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अब बात जातीय जनगणना के रण की. जिस देश में हर काम जाति को देखकर होता है. उम्मीदवार तक जाति देखकर उतारा जाता है, लेकिन जातिगत जनगणना ना हो तो सवाल बड़ा हो जाता है, क्योंकि 1931 तक या उससे पहले हमारे देश में जातिगत जनगणना होती थी. ये आजादी से पहले की बात है, लेकिन आजादी के बाद कभी जातिगत जनगणना नहीं हुई. पर इस बार उम्मीद थी कि जचो 90 सालों में नहीं हुआ वो अब होगा. समूचा विपक्ष भी सरकार पर दवाब बना रहा था लेकिन सरकार ने हाथ पीछे खींच लिए और साफ कह दिया कि जनगणा नहीं होगी और अब इसपर समूचा विपक्ष लामबंद हो गया है.
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