उत्तर प्रदेश

आगरा से जुड़ा छत्रपति शिवाजी महाराज का इतिहास खंगाला जाएगा, पांच सदस्यों की टीम बनी

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<p style="text-align: justify;"><strong>आगरा:</strong> हिंदवी स्वराज के संस्थापक छत्रपति शिवाजी का आगरा से कैसा जुड़ाव रहा है. मुगल बादशाह औरंगजेब से उनके कैसे रिश्ते रहे हैं और आगरा में उन्होंने कितना वक्त बिताया. इसको लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने जानकारी जुटाना शुरू कर दिया है और इसके लिए 5 सदस्यीय कमेटी भी गठित कर दी है. इतिहासकारों के मुताबिक छत्रपति शिवाजी अपने बेटे शम्भाजी के साथ 11 मई 1666 को आगरा आए थे और यहां आकर उनकी मुगल शासक औरंगजेब से मुलाकात हुई थी.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>मुगल म्यूजियम का नाम भी बदला</strong></p>
<p style="text-align: justify;">बताया जा रहा है कि, आगरा आकर औरंगजेब और शिवाजी के बीच कड़वाहट और बढ़ गई और शिवाजी को औरंगजेब ने नजर बंद करा लिया. दावा किया जाता है कि, औरंगजेब की कैद में शिवाजी 99 दिनों तक रहे. ऐसे में शिवाजी का आगरा कनेक्शन को लेकर इतिहास के गर्भ में जो तमाम जानकारियां छुपी हुई हैं, उसको धरातल पर लाने के लिए और साक्ष्यों का संकलन करने के लिए आगरा से जुड़े तमाम लोग प्रयासरत हैं. इस विषय में शासन से हुए तमाम पत्राचार के बाद पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए छत्रपति शिवाजी के नाम पर मुगल म्यूजियम का नाम भी योगी सरकार ने बदल कर रख दिया है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>पांच सदस्यीय कमेटी गठित</strong></p>
<p style="text-align: justify;">सिटी मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में गठित कमेटी अब सारे इतिहास को खंगालेगी. इसके लिए अपर जिलाधिकारी नगर ने शिवाजी के आगरा से जुड़े गौरवशाली इतिहास की जानकारी इकट्ठा करने के लिए 5 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है. &nbsp;यह कमेटी शिवाजी के आगरा में रहने के स्थान, सरकारी या गैर सरकारी भूमि पर होने की स्थिति, उनके आगरा में कहां कहां ठहरने की जानकारी जुटाएगी और अपनी रिपोर्ट 15 दिन में तैयार करके सौंपेगी.<br />&nbsp;&nbsp;<br /><strong>शिवाजी महाराज पर गठित कमेटी में ये हैं शामिल</strong></p>
<p style="text-align: justify;">5 सदस्यीय कमेटी में सिटी मजिस्ट्रेट अरुण कुमार को अध्यक्ष बनाया गया है. ACM तृतीय वीके गुप्ता, तहसीलदार सदर प्रेमपाल सिंह, क्षेत्रीय अभिलेख अधिकारी रमेशचंद्र और पर्यटन ऑफिस के सूचना अधिकारी प्रदीप टमटा सदस्य हैं.&nbsp;<br />&nbsp;&nbsp;<br />इसको लेकर सिटी मजिस्ट्रेट अरुण कुमार कहते हैं कि, शिवाजी महाराज का आगरा से जुड़ा क्या इतिहास रहा है, उसकी तथ्य परक रिपोर्ट तैयार की जाएगी. इसमें इतिहासकारों की रिपोर्ट्स को भी शामिल करेंगे, ताकि छत्रपति शिवाजी की महानता को लोग जान सकें.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सक्रिय रहे हैं विधायक योगेंद्र उपाध्याय</strong></p>
<p style="text-align: justify;">आगरा में शिवाजी के इतिहास को लेकर आगरा दक्षिण से विधायक योगेंद्र उपाध्याय काफी सक्रिय रहे हैं और उन्होंने इस मुद्दे को राजनीतिक तौर पर उठाया है. इसको लेकर विधायक योगेंद्र उपाध्याय का कहना है कि, सह सरकार्यवाह कृष्णगोपाल की प्रेरणा से मैंने प्रयास शुरू किए हैं, कि जनता को सही जानकारी मिले, मैं इसी विषय के लिए जयपुर गया तो पता चला कि जयपुर के राजा रामसिंह की आगरा स्थित कोठी में शिवाजी महाराज को कैद करके रखा गया था. जो जयपुर हाउस में अब कोठी मीना बाजार है. इसलिए कोठी मीना बाजार को विकसित करने की मांग उठाई है ताकि, ताजमहल और अन्य स्मारकों से हटकर भी पर्यटक इन जगहों को भी घूमें और आगे आने वाली पीढ़ी भी इस इतिहास को जान सके. &nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">छत्रपति शिवाजी महाराज 99 दिन तक औरंगजेब की कैद में रहे. &nbsp;इसका जिक्र इतिहासकार जदुनाथ सरकार से लेकर कई सारे अन्य इतिहासकारों ने भी किया है. &nbsp;बताया जाता है कि, औरंगजेब के दरबार में उचित सम्मान ना मिलने पर शिवाजी महाराज ने अपनी नाराजगी जताई थी बाद में औरंगजेब ने शिवाजी को राजा जयसिंह के बेटे राम सिंह के किले में नजर बंद कर दिया था. &nbsp;मई 1666 से कैद अगस्त महीने में बीमारी का बहाना बनाकर शिवाजी ने जब गरीबों को फल बांटना शुरू किया. उसी समय फलों की टोकरी में वह अपने बेटे शंभाजी के साथ औरंगजेब की कैद से निकल गए.</p>
<p style="text-align: justify;">ये भी पढ़ें.</p>
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