खेल-खिलाड़ी

20 किलो वजन कम कर मैट पर उतरा ये खिलाड़ी, देश को दिलाया गोल्ड

[responsivevoice_button voice="Hindi Female"]

Manpreet Singh- A Retired International Kabaddi Player and Coach of Gujarat Giants: अपनी जिंदगी के 20 साल से भी अधिक समय खेल को देने वाले खिलाड़ी के लिए ट्रॉफी, इनाम और पदक जीतना कोई बड़ी बात नहीं होती, लेकिन जब उसे ध्यानचंद पुरस्कार से सम्मानित किया जाए, तो समझ लीजिए कि उसने अपने जीवन को पूरा उसी दिशा में लगा दिया है. मनप्रीत सिंह को इस साल राष्ट्रीय खेल दिवस पर ध्यानचंद पुरस्कार (Dhyanchand Award) से सम्मानित किया गया, जो कबड्डी के खेल में उनके समर्णपन को दर्शाता है. कबड्डी में मनप्रीत सिंह (Manpreet Singh) का करियर शानदार रहा है. उन्होंने सात साल तक भारतीय नेशनल कबड्डी टीम (Indian National Kabaddi Team) के लिए खेला है, जहां 2002 और 2006 एशियन गेम्स (Asian Games) के लिए देश का प्रतिनिधित्व किया है. यही नहीं उन्होंने साल 2007 कबड्डी विश्व कप (Kabaddi World Cup) में भारत को विश्व चैंपियन बनाने में भी मदद की. उनके पास अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जीते गए कुल 12 स्वर्ण पदक हैं.

प्रो कबड्डी लीग (Pro Kabaddi League) में उन्होंने तीसरे सीज़न में पटना पाइरेट्स (Patna Pirates) को खिताबी जीत दिलाई और फिर दो साल बाद लीग में गुजरात फॉर्च्यूनजायंट्स के कोच के रूप में लौटे. अपने पहले साल में ही उन्होंने टीम को फाइनल तक का रास्ता तय कराया. ध्यानचंद पुरस्कार खेल में लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए सम्मानित किया जाता है और मनप्रीत सिंह के करियर को देखते हुए, ये सम्मान उनके लिए रिवॉर्ड की तरह है. मनप्रीत सिंह ने Pro Kabaddi League.com से बात करते हुए कहा कि एक खिलाड़ी के रूप में उनका जीवन संघर्षों से भरा रहा है. उन्होंने कहा, “एक वो समय था, जब आपको सालों तक लगातार खुद को साबित करना पड़ता था, आज अगर कोई खिलाड़ी दो-तीन मुक़ाबलों में अच्छा कर लेता है, तो उसका नाम बन जाता है. खासकर प्रो कबड्डी लीग की वजह से ऐसा हुआ है. हमारे समय में टेलीविजन पर कबड्डी का कवरेज नहीं होता था और ऐसे में आपको अपना बनाना मुश्किल होता है. अब जब मैं अपने प्रदर्शन को देखता हूं, तो मुझे खुद पर गर्व महसूस होता है. राष्ट्रीय टीम में चुना जाना सभी का एक सपना होता है”

वजन घटाने के लिए मनप्रीत सिंह ने जो किया वो हर किसी के बस की बात नहीं है. मनप्रीत ने कहा, ”मुझे रोजाना करीब 16 घंटे ट्रेनिंग करनी पड़ती थी और उस स्तर पर खेलने के लिए सख्त डाइट का पालन करना पड़ता था. 2006 में होने वाले एशियन गेम्स से पहले मनप्रीत की जिंदगी में नया मोड़ आया. एक दोस्ताना टूर्नामेंट के लिए जाने से पहले मनप्रीत सिंह को बताया गया कि 80 किग्रा से कम वजन वालों को ही भाग लेने की अनुमति होगी. मनप्रीत का वजन उस समय अधिक था. 80 किलोग्राम से कम वजन में आने के लिए मनप्रीत ने खुद को प्रेरित किया और रात 9 बजे से लेकर सुबह 7 बजे तक दौड़ते रहे.

उन्होंने कहा, “मैं सिर्फ तभी रुकता था जब मुझे कुछ आराम करने और अपने कपड़े बदलने की ज़रूरत होती थी,” अगर मैंने इतना वजन कम नहीं किया होता, तो मैं एशियान गेम्स में भाग नहीं ले पाता. अगले दिन मैं वजन कटेगरी में आ चुका था और मुझे मैच खेलने के लिए चुन लिया गया. मैने खुद को इस लिए प्रेरित किया क्योंकि मैं देश के लिए खेलने का मौका नहीं छोड़ना चाहता था,” मनप्रीत कहते हैं कि अगर आप एक सफल और एक अच्छे खिलाड़ी बनना चाहते हैं तो कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है.” साल 2015 में अंतरराष्ट्रल कबड्डी से संन्यास लेने के बाद मनप्रीत सिंह 2016 में प्रो कबड्डी के मैट पर उतरते ही पटना पायरेट्स को पहली बार में ही खिताब दिला दिया. सीजन 5 से गुजरात जायंट्स (Gujarat Giants) के कोच और प्रो कबड्डी लीग में अब तक दो बार उपविजेता रहे हैं. वो 2015 से 2019 तक पंजाब स्टेट कबड्डी एसोसिएशन से भी जुड़े थे.

 

Aamawaaz

Aam Awaaz News Media Group has been known for its unbiased, fearless and responsible Hindi journalism since 2018. The proud journey since 3 years has been full of challenges, success, milestones, and love of readers. Above all, we are honored to be the voice of society from several years. Because of our firm belief in integrity and honesty, along with people oriented journalism, it has been possible to serve news & views almost every day since 2018.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button