उत्तर प्रदेश

यात्रियों की सुरक्षा को लेकर रेलवे ने रेस्पॉन्स टाइम चेक करने के लिए किया मॉकड्रिल

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Railway Mock Drill in Bareilly: भारतीय रेल (Indian Railway) जहां एक ओर पूरे विश्व का सबसे बड़ा रोजगार देने वाला संस्थान है. वहीं, इसके यात्रियों की सुरक्षा (Passengers Saftey) को लेकर भी वह कितना गंभीर रहते हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि, भारतीय रेल द्वारा मेला एक्सप्रेस ट्रेन (Mela Express Train) को बरेली के सिटी स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर चार पर  डीरेल होने का मॉक ड्रिल किया गया. जिसमें एनडीआरएफ,  एसडीआरएफ मेडिकल, प्रशासन, रेलवे, फायर बिग्रेड समेत 55 एजेंसियों ने भाग लिया और रिस्पांस टाइम चेक किया गया कि रेलवे में दुर्घटना होने पर कितनी देर में सभी एजेंसियां सक्रिय हो जाती हैं.

ट्रेन दुर्घटना के दौरान बचाव कार्य का मॉक ड्रिल 

प्लेटफॉर्म पर दुर्घटनाग्रस्त ट्रेन और इलेक्ट्रॉनिक कटर से काटते हुए डिब्बे की तस्वीरों को देखकर आप घबराइए नहीं, दरअसल यह एक मॉक ड्रिल का हिस्सा है जिसमें वास्तव में इस तरह की दुर्घटना होने पर किस तरह से बचाव कार्य किया जाता है, इसका रिहर्सल किया जाता है और यह देखा जाता है कि, दुर्घटना होने के बाद जो सूचना भेजी जाती है, उसके बाद सभी बचाव कार्य के लिए जिम्मेदार एजेंसियां कितने समय पर दुर्घटना स्थल पर पहुंचती हैं और वहां पर मौजूद परिस्थितियों के अनुसार किस तरह से बचाव कार्य किया जाता है. इस मॉक ड्रिल में 55 छोटी बड़ी एजेंसियां शामिल थीं, जिसमें प्रमुख रुप से एनडीआरएफ और रेलवे ने संयुक्त रूप से इस मॉक ड्रिल को अंजाम दिया गया.

मॉक ड्रिल में 55 एजेंसिया शामिल हुईं

बरेली इज़्ज़तनगर मंडल पूर्वोत्तर रेलवे के डीआरएम ने बताया कि, जैसे ही ट्रेन के डीरेल होने की सूचना प्रसारित की गई, सभी एजेंसियां सक्रिय हो गईं और मौके पर डिरेल हुए डिब्बों को काटकर यात्रियों को सुरक्षित निकाला गया, जिन यात्रियों को चिकित्सा सुविधा की आवश्यकता थी उनको अस्पताल भिजवाया गया. इस पूरी मॉक ड्रिल में छोटी बड़ी 55 एजेंसी शामिल थी और इसका उद्देश्य रिस्पांस टाइम को चेक करना तो है ही, इसके अलावा सभी एजेंसियों के बीच आपस में तालमेल बनाना है कि वास्तव में दुर्घटना के समय सभी लोग बचाव कार्य में जुड़ सकें.

वहीं, इस रिहर्सल में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आरपीएफ, जीआरपी, लोकल पुलिस-प्रशासन, डॉक्टरों का पैनल, एम्बुलेंस, रेलवे के अधिकारियों समेत 54 एजेंसी लगाई गई थी ताकि भविष्य में अगर ऐसी कोई घटना होती है तो उसे समय पर कंट्रोल किया जा सके.

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