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राजधानी की आबो हवा ठीक करने के लिए कराई जाएगी आर्टिफिशियल बारिश : पॉल्यूशन से जंग

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नई दिल्ली , दिल्ली की जहरीली हवा को साफ-सुथरा बनाने के लिए कृत्रिम बारिश कराई जा सकती है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) और इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) के एयरक्राफ्ट की मदद से सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) और आईआईटी कानपुर के रिसर्चर्स क्लाउड सीडिंग की योजना बना रहे हैं। कृत्रिम बारिश से दिल्ली की एयर च्ॉलिटी में सुधार हो सकता है। इसके लिए क्लाउड सीडिंग की कोशिशें जल्द शुरू होंगी। माना जा रहा है कि 10 नवंबर के बाद इस पर काम शुरू हो सकता है।
पलूशन से लडऩे के लिए पहली बार होगा प्रयोग
ऐसा पहली बार है, जब देश में किसी शहर के प्रदूषण को कम करने के लिए कृत्रिम बारिश का सहारा लिया जा रहा है। सीपीसीबी के मेंबर सेक्रटरी प्रशांत गार्गवा ने कहा, ‘एयर पलूशन कम करने का एक रास्ता कृत्रिम बारिश है। हम आईएमडी और आईआईटी कानपुर के साथ मिलकर इस विकल्प पर काम कर रहे हैं।
10 नवंबर के बाद कराई जा सकती है नकली बारिश
इस मामले में आईआईटी कानपुर के प्रफेसर सच्चिदानंद त्रिपाठी ने कहा, ‘हम अपनी तरफ से आर्टिफिशल रेन कराने के लिए तैयार हैं। हम इसके लिए सही परिस्थिति का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि मौसम विभाग कृत्रिम बारिश के लिए मौसम के हालात पर नजर रखे हुए हैं। त्रिपाठी ने बताया कि 10 नवंबर तक का मौसम इसके लिए ठीक नहीं है।
सर्दियों में मुश्किल होती है कृत्रिम बारिश 
पलूशन कम करने के लिए दिल्ली में कितनी बार कृत्रिम बारिश कराई जाएगी? आईआईटी के प्रफेसर ने बताया कि यह पहली कोशिश के नतीजों और आने वाले दिनों में पलूशन के लेवल से तय होगा। वैसे कराना आसान नहीं है। त्रिपाठी ने कहा, ‘मॉनसून से पहले और मॉनसून के दौरान बादलों से कृत्रिम बारिश कराना आसान होता है, लेकिन सर्दियों के मौसम में इसमें मुश्किल आती है। उसकी वजह यह है कि इस वक्त बादलों में मॉइश्चर कम होता है इस प्रॉजेक्ट को सीपीसीबी ने मंजूरी दी है और इसके लिए फंड केंद्र सरकार देगी। आईआईटी कानपुर कृत्रिम बारिश के लिए सॉल्ट मिक्स की सप्लाई करेगा और इसरो एयरक्राफ्ट और क्रू देगा।
चीन कई बरसों से करवा रहा है कृत्रिम बारिश
चीन कई वर्षों से कृत्रिम बारिश करा रहा है। अमेरिका, इजरायल, साउथ अफ्रीका और जर्मनी भी सफलतापूर्वक इस तकनीक का इस्तेमाल कर चुके हैं। भारत में आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में भीषण सूखा पडऩे पर इसका इस्तेमाल किया गया है। दिल्ली की एयर च्ॉलिटी पिछले कुछ समय से खराब से बहुत खराब के बीच रही है। आने वाले दिनों में भी इसके खराब रहने की आशंका है।

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