[responsivevoice_button voice="Hindi Female"]
लखनऊ। लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ भी सुरक्षित नहीं हैं, वाह रे पुलिस प्रशासन सरकार के सारे कानून की उडा रहे हैं धज्जियां, जब पत्रकार सुरक्षित नहीं है। तो जनता का क्या हाल होगा। पत्रकार को समाज का आईना कहा जाता है लेकिन आज की पुलिस के बर्ताव से ऐसा लगता है कि उपर्युक्त सभी कथन किताबों में सिमट कर रह गये है।
गाजीपुर जनपद के बिरनो थाने में एक स्तब्ध कर देने वाला विषय प्रकाश में आया है। यहां मान्यता प्राप्त पत्रकार ज्ञान सिंह अपनी फरियाद ले कर थानाध्यक्ष धरमवीर के पास गये लेकिन उनकी मदद करने के बजाये, थानाध्यक्ष पत्रकार ज्ञान सिंह को 24 घंटों से ऊपर थाने बैठाये रहे और उन्हें शारीरिक एवम मानसिक रूप से प्रताड़ित करते रहे।
लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ यानी मीडिया के प्रतिनिधि से शायद इतना घोर दुर्व्यवहार करने वाले ये भूल गये की उन्होंने लोकतंत्र की रक्षा करने की कसम खायी थी, और ज्ञान, तेज एवम बलिदानों से अर्जित इस लोकतंत्र का पत्रकार भी एक अहम हिस्सा है, शायद एसओ साहब वर्दी के नशे में इतने चूर थे की वो भूल गये की जब उनके सीनियरों तक जब यह बात पहुंचेगी तो पुलिस डिपार्टमेंट की कितनी नाक कटेगी।
साथियों अब जागने की जरूरत है कब तक अपने साथियों को शर्मिंदा होते हुए देखते रहेंगे छोटा बड़ा समझ कर आपस में ही लड़ते झगड़ते रहेंगे साथियों हमें एक होने की जरूरत है हम सब एक होंगे तभी सरकार हमारे बारे में कुछ सोचेगी नहीं तो एक-एक करके आए दिन पत्रकारों पर हमले हो रहे हैं, हत्या की जा रही है, कलम को दबाने की कोशिशें की जा रही है, कहीं ना कहीं पत्रकारों पर पुलिस प्रशासन का भी दबाव बनाया जा रहा है।
कोई सुनने वाला नहीं आज हमारे साथ तो कल आपके साथ आए दिन कुछ न कुछ नई नई खबरें आप लोग लिखते रहेंगे और प्रशासन अपने कान में उंगली डाले ही रहेगा कितनी सरकारें आई कितने मुख्यमंत्री-प्रधानमंत्री बने लेकिन लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के बारे में किसी ने आज तक सोचा ही नहीं।