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नईदिल्ली, पुरी में भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा की उम्मीदें बढ़ गई है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सीमित दायरे में नियमों के साथ रथ यात्रा की इजाजत मांगी। उच्चतम न्यायालय की एकल पीठ सोमवार 18 जून को दिए अपने आदेश में संशोधन करने की मांग वाली चार याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। केंद्र ने सर्वोच्च अदालत के समक्ष वार्षिक रथ यात्रा मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी को ध्यान में रखते हुए रथ यात्र को सार्वजनिक भागीदारी के बिना आयोजित ही किया जा सकता है। इस मामले में आधे घंटे बाद फिर होगी सुनवाई। ओडिशा सरकार ने भी इसका समर्थन किया है।
सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे रथयात्रा पर रोक लगाने की याचिका दायर करने वाली ओडिशा विकास परिषद की पैरवी कर रहे हैं। पुरी में भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा मामले में केंद्र सरकार ने जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच के सामने केस को मेंशन किया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केवल वे लोग जिनका कोविड टेस्ट नेगेटिव आया है और भगवान जगन्नाथ मंदिर में सेवायत के रूप में काम कर रहे हैं, वो अनुष्ठान का हिस्सा हो सकते हैं।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सदियों से चली आ रही एक रस्म को बाधित नहीं किया जाना चाहिए। वहीं, ओडिशा सरकार ने कहा कि जन भागीदारी के बिना रथ यात्रा आयोजित की जा सकती है। केंद्र ने कहा कि हालात को देखते हुए कदम उठाए जा सकते हैं। राज्य सरकार यात्रा के दौरान कर्फ्यू लगा सकती है ताकि लोग सड़कों पर ना उतर पाएं।
सुनवाई के दौरान याचिककर्ता के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि अगर सरकार पूरे एहतियात के साथ रथयात्रा आयोजित करे तो उनको कोई आपत्ति नहीं। इस पर कोर्ट ने आदेश जारी करने के लिए समय लिया है।
वहीं बताते चलें कि 18 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबड़े ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा था कि अगर इस हालत में रथ यात्रा की इजाजत दी जाती है तो भगवान भी माफ नहीं करेंगे।