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<p style="text-align: justify;"><strong>नई दिल्ली:</strong> कोरोना की पहली लहर के बाद कानपुर में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज को पीएम केयर्स से मिले 26 वेंटिलेटर घटिया क्वॉलिटी के थे. मेडिकल कॉलेज इन वेंटिलेटर्स को वापस लेने के लिए शासन को पत्र लिखा जा चुका है.</p>
<p style="text-align: justify;">वहीं वेंटिलेटर के अचानक बंद होने से बच्चे की मौत का मामला सामने आने से हड़कम्प मच गया. हैलट अस्पताल के बाल रोग विभाग के विभागाध्यक्ष ने इस सम्बंध में मेडिकल कॉलेज प्रिन्सिपल को पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने शिशु रोगियों के हित को ध्यान में रखते हुए इन वेंटिलेटर्स को हटाने की मांग की है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>PICU में एक्वा कम्पनी के दो वेंटिलेटर चलते-चलते बंद हो जाते</strong></p>
<p style="text-align: justify;">पिछले साल कोविड की पहली लहर के बाद केन्द्र सरकार की तरफ से यूपी के कई मेडिकल कॉलेज को वेंटिलेटर्स दिए गए थे. कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज को भी 26 वेंटिलेटर्स मिले थे. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भी इन वेंटिलेटर्स को इंस्टॉल नहीं किया गया तो हाय तौबा मच गयी. इसी दौरान कोरोना की तीसरी वेब की आशंका के चलते बाल रोग में वेंटिलेटर्स की संख्या बढ़ायी जाने लगी. जिसके चलते PICU में एक्वा कम्पनी के दो वेंटिलेटर स्थापित किए गए. यह वेंटिलेटर्स चलते चलते रुक जाते हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">जिसकी शिकायत के बाद इनकी मरम्मत भी करायी गई जिसके बाद भी यह ठीक नहीं हुए. इसी दौरान वेंटिलेटर के रुक जाने से एक शिशु रोगी की मौत हो गई जिसके बाद 7 जुलाई को बाल रोग विभागाध्यक्ष ने मेडिकल कॉलेज प्रिन्सिपल को पत्र लिख इन वेंटिलेटर को हटाने की मांग की. हालांकि मेडिकल कॉलेज प्रिन्सिपल वेंटिलेटर बंद होने से बच्चे की मौत की जानकारी होने से इंकार कर रहे हैं. जबकि बाल रोग विभागाध्यक्ष का लिखा हुआ पत्र हमारे पास है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>26 वेंटिलेटर्स को तमाम प्रयासों के बाद भी इंस्टॉल नहीं किया जा सका</strong></p>
<p style="text-align: justify;">इससे पहले 25 मई को मैटरनिटी विंग और न्यूरो साइस भवन के आईसीयू इंचार्ज ने भी मेडिकल कॉलेज प्रिन्सिपल को पत्र लिख कर इन वेंटिलेटर्स को अनुपयोगी बताया था. इस पत्र में साफ लिखा गया है कि एग्वा कम्पनी के 26 वेंटिलेटर्स को तमाम प्रयासों के बाद भी इंस्टॉल नहीं किया जा सका है. वहीं उन्होंने पत्र में लिखा कि हैलट एल-3 लेवल का कोविड अस्पताल है. जहां ऐसे मरीज आते हैं जिनके फेफड़ो में गम्भीर संक्रमण होता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>पीएम केयर फंड से इन वेंटिलेटर्स की खरीददारी हुई थी</strong></p>
<p style="text-align: justify;">यह वेंटिलेटर यहां भर्ती होने वाले मरीजों को आवश्यक्ता के अनुसार ऑक्सीजन उपलब्ध कराने में सक्षम नही हैं. इस पत्र के बाद भी दो वेंटिलेटर बाल रोग में इंस्टॉल कराए गए और एक बच्चे की जान चली गयी. हालांकि मेडिकल कॉलेज प्रिन्सिपल का कहना है कि उन्होंने शासन को इस बात से अवगत करा दिया है कि यह वेंटिलेटर हैलट अस्पताल के लिए उपयुक्त नही हैं. इन्हें एल-1 और एल-2 स्तर के अस्पतालों में लगवा दिया जाए.</p>
<p style="text-align: justify;">कोरोना की पहली वेब के बाद मिले वेंटिलेटर का उपयोग दूसरी वेब में नहीं हो सका. पीएम केयर फंड से इन वेंटिलेटर्स की खरीददारी हुई थी. घटिया क्वॉलिटी के वेंटिलेटर्स की खरीद में करोड़ो रुपए खर्च कर दिए गए. यदि उस समय सही वेंटिलेटर्स उपलब्ध कराए गए होते तो कुछ और लोगों की जान बचायी जा सकती थी.</p>
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