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सेनिटाइजर्स का ज्यादा इस्तेमाल भी पहुंचाता है शरीर को नुकसान

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कोरोना वायरस के भारत में प्रवेश करते ही लोग इसको लेकर चिंतित हो गए. घबराहट में लोग तेजी से मास्क और सेनिटाइजर्स खरीद रहे हैं. जिससे ये करीब-करीब बाजार से गायब ही हो गया है लेकिन क्या आपको मालूम है कि सेनिटाइजर्स का ज्यादा इस्तेमाल नुकसानदायक भी है.
हैंड सेनिटाइजर आमतौर पर इथाइल अल्कोहल से बनाया जाता है, जो एंटीसेप्टिक की तरह भी काम आता है, इसमें पानी, फ्रेगरेंस और ग्लिसरीन मिलाए जाते हैं. वहीं गैर अल्कोहल युक्त सेनिटाइजर्स एंटीबॉयोटिक कंपाउंड ट्राइक्लोजन या ट्राइक्लोकॉर्बन से बनता है. ये साबुन और टूथपेस्ट में भी पाया जाता है. इन्हें अक्सर एंटीबैक्टीरियल, एंटीमाक्रोबायल या एंटीसेप्टिक सोप कहा जाता है.
अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) का कहना है कि ट्राइक्लोजन के कुछ रिस्क भी हैं, जिन्हें सूचीबद्ध भी किया गया है. हाल के कुछ अध्ययनों में ट्राइक्लोजन के इस्तेमाल पर सवाल उठाते हुए कहा गया है कि ये मानवीय स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हैं. इस पर अध्ययन जारी है. अगर आपको सफाई का फोबिया है या कोरोना जैसे वायरस से बचाव के लिए आप लगातार सेनिटाइजर का इस्तेमाल कर रहे हैं तो ये भी जानिए कि इसके खतरे क्या हैं.
वो अच्छे बैक्टीरिया को खत्म करने लगते हैं
एंटीबॉयोटिक आमतौर पर बैक्टीरिया से लडऩे में मुफीद होते हैं लेकिन तब क्या होगा जब आपका शरीर बैक्टीरिया से लडऩे के बजाए एंटीबॉयोटिक के खिलाफ लड़ाई शुरू कर दे.
दरअसल ट्राइक्लोजन यही काम करता है. वास्तव में हैंड सेनिटाइजर का ज्यादा इस्तेमाल रोगों के प्रति प्रतिरोध को कम करता है, क्योंकि आपके गुड बैक्टीरिया खत्म होने लगते हैं, जो बैड बैक्टीरिया से लडऩे में मदद करते हैं.
एक्यूट गैस्ट्रोएंटाइटस बीमारी दे सकते हैं
वर्ष 2011 में अमेरिका में एपिडेमिक इंटेलिजेंस सर्विस से जुड़े शोधकर्ताओं वो हेल्थ केयर कर्मचारी, जो साबुन की जगह ज्यादातर सेनिटाइजर का इस्तेमाल करते हैं, एक्यूट गैस्ट्रोएंटाइटस बीमारी देने वाले नोरोवायरस के छह गुना ज्यादा खतरे में रहते हैं.
जहरीला हो सकता है सेनिटाइजर का अल्कोहल
अगर आप बगैर ट्राइक्लोजन वाला सेनिटाइजर इस्तेमाल नहीं करते और अल्कोहल युक्त इस्तेमाल में लाते हैं तो भी जरूरी नहीं कि आप पूरी तरह सुरक्षित हैं. कुछ सेनिटाइजर्स में इथाइल अल्कोहल की जगह दूसरे अल्कोहल या उसी तरह का अन्य द्रव इस्तेमाल करते हैं, जो एंटीमाइक्रोबॉयल की तरह सक्रिय होकर बैक्टीरिया को मारता है.
अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन और सेंटर फॉर डिजिज कंट्रोल का कहना है कि वो सेनिटाइजर्स में केवल इथाइल अल्कोहल, आइसोप्रोपाइल अल्कोहल या दोनों के 60 से 95 फीसदी कंस्ट्रेट मिक्स को मान्यता देता है.
मार्च 2012 में कैलिफोर्निया के छह किशोर अस्पताल में लाए गए, क्योंकि उन्होंने हैंड सेनिटाइजर को पी लिया था और इसमें जहरीला अल्कोहल था. हालांकि इसे पीना तो नहीं ही चाहिए लेकिन इससे ये जाहिर हुआ कि सेनिटाइजर में अगर विषैला अल्कोहल मिला है तो ये आपकी त्वचा को भी नुकसान पहुंचाएगा.
हार्मोन पर असर
एफडीए का कहना है कि ट्राइक्लोजन युक्त सेनिटाइजर हार्मोनल गड़बडिय़ां पैदा कर सकता है. जिससे एंटी बॉयोटिक रेजिसटेंस जैसी स्थिति पैदा हो सकती हैं. जानवरों पर किए गए अध्ययन बताते हैं कि अगर आप सेनिटाइजर्स का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो शरीर में हार्मोन अलग तरीके से व्यवहार करने लगते हैं. हालांकि इस पर अभी शोध चल रही है कि मानव में हार्मोन चेंज का क्या असर पड़ता है.
प्रतिरोधक सिस्टम कमजोर हो जाएगा
अध्ययन ये बताते हैं कि ट्राइक्लोजन आपके इम्यून सिस्टम को भी नुकसान पहुंचाता है. जिसकी वजह से आपके शरीर का रोगों से लडऩे का कवच कमजोर पड़ जाता है.
मिशिगन यूनिवर्सिटी के पब्लिक हेल्थ स्कूल के शोधकर्ताओं ने पाया कि ट्राइक्लोजन मनुष्यों की प्रतिरोधक प्रक्रिया में नकारात्मक असर डालने लगता है. इससे आपका इम्यून सिस्टम आपको एलर्जिक बनाने लगता है या टॉक्सिक केमिकल बिस्फीनॉल आपको नुकसान पहुंचा सकता है, ये प्लास्टिक में पाया जाता है.अध्ययन कहता है कि बच्चे और किशोर, जिनमें ट्राइक्लोजन का स्तर बढ़ जाता है, वो बुखार या अन्य एलर्जी का ज्यादा शिकार होने लगते हैं.
विषैले केमिकल
अगर आपका सेनिटाइजर सुगंधित है तो इसका मतलब ये है कि इसमें कुछ टॉक्सिक केमिकल्स मिलाए गए हैं. कंपनियां अपने सीक्रेट सेंट फार्मूले को छिपाने के चलते ये नहीं बतातीं कि सेनिटाइजर में वास्तव में कौन सी सामग्री मिलाई गई है और वो दर्जनों केमिकल इसमें मिला देते हैं.

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