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नई दिल्ली , उच्चतम न्यायालय ने राफेल विमान सौदा मामले की अदालत की निगरानी में विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराये जाने संबंधी विभिन्न याचिकाओं पर बुधवार को फैसला सुरक्षित रख लिया। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने विभिन्न पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा।
इससे पहले न्यायालय ने स्पष्ट किया कि लड़ाकू विमान की कीमतों के बारे में अदालत में बहस का तब तक सवाल नहीं उठता जब तक इस बात का निर्णय न हो जाये कि कीमत की जानकारी सार्वजनिक की जा सकती है या नहीं। न्यायालय ने साथ ही, इस मामले में सुनवाई को आगे बढ़ाते हुए भारतीय वायुसेना के एक शीर्ष अधिकारी को आज ही तलब किया। खंडपीठ में पेशे से वकील मनोहर लाल शर्मा, विनीत ढांडा और प्रशांत भूषण, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी एवं यशवंत सिन्हा सहित विभिन्न याचिकाकर्ताओं की याचिकाओं पर संयुक्त सुनवाई हुई। पहले शर्मा औरढांडा ने जिरह की, उसके बाद प्रशांत भूषण ने खुद अपनी ओर से तथा शौरी एवं सिन्हा की ओर से अपनी दलीलें पेश की। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अदालत में राफेल की कीमत में बारे में बहस का तब तक कोई सवाल नहीं उठता, जब तक यह निर्णय नहीं हो जाता कि कीमतों के बारे में जानकारी सार्वजनिक की जानी है या नहीं। न्यायालय ने भोजनावकाश से पहले केंद्र की ओर से पेश एटर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से पूछा कि क्या अदालत में भारतीय वायु सेना का कोई अधिकारी मौजूद है, क्योंकि वह उस अधिकारी से कुछ जानकारी लेना चाहता है। न्यायालय ने वायु सेना के किसी अधिकारी को अदालत कक्ष में पेश करने का निर्देश दिया। भोजनावकाश के बाद जैसे ही सुनवाई शुरू हुई, एयर वाइस मार्शल टी चलपती अदालत कक्ष में न्यायालय के सवालों के जवाब देने के लिए मौजूद थे। उनके साथ वायुसेना के कुछ अन्य अधिकारी भी मौजूद थे। खंडपीठ ने वायुसेना अधिकारी से कई महत्वपूर्ण सवाल किये, जिनमें वायुसेना के लिए समय-समय पर हुई खरीद और उसकी प्रक्रिया आदि से जुड़े प्रश्न शामिल थे। अधिकतर याचिकाकर्ताओं ने राफेल सौदे की जांच अदालत की निगरानी में एसआईटी से कराने की मांग की है।
33 साल से नहीं मिला कोई लड़ाकू विमान: वायु सेना
उच्चतम न्यायालय ने भारतीय वायु सेना के लिये फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदे जाने के मामले की न्यायालय की निगरानी में जांच के लिये दायर याचिकाओं पर सुनवाई खत्म हो गई है। करीब चार घंटे तक चली बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है। बता दें कि भोजनावकाश के बाद फिर से सुनवाई शुरू हुई थी। जिसके बाद एयर वाइस मार्शल चलपति ने कोर्ट पहुंचकर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के सवालों का जवाब दिया। वहीं एयर फोर्स ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि 1985 के बाद से हमें कोई नया विमान नहीं मिला है।
राफेल में सुनवाई की खास बातें
-सरकार ने कहा कि राफेल 60 किलोमीटर की दूरी से सटीक मार करने में सक्षम है
-सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि फ्रांस सरकार की ओर से हमारे पास लेटर ऑफ कंफर्ट है, सार्वभौम गारंटी नहीं है
-एयरफोर्स के अधिकारी ने कहा, हमें पांचवीं पीढ़ी के एयरक्राफ्ट चाहिए।
-लंचब्रेक के बाद शुरू हुई कार्यवाही, एयरफोर्स के अधिकारी ने सु्प्रीम कोर्ट को बताया, 1985 में मिराज के बाद से वायु सेना ने कोई एयरक्राफ्ट बेड़े में नहीं जोड़ा गया।
-राफेल मामले पर लंच ब्रेक के बाद दो बजे फिर से सुनवाई शुरू होगी।
-सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि यह मामला एक्सपर्ट का है कोर्ट को इसे डील नहीं करना चाहिए
-सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि कीमत का खुलासा करने से दुश्मन को विमान की खासियत पता लग सकती है, इसलिए कीमत का खुलासा नहीं किया गया।
-कोर्ट ने कहा कि वायुसेना का अधिकारी कोर्ट में होना चाहिए और हम उनकी रिक्वायरमेंट के बारे में विचार कर रहे हैं। रक्षा सचिव मौजूद होने पर कोर्ट ने कहा कि हमें मंत्रालय का अधिकारी नहीं चाहिए, अधिकारी को बुलाया गया है।
-शौरी ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि हमें इस मामले में विमानों कि कीमत से आगे जाना चाहिए क्योंकि यह देश की सुरक्षा के साथ समझौता है क्योंकि एयरक्राफ्ट की संख्या घटा दी गई है।
-अरुण शौरी ने सु्प्रीम कोर्ट में कहा कि पूर्व रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर को राफेल डील के बारे में पता नहीं था। उन्होंने कहा था कि यह पीएम मोदी का फैसला है मैं इसका समर्थन करता हूं, किसी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया
-राफेल मामले पर सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश ने वकील भूषण से कहा रू हम आपको पूरी सुनवाई का मौका दे रहे हैं। इसका सावधानीपूर्वक इस्तेमाल कीजिये, केवल जरूरी चीजें ही कहिए ।
– भूषण के बाद अब अरुण शौरी सुप्रीम कोर्ट में रखी दलील, कहा-डसॉल्ट कम्पनी आर्थिक रूप से कमजोर है
-भूषण ने कहा कि रिलायंस को भारत सरकार के इशारे पर अफ़सेट पार्टनर चुना गया, ये बात फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति हॉलैंड ने भी कहा है
-भूषण ने कहा कि प्राइस के खुलासे पर गोपनीयता से समझौता नहीं होता, सरकार ये प्राइस दो बार संसद में बता चुकी है
-प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार ने ऑफसेट प्रावधान को 5 अगस्त 2015 को बदल दिया और डसॉल्ट को अफसेट पार्टनर चुनने का अधिकार दे दिया और बाद में यह कहने लगी कि हमें नहीं पता कि ऑफसेट पार्टनर कैसे चयनित हुआ, पुराने प्रावधान में यह पार्टनर सरकार की मर्जी से चुना जाता था।
-प्रशांत भूषण ने कहा कि कानून मंत्रालय ने सप्लाई की गारंटी न होने पर आपत्ति की थी। सरकार ने टेंडर निकालने के बजाय अंतर सरकार अग्रीमेंट क्यों किया।
-याचिकाकर्ता आप नेता संजय सिंह के वकील ने कहा, सरकार ने पुरानी डील रद्द क्यों की
-पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण शौरी की तरफ से कोर्ट में पेश हुए प्रशांत भूषण ने कहा, राफेल डील के फाइनल होने के सात दिन बाद अंबानी को ऑफसेट पार्टनर के रूप में ले लिया गया और हाल को बाहर कर मेक इन इंडिया को धता बता दी गई, ये किस आधार पर किया गया।
-याचिकाकर्ता शर्मा ने कहा कि अटॉनी जनरल को उनकी याचिका का पूरा जवाब देना चाहिए जबकि उन्होंने पूरे दस्तावेज मुहैया नहीं कराए हैं
-याचिकाकर्ता एमएल शर्मा ने कहा, मुझे दिए गए दस्तावेज के मुताबिक मई 2015 में बातचीत शुरू हुई थी, जबकि पीएम ने अप्रैल में घोषित कर दिया था कि सौदा हो गया है।
-याचिकाकर्ताओं एमएल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि सरकार ने फ्रांस से 36 विमानों की खरीद में श्सीरियस फ्रॉडश् किया है।
-इस मामले में आप नेता संजय सिंह की तरफ से पेश हुए वकील ने कोर्ट को कहा कि 36 राफेल विमान सौदे की कीमत दो बार सामने आई जबकि सरकार ने दलील दी है कि कीमत को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है।
पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त..
इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में सरकार के राफेल मामले से जुड़े हलफनामे को लेकर मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और दावा किया कि मोदी ने वायुसेना से पूछे बिना कॉन्ट्रैक्ट बदलने की बात स्वीकार कर ली है। गांधी ने ट्वीट कर कहा कि उच्चतम न्यायालय में मोदी जी ने मानी अपनी चोरी। हलफनामे में माना कि उन्होंने बिना वायुसेना से पूछे कॉन्ट्रैक्ट बदला और 30,000 करोड़ रुपया अंबानी की जेब में डाला। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त…।