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लखनऊ. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उद्यमियों से अपील की थी कि वह यथासंभव लाकडाउन अवधि में अपने कर्मचारियों को नौकरी से न निकालें और उनके वेतन व अन्य देयकों का भुगतान निरंतरता के साथ करते रहें। लेकिन इस अपील का पतंजलि जैसी प्रतिष्ठित कंपनी पर कोई असर नहीं पड़ा है। कंपनी के एक पूर्व कर्मचारी नरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि पतंजलि दिव्यजल नामक पेय पदार्थ का निर्माण करती है। कंपनी ने लाकडाउन अवधि में लखनऊ कार्यालय से सात कर्मचारियों को बिना नोटिस नौकरी से निकाल दिया। इतना ही नहीं उनके लंबित भुगतान के लिए भी सभी को प्रताडि़त किया जा रहा है।
नरेंद्र श्रीवास्तव ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि वह 1 नवम्बर 2018 से सेल्स आफिसर के पद पर लखनऊ कार्यालय में कार्यरत थे। उन्हें कंपनी से 15 मई 2020 को एक मेल प्राप्त हुआ था, जिसमे लिखा था कि कम्पनी कोरोना महामारी के कारण घाटे में चल रही है और कम्पनी कर्मचारियों को आगे का खर्च वहन नहीं कर सकती है और इसीकारण कम्पनी में आगे कार्य करने से वंचित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कंपनी ने अभी तक फरवरी और मार्च के टीए डीए का भुगतान भी लंबित कर रखा है। और वेतन भी नहीं दिया गया है। इसके अलावा पीएफ व अन्य फंड के बारे में भी कोई जानकारी नहीं दी जा रही है। ऐसे में प्रमुख सचिव श्रम व उपायुक्त श्रम से न्याय की गुहार लगाई गई है लेकिन अभी तक कोई राहत नहीं मिली है। कंपनी के अधिकारी सीधे मुंह बात करने को भी तैयार नहीं है।
इस प्रकरण में जब पतंजलि के एजीएम, एचआर प्रखर पाठक ने बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह सभी कर्मचारी कंपनी के ऑन रोल कमर्चारी थे। हम इन्हें सारे लाभ भी दे रहे थे। लेकिन कंपनी समय समय पर अपनी नीतियों में कुछ परिवर्तन भी करती रहती है। ये सारे पद आटोमेटेड थे, कंपनी की नीतियों में परिवर्तन के चलते यह पद स्वत: समाप्त हो गए। यह प्रकिया लाकडाउन से पहले से चल रही थी, अचानक से कुछ भी नहीं किया गया है। कंपनी ने किसी को पद से बर्खास्त नहीं किया है। हम इन्हें इनका अनुभव प्रमाण पत्र, रिलीविंग लेटर व समस्त देयकों का भुगतान भी करेंगे। उसके लिए एक निर्धारित प्रक्रिया है। इस बाबत सभी पूर्व कर्मचारियों को बता भी दिया गया है। जल्द ही उनके सभी देयकों का भुगतान कर दिया जाएगा।
इस प्रकरण में सहायक श्रमायुक्त आर एम तिवारी ने बताय कि इस संबंध में अभी कोई प्रार्थना पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। यदि कोई पीडि़त व्यक्ति इस संबंध में कोई शिकायत करेगा तो विधिक कार्यवाही की जाएगी।