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लखनऊ। राजधानी लखनऊ की हाईटेक हो रही यातायात पुलिस अब फर्राटा भर रहे वाहनों पर राडार गन से शिकंजा कस रही है। राडार गन के माध्यम तेज गति से भाग रहे वाहनों पर कार्रवाई की जा रही है। अपर पुलिस उपायुक्त यातायात लखनऊ सुरेश चंद्र रावत ने बताया कि राडार गन से रोज तीन तीन जगहों पर हाई स्पीड वाहनों के चालान काटे जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि यातायात पुलिस को इस गन की जरूरत लंबे समय से महसूस कर रही थी। विशेषकर शहर के अंदर व बाहर तेज गति से भागती कारों, बाइकों और बसों पर कार्रवाई के लिए इसकी जरूरत थी। राडार गन में वाहन के फोटो के साथ गति भी दर्ज होती है।
राडार गन से 15 दिन में किये गए सवा सौ चालान
अपर पुलिस उपायुक्त यातायात लखनऊ सुरेश चंद्र रावत ने बताया कि बुधवार को भी राडार मशीन से चालानी कार्रवाई की गई। उन्होंने बताया कि लखनऊ कमिश्नरेट की यातायात पुलिस के ने 8 जून 2020 से 24 जून 2020 तक स्पीड राडार गन से प्रतिदिन तीन तीन स्थानों पर ओवर स्पीडिंग वाहनों के विरुद्ध कराई गई चेकिंग अभियान में कुल 124 वाहनों का ओवरस्पीडिंग में चालान किया गया और 96000 रुपये जुर्माना वसूला। बुधवार को जियामऊ के पास, तिकोनिया तिराहा पारा के पास व शहीद पथ पर स्पीड रडार लगाकर चेकिंग कराई गई। उन्होंने बताया कि स्पीड और सिग्नल जंप के मामले में लाइसेंस निलंबन की कार्रवाई भी की जाएगी। यह तेज गति से वाहन चलाने वालों पर कार्रवाई के लिए उपयोगी होती है। इसमें प्रमाण के सहित वाहन की गति भी दर्ज होती है।
ऐसे काम करती है स्पीड राडार गन
राडार गन पूरी तरह कम्प्यूटराइज्ड होती है। यातायात पुलिसकर्मी मुख्य मार्गों व चौराहों पर स्पीड राडार गन लेकर खड़े होते हैं। वाहन के आते स्विच दबाते ही वाहन के नंबर की रिकॉर्डिंग व फोटो सेव हो जाता है। वाहन कितने समय में कितनी स्पीड में था, यह टाइमिंग भी रिकॉर्ड हो जाती है। वाहन की फोटो, नंबर सहित पूरी जानकारी आगे खड़े ट्रैफिक पुलिस के अफसरों तक पहुंच जाती है। वाहन की जानकारी आते ही उसे रोका जाता है। टाइमिंग व स्पीड की पूरी जानकारी चालक को दिखाते हुए चालान राशि वसूली जाती है।
ट्रैफिक इन्स्पेक्टर ने किया प्रदूषण केंद्रों का निरीक्षण
राजधानी लखनऊ के सरोजनी नगर थाना क्षेत्र स्थित आरटीओ कार्यालय रोड पर डीसीपी ट्रैफिक चारू निगम के नेतृत्व में अवस्थित प्रदूषण जांच केंद्रों का ट्रैफिक इंस्पेक्टर अभय नाथ ने भौतिक निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने प्रदूषण जांच केंद्रों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए। बता दें कि राजधानी लखनऊ की ट्रैफिक पुलिस हाईटेक हो रही है। जहां पुलिस स्पीड को राडार के जरिए चेक कर रही है। वही प्रदूषण न फैले इसके लिए भी लगातार अभियान चलाया जा रहा है।
ट्रैफिक व्यवस्था के बेहतर बनाने के लिए किया सर्वे
एक निजी कंपनी ने पायलट प्रोजेक्ट के रूप में मवैया चौराहा आलमबाग से लेकर एयरपोर्ट तक इस आशय का सर्वे किया जा रहा है कि लोगों के द्वारा यातायात नियमों का प्रायः उल्लंघन क्यों किया जाता है।संस्था ने ‘वित्रास’ नाम का एक ऐप बनाया गया है। इस एप को मोबाइल के कैमरा से लिंक किया गया है। एनजीओ के कुल 7 लोग जगह जगह घूम कर यातायात नियमों के उल्लंघन करने वालों वीडियो बनाकर इकट्ठा कर रहे हैं। मंगलवार से एक सप्ताह का सर्वे शुरू किया गया है। बुधवार को एनजीओ के हेड अतुल राजकोटिया से बाराबीरवा चौराहे पर एडीसीपी ने बातचीत कर सर्वे का अपडेट लिया।