[responsivevoice_button voice="Hindi Female"]
लखनऊ, 07 जनवरी 2019 उत्तर प्रदेश कोल्ड स्टोरेज विनियमन अधिनियम 1976 के अन्तर्गत दी गयी व्यवस्था के अनुसार शीतग्रह में आलू 30 नवम्बर तक ही रखे जाने की व्यवस्था है क्योंकि शीतग्रह स्वामियों द्वारा इस अवधि के बाद मशीनों का संचालन बन्द कर दिया जाता है। ऐसे में इस अवधि के बाद शीतग्रहों में अवशेष आलू के लिए भण्डारकर्ता कृषक स्वयं जिम्मेदार होता है।
उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के संयुक्त निदेशक डा0 आरके तोमर ने आईप्ीएन को बताया कि प्रदीप शर्मा द्वारा शीतग्रह आलू निकासी 25 दिसम्बर को करने के बाद महाराष्ट्र में आलू 500 रुपये प्रति कुन्तल की दर से विक्रय किया जबकि माह अप्रैल 2018 में शीतग्रह में भण्डारित आलू की निकासी जून से शुरू हो जाती है और जनपद आगरा में आलू का बाजार मूल्य जून में 1312 रुपये, जुलाई में 1343 रुपये, अगस्त में 1231 रुपये, सितम्बर में 1208 रुपये, अक्टूबर में 1396 रुपये तथा नवम्बर में 1109 रुपये प्रति कुन्तल रहे।
डा0 तोमर ने कहा कि आलू के जून से नवम्बर तक के बाजार भाव से स्पष्ट है कि प्रदीप शर्मा द्वारा और अधिक मूल्य प्राप्त करने की प्रत्यासा में आलू शीतग्रह में बनाये रखा तथा नवम्बर में शीतग्रह बन्द होने के बाद उन्हें बेचने पर लाभकारी मूल्य नहीं मिल सका।
डा0 तोमर ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाने के लिये बाजार हस्तक्षेप योजना लागू की गयी थी ताकि किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य दिलाया जा सके। चूंकि जून से नवम्बर तक बाजार हस्तक्षेप योजना के निर्धारित मूल्य 549 रुपये प्रति कुन्तल के सापेक्ष बाजार भाव अधिक रहे। इस कारण किसानों द्वारा नामित क्रय केन्द्रों को आलू न बेचकर सीधे बाजार में बेचकर लाभकारी मूल्य प्राप्त किया गया।