
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ऐक्ट-1934 की धारा 7 के तहत सरकार के पास एक खास पावर होती है। सरकार के पास यह अधिकार होता है कि वो जनता के हित को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय बैंक को दिशानिर्देश जारी कर सकती है। हालांकि जनता के हित को ध्यान में रखने हुए इसमें बैंक के गर्वनर का परामर्श जरूरी होता है। इस सेक्शन के लागू होने के बाद सरकार लगभग हर मुद्दे पर सरकार रिजर्व बैंक को निर्देश दे सकती है और आरबीआई वो मानने के लिए मजबूर होगा। इस तरह का आदेश बैंक के सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टोरेट को अधिक शक्तिशाली बना देगा और बैंकिंग से जुड़े सभी कामकाजों पर इसी का नियंत्रण होगा। इससे आदेश से पहले बोर्ड ऑफ डायरेक्टोरेट से अधिक अधिकार गवर्नर के पास माने जाते थे।

क्या है मामला
मीडिया रिपोर्टों की मानें तो सरकार और आरबीआई के बीच खींचतान पिछले वित्तीय वर्ष के आरम्भ यानि मार्च-अप्रैल 2017 से ही चल रही है। पहली तकरार ब्याज दरों को लेकर ही हुई और उसके बाद जब इस साल जब नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के भाग जाने की खबर सामने आई तो सरकार ने ठीकरा आरबीआई के सिर फोड़ा और उसके सख्त एनपीए नियमों और निगरानी तंत्र पर सवाल उठा दिये। सरकार चाहती है कि आरबीआई कुछ बैंकों को कर्ज देने के मामले में उदारता दिखाए। आरबीआई के पास भुगतान सिस्टम के मामले में जो नियामक तंत्र है उसे सरकार शायद वापस लेना चाहती है।
गवर्नर उर्जित पटेल दे सकते हैं इस्तीफा
केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के बीच चल रहे तनाव के कारण आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल इस्तीफा दे सकते हैं। खबरों के मुताबिक अगर सरकार रिजर्व बैंक का सेक्शन 7 लागू कर चुकी इसलिए उर्जित पटेल इस्तीफा दे सकते हैं। सेक्शन 7 के तहत सरकार को यह अधिकार है कि वो आरबीआई के गवर्नर को गंभीर और जनता के हित के मुद्दों पर काम करने के लिए निर्देश दे सकती है। यह सेक्शन स्वतंत्रता के बाद अब तक उपयोग नहीं किया गया है। कहा जा रहा है कि वर्तमान हालात का असर उर्जित पटेल के भविष्य पर भी पड़ सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसाीर अगले साल सितंबर में उर्जित पटेल के 3 साल का कार्यकाल पूरा हो रहा है। पटेल के सेवा विस्तार की बात तो दूर की है उनके बाकी के कार्यकाल पर भी सवाल उठ रहे हैं।

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