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डेब्यू के बाद बॉलिंग एक्शन पर सवाल और फिर धमाकेदार वापसी, ऐसा रहा है हरभजन का सफर

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Harbhajan Singh Journey: हरभजन सिंह के लिए क्रिकेट का सफर आज से 26 साल पहले शुरू होता है. नवंबर 1995 में उन्हें पंजाब के लिए अंडर-16 क्रिकेट खेलने का मौका मिला था. अपने अंडर-16 डेब्यू टेस्ट मैच में हरियाणा के खिलाफ हरभजन ने 12 विकेट लेकर सबको चौंका दिया था. आगे भी हरभजन का निरंतर प्रदर्शन लाजवाब रहा और उन्हें 2 साल बाद ही फर्स्ट क्लास क्रिकेट में डेब्यू का भी मौका मिल गया. अक्टूबर 1997 में हरभजन ने रणजी ट्रॉफी खेली और फिर 1998 के आईसीसी अंडर-19 वर्ल्ड कप के 6 मैचों में 8 विकेट लेकर वे राष्ट्रीय चयनकर्ताओं की नजर में आए.

डेब्यू में कमाल नहीं दिखा सके थे युवा हरभजन

अंडर-19 वर्ल्ड कप के दौरान ही ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी भी खेली जा रही थी. जैसे ही अंडर-19 वर्ल्ड कप खत्म हुआ तो हरभजन को फौरन बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के तीसरे टेस्ट में शामिल कर लिया गया. अपने टेस्ट डेब्यू में हरभजन केवल 2 विकेट ले पाए. इसके अगले ही महीने हरभजन को वनडे में भी खेलने का मौका मिल गया. हरभजन ने शारजहां कप में न्यूजीलैंड के खिलाफ अपना पहला वनडे मैच खेला. टेस्ट डेब्यू की तरह ही वनडे डेब्यू में भी वे कुछ खास नहीं कर सके और महज एक विकेट ही हासिल कर पाए.

बॉलिंग एक्शन पर विवाद और फिर 2001 की करिश्माई एंट्री

हरभजन की इंटरनेशनल क्रिकेट में एंट्री वैसी नहीं रह पाई जैसी फर्स्ट क्लास और बाकी अंडर-16 और अंडर-19 टूर्नामेंट में रही थी. इसके साथ ही उनके बॉलिंग एक्शन को लेकर भी कुछ सवाल खड़े होने लगे. ऐसे में हरभजन को करीब 2 साल तक राष्ट्रीय टीम से बाहर ही रहना पड़ा. 2 साल बाद जब साल 2001 उनकी फिर से राष्ट्रीय टीम में वापसी हुई तो वह तहलका मचा देने वाली रही. वर्तमान में बीसीसीआई अध्यक्ष और तत्कालीन कैप्टन सौरव गांगुली ने हरभजन को भारत में होने वाली बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के लिए टीम स्क्वॉड में शामिल किया. गांगुली का फैसला सही रहा और हरभजन ने 3 टेस्ट मैचों में 32 विकेट चटकाकर भारत की सीरीज जीत में निर्णायक भूमिका निभाई. इस सीरीज में वे टेस्ट क्रिकेट में हैट्रिक लेने वाले पहले भारतीय गेंदबाज भी बने.

भारत के चौथे सबसे सफल टेस्ट गेंदबाज 

साल 2001 में हरभजन को मिली इस सफलता ने उन्हें अनिल कुंबले के साथ टीम का दूसरा मुख्य स्पिनर तमगा दिलाया. यहां से हरभजन ने पीछे मुढ़कर नहीं देखा और पूरे दशक अपनी फिरकी से विदेशी खिलाड़ियों को परेशान करते रहे. जुलाई 2006 में जमैका टेस्ट के दौरान उन्होंने 13 रन देकर 5 विकेट चटकाए थे. उनके इस प्रदर्शन की बदौलत भारत को 35 साल बाद करैबियन धरती पर टेस्ट सीरीज जीतने में सफलता मिली थी. हरभजन ने भारत के लिए 103 टेस्ट मैचों में 417 विकेट लिए हैं. वे दुनिया के 14वें और भारत के चौथे सबसे सफल टेस्ट गेंदबाज हैं.

मंकीगेट कांड

साल 2008 का यह किस्सा हमेशा हरभजन से जुड़ा रहेगा. ऑस्ट्रेलिया में खेली जा रही बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में भारत ने दमदार प्रदर्शन किया था लेकिन गलत अंपायरिंग के चलते भारत को लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा था. इसी बीच ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी भारतीयों को अपनी स्लेजिंग का शिकार भी बना रहे थे. ऐसे में हरभजन ने सिडनी टेस्ट के दौरान एंड्र्यू सायमंड्स को मंकी कह दिया था. अंपायरों ने हरभजन को दोषी मानते हुए 3 टेस्ट मैचों के लिए उन पर प्रतिबंध लगा दिया था. बिना ऑडियो-वीडियो सबूत के अंपायरों के इस फैसले पर भी बड़ा विवाद हुआ था.

वनडे में भारत के पांचवे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज

टेस्ट क्रिकेट की तरह ही हरभजन ने टीम इंडिया के लिए वनडे क्रिकेट में भी कई मैच जिताऊं गेंदबाजी की. साल 2003 में हुए वनडे वर्ल्ड कप में टीम इंडिया को फाइनल तक पहुंचाने में हरभजन की खास भूमिका थी. उन्होंने इस टूर्नामेंट में 11 विकेट लिए थे. साल 2011 की वर्ल्ड कप विजेता टीम में भी वे शामिल थे. हरभजन ने 236 वनडे मैचों में 269 विकेट चटकाए हैं. वे वनडे क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाजों की लिस्ट में 22वें स्थान पर हैं. भारत के वे पांचवें सबसे सफल वनडे गेंदबाज हैं.

टी-20 वर्ल्ड कप विजेता टीम का खास हिस्सा रहे

दिसंबर 2006 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टी-20 डेब्यू करने वाले हरभजन साल 2007 में टी-20 वर्ल्ड कप विनर रही टीम का भी हिस्सा थे. इस वर्ल्ड कप में पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्होंने लाजवाब गेंदबाजी की थी. इसके बाद 2009, 2012 और 2016 टी-20 वर्ल्ड कप स्क्वॉड में भी वे शामिल थे. आईपीएल में वे लंबे समय तक मुंबई इंडियंस की ओर से खेले हैं. साल 2008-2017 तक मुंबई इंडियंस के साथ खेलने के बाद वे पिछले तीन सालों में चेन्नई सुपर किंग्स और कोलकाता नाइट राइडर्स की ओर से भी क्रिकेट खेल चुके हैं. आईपीएल के 163 मैचों में उनके नाम 150 विकेट हैं.

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