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सिलिकॉन वैली से लेकर दुनिया की तमाम बड़ी आईटी कंपनियों में शीर्ष पदों पर तकनीकी समाधान देने वाले भारतीयों की मेधा बताती है कि हम अपनी प्रतिभाओं को वह उर्वरा भूमि नहीं दे पाये, जिससे वे देश में निखर सकते। सत्ताधीशों की उदासीनता और व्यवस्था की जटिलताएं उनके सपनों के पंख कुतरने का काम करती रही हैं। बहरहाल, कोरोना संकट और चीनी अतिक्रमण के बीच केंद्र सरकार ने भारतीय प्रतिभाओं की सुध ली है और उन्हें डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की कड़ी में ‘एप इनोवेशन चैलेंज में भाग लेने का मौका दिया है। यह घटनाक्रम उस पृष्ठभूमि में सामने आया है जब गलवान प्रकरण के बाद भारत ने चीन के 59 एपों पर रोक लगाई है। कोरोना काल में सामाजिक सक्रियता कम होने के बाद ऑनलाइन व्यवस्था पर निर्भरता बढ़ी है। प्रधानमंत्री की पहल पर शुरू हुए एप खोज कार्यक्रम के पहले चरण में उन?एप की तलाश?की जायेगी जो उपयोग में हैं और उनमें वैश्विक होने की संभावना हैं। सरकारी और निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा आकलन के बाद ऐसे एप्स को नकद पुरस्कार दिये जायेंगे। साथ?ही उनके व्यावसायिक स्तर पर प्रसार के लिए संसाधन उपलब्ध?कराये जायेंगे। इनका उपयोग सरकार भी करेगी। कुल मिलाकर यह भारत की सुरक्षा-संप्रभुता की प्राथमिकता के साथ वैश्विक बाजार तलाशने की कोशिश भी है। तभी इसे ‘आत्मनिर्भर भारत एप इनोवेशन चैलेंज नाम दिया गया है।
दरअसल, 2015 में डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत के वक्त भी प्रधानमंत्री ने कहा था कि आखिर भारत में गूगल जैसी कंपनी और फेसबुक, ट्विटर जैसे एप क्यों नहीं बन सकते। डिजिटल भारत में तकनीक की मदद से भ्रष्टाचार मुक्त सुशासन होगा और रूरल इकॉनमी में ई-हेल्थकेयर की दखल होगी। निस्संदेह भारत में डिजिटल इंडिया की मुहिम अपेक्षित परिणाम न दे सकी हो, मगर पेटीएम और बायजू जैसे स्टार्टअप हमारी कामयाबी हैं। मौजूदा पहल का मकसद स्वदेशी जरूरतों में आत्मनिर्भरता और विश्वस्तरीय संभावना तलाशना ही है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय नीति आयोग की भागीदारी से दो चरणों में यह कार्यक्रम चलाया जायेगा। एक माह तक चलने वाले पहले चरण में?आठ श्रेणियों में ऑफिस के कामकाज, सोशल नेटवर्किंग, ई-लर्निंग, न्यूज, गेम्स, मनोरंजन, स्वास्थ्य, बिजनेस और कृषि से जुड़े एप शामिल किये जा सकेंगे। जो न केवल भारतीय बाजार की मांग को पूरा कर सकें बल्कि वैश्विक बाजार में दखल की पृष्ठभूमि तैयार कर सकें। नि:संदेह यह चुनौती भारतीय प्रतिभाओं को ऐसा मंच देगी, जिससे उनकी दृष्टि और प्रतिभा को विस्तार मिल सकेगा। वक्त की जरूरत है कि देश को स्वदेशी गुणवत्ता वाले एप मिलें, जिससे जहां एक ओर लोगों का डाटा सुरक्षित रहेगा, वहीं देश का पैसा भी बाहर नहीं जायेगा। हाल ही में चीनी एप टिकटॉक को बंद किये जाने के बाद कई भारतीय भाषाओं का विकल्प देने वाले ऐसे ही देशी एप ‘चिंगारी को डेढ़ करोड़ लोगों द्वारा डाउनलोड्स किया जाना बताता है कि भारत में प्रतिभाओं की कमी नहीं, बस उन्हें मंच और अवसर चाहिए। चाइनीज एप्स बैन होने के बाद नये एप्स के लिए जो जगह बनी है उसमें भारतीय प्रतिभाओं को मौका मिलना ही चाहिए।