[responsivevoice_button voice="Hindi Female"]
वॉशिंगटन, करीब 5 साल पहले मच्छरों से भरे कंबोडिया के एक ऑफिस में बैठी जेसिका मैनिंग के दिमाग में एक बड़ा आइडिया आया। जेसिका मैनिंग ने सोचा कि क्यों न मलेरिया की वैक्सीन तलाशने की बजाय मच्छरों से पैदा होने वाले सभी विषाणुओं के खात्मे के लिए एक साथ प्रयास किया जाए। अमेरिका के संक्रामक रोग संस्थान में काम करने वाली शोधकर्ता जेसिका का मानना है कि मच्छरों के लार में पाए जाने वाले प्रोटीन से एक वैश्विक वैक्सीन का निर्माण किया जा सकता है।
अगर यह वैक्सीन बनाने में सफलता मिल जाती है तो इंसान के शरीर में प्रवेश करने वाले सभी रोगाणुओं से होने वाली बीमारियों से रक्षा हो सकेगी। इसमें डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, जीका, यलो फीवर, मायरो आदि अन्य बीमारियों से इंसान का बचाव हो जाएगा। मैनिंग ने कहा, हमें और ज्यादा रचनात्मक तरीके अपनाने होंगे। यह वैक्सीन पवित्र प्याले की तरह से होगी जिससे कई बीमारियों से बचाव होगा।
गुरुवार को मशहूर पत्रिका लांसेट में जेसिका और उनके सहयोगी का शोध छपा है। इसमें मच्छर के थूक से बनी वैक्सीन के पहले क्लिनिकल ट्रायल के परिणाम के बारे में बताया गया है। इस ट्रायल में पता चलता है कि मच्छर के लार से बनी वैक्सीन एनोफेलेस सुरक्षित है और इससे एंटीबॉडी बनता है और कोशिकाओं का रेस्पांस बढ़ता है। एक शोधकर्ता माइकल मैकक्रैकन का कहना है कि प्रारंभिक परिणाम बुनियादी हैं।
मैकक्रैकन ने कहा, यह बड़ी उपलब्धि है। महत्वपूर्ण सफलता है। मच्छर धरती पर सबसे खतरनाक जीव हैं। केवल मलेरिया से हर साल 4 लाख लोगों की मौत हो जाती है। इनमें ज्यादातर मौतें गरीब मुल्कों में होती है जहां वैक्सीन के शोध के लिए काम नहीं होता है और पैसा भी नहीं दिया जाता है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से ये मच्छर अब और ज्यादा देशों में अपनी पहुंच बना रहे हैं।
दुनिया में कोरोना वायरस के कहर के बीच अब वैज्ञानिकों ने अपना फोकस अब संक्रामक बीमारियों और वैक्सीन के शोध पर कर दिया है। उन रोगाणुओं पर फोकस किया जा रहा है जो मच्छरों के जरिए फैलते हैं। माना जाता है कि कोरोना वायरस चमगादड़ से पैदा हुआ और अब तक दुनियाभर में 74 लाख लोगों को संक्रमित कर चुका है। अब तक 420,000 मारे गए हैं।