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लखनऊ, 26 दिसम्बर नोटा यदि चुनाव जीते तो उस लोकसभा या विधान सभा सीट में पुनः चुनाव कराये जाये। यह विचार आज एडीआर के प्रदेश समन्वयक अनिल शर्मा ने स्थानीय प्रादेशिक स्टाफ प्रशिक्षण एवं शोध केन्द्र में एडीआर एवं यूपी इलेक्शन वॉंच के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित चुनाव सुधार एवं मतदाता संवाद विषयक संगोष्ठी में रखे।
संगोष्ठि को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे अनिल शर्मा ने कहा कि पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन के बाद चुनाव आयोग एवं एडीआर ने चुनाव सुधारो के लिए बहुत कार्य किया। कहा कि एडीआर की वर्ष 1999 की याचिका पर ही सुप्रिम कोर्ट वर्ष 2000 में प्रत्याशियो से शपथ पत्र लेने का काम शुरू किया था।
शर्मा ने कहा कि 24 वर्षो कि कानूनी लड़ाई के बात वर्ष 2014 में मतदाताओ को नोटा का अधिकार मिला है। लेकिन संसद में साढे चार साल बीत जाने के बाद भी मतदाताओं के हित में यह कानून नहीं बना कि यदि नोटा जीते तो उस सीट पर पुनः चुनाव कराये जाये। उन्होंने कहा कि जब कभी भी ऐसा होगा तो बहुत ही क्रान्तिकारी बात होगी। क्यांकि इससे कर्मठ हो ईमानदार भले ही हो गरीब हो उनको चुनाव लड़ने का अवसर मिलेगा।
एडीआर सयोजक मनीष गुप्ता ने कहा कि आज बाहूबली और धनबली प्रत्याशी हर पार्टी में छाये हुए हैं और ईमानदार और गरीब कार्यकर्ता हाशिये पर चला गया है इसलिए जरूरी है कि केन्द्र सरकार एक बजट चुनाव आयोग को उपलब्ध कराये ताकि किसी प्रत्याशी का चुनाव में एक धेला भी खर्च न हो।
इस अवसर पर शोध छात्र पवन दूबे, रविन्द्र, जीतेन्द्र आलोक वर्मा, लालमन पटेल, सत्यप्रकाश, गोविन्द, शंकर शुक्ला ज्ञानेन्द्र, ईमरान,सदीप,नजमुल साहित सभी शोध छात्रो ने नैतिकता के आधार पर जन प्रतिनिधियो की पेंशन बन्द किये जाने, चुनाव आयोग को स्वायत्तशाषी संस्था बनाने, सांसद और विधायक निधि पर निगरानी समिति बनाने, नोटा के जीते पर उस सीट पर पूना चुनाव कराने तथा मांग पत्र बनाने के प्रस्ताव पारित किये।