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जेनेवा, कोरोना वायरस वैक्सीन को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि इस साल के अंत तक इसके उपलब्ध होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन के 10 दावेदार ह्यूमन ट्रायल कर रहे हैं। वहीं इनमें से तीन ऐसे हैं जो इससे भी आगे निकल चुके हैं जहां इस वैक्सीन के एफिसिएंसी को लेकर जांच की जा रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि इस साल के अंत तक कोरोना वायरस वैक्सीन की लगभग दो अरब खुराकें तैयार होने की उम्मीद है। इन्हें प्राथमिकता के हिसाब से सबसे ज्यादा प्रभावित आबादी के इलाज के लिए दिया जाएगा। डॉ सौम्या ने यह भी कहा कि हमारे पास अभी कोई वैक्सीन नहीं है जो प्रमाणिक हो।
उन्होंने कहा कि यह साबित हो गया है कि मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोच्ीन कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती हुए लोगों की मौत रोकने में कारगर नहीं है। बहरहाल, डॉ सौम्या स्वामीनाथन का यह भी कहना है कि लोगों को कोविड-19 के संक्रमण की चपेट में आने से रोकने में इस दवा की भूमिका हो सकती है। इस संबंध में क्लीनिकल परीक्षण चल रहे हैं।
कोरोना वायरस के इलाज के लिए पोलियो के टीके का परीक्षण करने के अंतरराष्ट्रीय अनुसंधानकर्ताओं के सुझाव पर सधी हुई प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय वैज्ञानिकों ने कहा कि कुछ वैज्ञानिक अवधारणाओं के आधार पर यह परीक्षण योग्य है लेकिन संक्रमण के खिलाफ सीमित संरक्षण ही प्रदान कर सकता है। कोविड-19 के इलाज के लिए टीका बनने में अभी कम से कम एक साल लग सकता है, ऐसे में वैज्ञानिकों का कहना है कि तत्काल राहत के लिए पहले से सुरक्षित और प्रभावी टीकों का पुन: उपयोग एक तरीका हो सकता है।