योगी आदित्यनाथ पर 2007 में कथित भड़काऊ भाषण देकर दंगे भड़काने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को नोटिस जारी कर चार हफ़्तों के भीतर जवाब मांगा है.
2007 में गोरखपुर और आसपास के इलाक़ो में दंगे हुए थे. योगी आदित्यनाथ पर इसमें शामिल होने और लोगों को भड़काने का आरोप है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस मामले में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए योगी आदित्यनाथ सरकार से सवाल किया कि इस मामले में उन पर मुकदमा क्यों नहीं चलाया जाना चाहिए. अदालत ने सरकार को 4 हफ़्तों के भीतर जवाब देने को कहा है.
मालूम हो कि शीर्ष अदालत इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा इस मामले में मुकदमा रद्द करने के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है.
यह याचिका परवेज़ परवाज़ और असद हयात ने दायर की है. 2008 में असद हयात और परवेज़ ने सीबीआई जांच को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी.
इस याचिका के लंबित रहने के दौरान प्रधान सचिव (गृह) द्वारा मई, 2017 को मुक़दमा चलाने की मंज़ूरी देने से इनकार कर दिया गया था.
इस याचिका में याचिकाकर्ताओं ने अदालत से 2008 में दर्ज हुई प्राथमिकी की एक स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया था.
याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि इस मामले की जांच सीबी-सीआईडी कर रही है और आशंका है कि राज्य की पुलिस इस मामले में निष्पक्ष नहीं रहे, इसलिए इस मामले की जांच एक स्वतंत्र एजेंसी को हस्तांतरित की जाए.
उत्तर प्रदेश सरकार के योगी के खिलाफ मुक़दमे से इनकार के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी आदित्यनाथ के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति नही दी थी, जिसके बाद परवेज़ और असद हयात सुप्रीम कोर्ट पहुंचे