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Sikh Riots: पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश में सिख विरोधी दंगे भड़के थे. देशभर में हुए दंगों की आंच यूपी के कानपुर तक भी फैली थी. कानपुर में सिख विरोधी दंगों में 127 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था. इस बीच, फॉरेंसिक टीम के साथ गई एसआईटी ने कानपुर में 36 साल पहले हुई बर्बरता के निशान भी मिले हैं.
फॉरेंसिक की जांच में एक मकान में जहां खून मिला तो वहीं आग से जलाए जाने के सुबूत भी मिले. किदवई नगर में स्थित तत्कालीन गुरुद्वारे में कथित दंगाइयों ने दो लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी थी. एसआईटी ने दंगों के 36 साल बाद यहां से सबूत जुटाए हैं. सिख समुदाय को अब इंसाफ की उम्मीद जगी है.
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश के बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सिख दंगों की जांच के लिए 2019 में एक एसआईटी का गठन किया था. इस एसआईटी को तमाम शक्तियां दी गई थी. निष्पक्ष जांच करने को कहा गया था. एसआईटी ने 11 मामलों में अपनी जांच पूरी कर ली है. अब इन मामलों में चार्जशीट लगाई जा रही है. इस दौरान एसआईटी ऐसे-ऐसे स्थानों पर पहुंची जहां इसके पहले गठित किए गए जांच दल कभी नहीं गए. एसआईटी की जांच में तेजी के बाद अब सिख समुदाय में इंसाफ की उम्मीद जगी है.
127 लोगों की हुई थी हत्या
रिकॉर्ड के अनुसार, साल 1984 के दंगों में 127 लोगों की हत्या हुईं और सैकड़ों लोग घायल हुए. कानपुर के गोविंद नगर, बर्रा, फजलगंज और अर्मापुर थाना क्षेत्रों में रहने वाले सिखों को सरेआम मारा गया था. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने साल 2019 में एक एसआईटी का गठन किया था.
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