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Lakhimpur हिंसा का शिकार 60 साल के नछत्तर सिंह भी हुए। किसान आंदोलन में बेहद सक्रिय रहने वाले नछत्तर सिंह हमेशा युवाओं को सही राह पर चलने के लिए प्रेरित करते थे। लेकिन उन्हें नहीं पता था कि तिकुनिया में मौत उन पर पीछे से हमला करेगी।
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