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18 आरोपियों के खिलाफ रासुका लगाने की तैयारी
-295 आरोपियों को गिरफ्तार कर भेजा गया जेल
लखनऊ। पिछले साल 19 दिसम्बर को राजधानी लखनऊ में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शन के मामले में पुलिस ने 287 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। साथ ही 18 आरोपियों के खिलाफ रासुका (एनएसए) लगाने की तैयारी भी चल रही है। बता दें कि बलवा, तोड़फोड़, आगजनी, मारपीट, लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम व सरकारी कार्य में बाधा समेत अन्य धाराओं में कुल 63 मुकदमे दर्ज किए गए थे। राजधानी लखनऊ में जिस तरह सीएए के विरोध में करीब तीन महीने तक प्रदर्शन हुए थे, उस पर योगी सरकार ने काफी सख्त रुख अपनाया है। लॉकडाउन खत्म होने के बाद एक बार फिर प्रदर्शन और धरने की तैयारियां अंदरखेमे में चलने की आशंका है। ऐसे में सरकार भी इसके लिए पूरी तरह तैयार नजर आ रही है।
लखनऊ के पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडेय ने बताया 19 दिसंबर 2019 को राजधानी लखनऊ के परिवर्तन चौक और पुराने लखनऊ के कुछ इलाकों में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। जिसके बाद लखनऊ के 12 थानों में 52 अलग-अलग एफआईआर दर्ज कराई गई थी। पुलिस की सख्त कार्रवाई लगातार जारी है। इन मामलों में लॉ एंड ऑर्डर बिगाड़ने वाले 18 आरोपियों के खिलाफ रासुका लगाने की तैयारी कर ली गई है। दर्ज मुकदमों में 295 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया, 68 आरोपियों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई हुई तो वहीं 28 अन्य पर गुंडा एक्ट लगाने की तैयारी चल रही है।
बचे हुए आरोपियों की गिरफ़्तारी के लिए दबिश जारी
43 बचे हुए आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए दबिश जारी है। बीते कुछ दिनों से एक भड़काऊ फेसबुक पोस्ट में लखनऊ में सीएए 2.0 करने की पूरी तैयारी का ज़िक्र था। पोस्ट में लिखा था कि इस बार प्रदर्शन और हिंसक होगा। सोशल मीडिया में इस पोस्ट करने वाले को तो पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन साइबर सेल, सोशल मीडिया सेल के साथ ही जमीन पर काम कर रही पुलिस ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी।
पुलिस के रडार पर कई एक्टिविस्ट
अब कई एक्टिविस्ट भी पुलिस के रडार पर हैं। राजधानी के घंटाघर पर सीएए और एनआरसी के विरोध में कुछ महिलाओं ने करीब तीन महीने तक धरना दिया था। कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन हुआ तब जाकर धरना खत्म हुआ था। लॉकडाउन खत्म होने के बाद फिर से धरना, प्रदर्शन की सुगबुगाहट होने लगी है।