[responsivevoice_button voice="Hindi Female"]
बुलंदशहर। उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिला में गौकशी के शक में हुई हिंसा में इंस्पेक्टर सुबोध सिंह राठौर समेत दो लोगों की हत्या के मामले में पुलिस ने अब तक चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसके अलावा चार से पांच लोगों को हिरासत में लिया गया है। इस पूरे प्रकरण में दो नाबालिगों के नाम एफआईआर में दर्ज किये गए हैं। 11 और 12 साल के इन नाबालिगों के पिता परेशान हैं। पीड़ितों का कहना है कि हिंसा के मुख्य आरोपी योगेश राज ने पुलिस को झूठे नाम बताये इसके आधार पर पुलिस ने एफआईआर में नाम शामिल किये। जब पुलिस बच्चों को पूछताछ के लिए थाने ले गई तो पूरा परेशान है। पीड़ितों का कहना है कि पुलिस ने बच्चों को घंटों थाने में बैठाये रखा। आरोप है कि योगेश राज ने जानबूझ कर माहौल बिगाड़ने के लिए झूठे नाम दिए। पीड़ितों का कहना है कि गौकशी को लेकर दर्ज़ की गई FIR में कुल 7 लोगों के नाम हैं। इनमें दो नाम उनके नाबालिग बच्चों के हैं।
जिन दो नाबालिग बच्चों का नाम एफआईआर में लिखा गया है, उनकी उम्र 11-12 साल बताई जा रही है। इनमें से एक के पिता से बात की गई। उन्होंने कहा कि दोनों छोटे बच्चे हैं, वे गोकशी कैसे कर सकते हैं। जिस दिन यह घटना हुई, उस दिन दोनों बच्चे बुलंदशहर में थे। मंगलवार को पुलिस ने बच्चों को घंटों थाने में बैठाए रखा। जानबूझ कर माहौल खराब करने के लिए बच्चों को नाम डाला गया है। कुछ लोग जानबूझकर इलाके का माहौल खराब कर रहे हैं। जो गोकशी के लिए सात लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर लिखी गई है सभी नयाबांस गांव के हैं? ये बात तो साफ हो गई कि सात में से दो नाबालिग बच्चे हैं तो बाकि पांच नाम कौन हैं?
पता चला कि शराफत (जिनका नाम एफआईआर में है) पिछले 10 साल से गांव में रहते ही नहीं। वह फरीदाबाद में रहते हैं और कई सालों से गांव भी नहीं आए। बाकी तीन नाम सुदैफ, इलियास और परवेज इस गांव के हैं ही नहीं। न तो इनका यहां घर और न ही जमीन। गांव वालों ने इनका नाम पहले नहीं सुना। आखिरी नाम बचा सर्फुद्दीन का वह पुलिस थाने गए हैं वो गांव के ही हैं। एक बात साफ हो गई है कि सात नाम में से छह नाम बोगस हैं। सवाल यहां यह उठता है कि क्या योगेश राज ने जानबूझकर इनका नाम एफआईआर में डलवाया था?
पूरी घटना में 27 लोग नामजद- एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर)
गौरतलब है कि एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) आनंद कुमार ने मीडिया से बातचीत में मंगलवार को कहा था कि अब स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में और शांतिपूर्ण बनी हुई है। घटना में अभी तक किसी संगठन का नाम सामने नहीं आया है। इलाके में बड़ी संख्या में पीएसी व आरएएफ तैनात की गई है। एडीजी ने हिंसा का शिकार हुए इंस्पेक्टर सुबोध सिंह को शहीद बताते हुए कहा, ‘वह हमारे पुलिस परिवार के सदस्य थे। हम उनके परिवार की हरसंभव मदद करेंगे।’ अभी तक इस मामले में 7 लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है। इनमें से चार लोगों- चमन, रामबल, आशीष चौहान और सतीश की गिरफ्तारी हुई है।
मुख्य आरोपियों की सरगर्मी से तलाश कर रही पुलिस
एडीजी ने बताया कि एसआईटी घटनास्थल पर पहुंच गई है और अपना काम कर रही है। ये खुफिया एजेंसी की असफलता है या किसी और की, जांच रिपोर्ट आने पर ही पता चलेगा। उन्होंने बताया कि मुख्य आरोपी योगेश राज की तलाश सरगर्मी से जारी है। मारे गए युवक सुमित का पोस्टमार्टम हो चुका है। उसके शरीर में गोली पाई गई। उन्होंने स्वीकार किया कि हिंसा के दौरान पुलिस ने हवाई फायरिंग की थी। बुलंदशहर में हिंसा के दौरान स्याना इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या के मामले में स्याना कोतवाली में उपनिरीक्षक सुभाष सिंह ने रिपोर्ट दर्ज कराई है। इसमें बजरंग दल के जिला संयोजक योगेश राज, भाजपा युवा स्याना के नगराध्यक्ष शिखर अग्रवाल और विहिप कार्यकर्ता उपेंद्र राघव को भी नामजद किया गया है। अभी तक तीनों की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।