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बागपत इन दिनों बजरंगबली वीर हनुमान की जाति और पहचान बताने को लेकर राजनेताओं में होड़ सी लगी हुई है। अब इस कतार में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंद कुमार साय के बाद अब केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह भी शामिल हो गए हैं। बागपत से भाजपा सांसद सत्यपाल सिंह ने हनुमान की पहचान को लेकर नई बात कही है।
उन्होंने कहा कि भगवान राम और हनुमान जी के युग में, यहां कोई जाति व्यवस्था नहीं थी। कोई दलित, वंचित और शोषित नहीं था। वाल्मीकि रामायण और रामचरित मानस का हवाला देते हुए उन्होंने अपने कथन की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि उस समय केवल आर्य थे और हनुमान जी उस आर्य जाति के महापुरुष थे।
ज्ञात हो कि नंद कुमार साय ने कहा था, आदिवासियों में हनुमान गोत्र होता है। ठीक उसी तरह रीछ और गिद्दा गोत्र भी होता है। यहां तक कि आदिवासी तिग्गा गोत्र भी लिखते हैं। टिग्गा का मतलब होता है वानर या बंदर। यहां कई आदिवासी समुदाय हैं जिनके अलग-अलग गोत्र होते हैं। जब भगवान राम लंका पर हमला करने गए थे तब उनकी वानरों के सेना में दो वानर गरुण और रीछ भी थे। इनमें हनुमान भी शामिल थे। इसलिए वह दलित नहीं थे।
योगी आदित्यनाथ ने क्या कहा था?
वहीं, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अलवर के मालाखेड़ा में कहा था, बजरंग बली ऐसे लोकदेवता हैं जो स्वयं वनवासी हैं, गिरवासी हैं दलित हैं वंचित हैं। इससे नाराज ब्राह्मण समाज ने नोटिस में कहा है कि हनुमान भगवान हैं। उन्हें वंचित और लोकदेवता बताना न केवल उनका बल्कि लाखों हनुमान भक्तों का अपमान है।