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राजधानी के छोटे-मझोले होटल व्यवसायियों ने सरकार से लगायी गुहार

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लखनऊ। होटल एंड रेस्टोरेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने सरकार को पत्र लिखकर हाउस टैक्स में  50 प्रतिशत छूट के साथ-साथ लॉक डाउन तक पूरा भाड़ा व रख रखाव शुल्क माफ करने की गुहार लगाई है। एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश पांडेय ने कहा कि कोरोना आपदा की इस घड़ी में होटल व्यवसायियों का भविष्य खतरे में आ गया है। लोग इस व्यवसाय को छोड़ने का मन बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार से हम मांग करते है कि व्यापार को सुरक्षित करने के लिए हम लोगों को राहत दे। वर्तमान परिस्थिति ने ठहराव उत्पन्न कर दिया है व किराये के होटल संचालकों की आजीविका तथा जीवन यापन पर एक ग्रहण लगा दिया है। एसोसिएशन के संयुक्त सचिव राहुल यादव ने कहा कि तालाबंदी के बाद व्यापार दोबारा सुचारू रूप से संचालित कर पाना भी कठिन दिख रहा है। विभिन्न यात्रा पर प्रतिबंध के कारण रेस्टोरेंट और किराये के होटल के कमरों के भाड़ों में भी गंभीर बदलाव होंगे। जिसके चलते काफी छोटे होटल बंद हो जाएंगे जो भाड़े का भुगतान करने में असमर्थ हैं । ग्राहकों की आवाजाही पर बहुत सारे प्रतिबंध होंगे। इसके अतिरिक्त, संचालकों को इस महामारी के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष परिणामों से भी आहत होना पड़ेगा। उन्होंने कहा व्यवसाय न होने के बाद भी, अधिकांश होटल  संचालक ने अपने कर्मचारियों को आजीवका भत्ता का भुगतान कर रहे हैं और उनके परिवारजनों की उचित  देखभाल कर रहे हैं, इसके अतिरिक्त, हमें अपने मासिक बिलों का भी भुगतान करना पड़ रहा है जिसमें विद्युत शुल्क व होटल का भाड़ा शामिल हैं। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन हटने के पश्चात व्यवसाय को पुन: कैसे संचालित किया जाएगा। क्योंकि उनके काफी कर्मचारी अपने गाँव लौट चुके हैं। वह कभी वापस आएंगे या नहीं, इसकी भी अनिश्चितता है। संयुक्त सचिव अनुराग यादव  ने कहा कि यदि किराये के होटल और रेस्टोरेंट बंद होते हैं तो लाखों लोगों के रोजगार और आजीविका पर भी भारी असर पड़ेगा। एसोसिएशन पदाधिकारियों की मानें तो लखनऊ महानगर जब से मेट्रो सिटी के रूप में तब्दील हुआ है और यहां पर आईटी सिटी योजना शुरू हुई तो पहले की अपेक्षा राजधानी में तमाम देशी-विदेशी पर्यटकों का आना-जाना शुरू हो गया था और फिर जिससे हर वर्ग के होटल कारोबार चल पड़े थे। मगर अब लॉकडाउन के इस अनिश्चितता भरे माहौल में कब यह खुलेगा, कब स्थितियां सामान्य होंगी यह कहना काफी मुश्किल है और इसका नतीजा यह होता जा रहा है कि हमारी होटल इंडस्ट्री दिन-प्रतिदिन बैठी जा रही है जिससे संभवत: उबरने में यह पूरा साल लग जाये।

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