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भगवान शिव की नगरी वाराणसी का रोचक है इतिहास, जानिए क्यों है दो-दो विश्वनाथ मंदिर

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Tourist Places in Varanasi: अगर आप छुट्टियों में घूमने का प्लान बना रहे हैं तो भगवान शिव की नगरी वाराणसी एक बेस्ट ऑप्शन हो सकता है. देश के प्राचीनतम शहरों में से एक वाराणसी में आपको हर बार एक मौका मिलेगा जिससे आप अपनी छुट्टियों को यादगार बना सकेंगे.

वाराणसी में घूमने के लिए तो बहुत कुछ है लेकिन हम आपको वाराणसी की कुछ ऐसे पर्यटन स्थल से रूबरू कराएंगे जो आपके टूर को हमेशा के लिए यादगार बना देगी.

दशाश्वमेध घाट

वाराणसी के प्राचीनतम घाटों में से एक दशाश्वमेध घाट है. दशाश्वमेध का शाब्दिक अर्थ दस घोड़ों का बलिदान होता है. यह घाट काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित है. हिन्दू धर्म में इस घाट को पवित्र माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस घाट पर स्नान करके काशी विश्वनाथ के दर्शन करने पर मनुष्यों के सारे पाप कट जाते हैं. अगर आप वाराणसी घूमने जा रहे हैं तो आपको इस घाट पर होने वाली शाम की विश्व प्रसिद्ध आरती जरूर देखनी चाहिए.

काशी विश्वनाथ मंदिर

वाराणसी का प्रमुख मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर है. यहां भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग स्थापित है. अगर इस मंदिर के इतिहास की बात करें तो इसे कई बार तोड़ा और पुनर्निर्माण किया गया. हालांकि काशी विश्वनाथ मंदिर के वर्तमान ढांचे का निर्माण इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने साल 1777 में कराया था.

सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए मंदिर में सेलफोन, कैमरा, धातु की वस्तुएं, सिगरेट और लाइटर आदि ले जाने की अनुमति नहीं है.

संकट मोचन मंदिर

काशी विश्वनाथ मंदिर के बाद वाराणसी का दूसरा प्रसिद्ध मंदिर संकट मोचन मंदिर है. कथाओं के मुताबिक इस मंदिर का निर्माण रामचरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास ने करवाया था. यह मंदिर सुबह 4 बजे से रात के 9 बजे तक खुला रहता है. इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां पूरे दिन हनुमान चालिसा का पाठ होता रहता है. इस मंदिर में काफी बंदर पाए जाते हैं. अगर आप इस मंदिर में जाने की सोच रहे हैं तो खाने-पीने के समानों को छिपा कर रखें वरना बंदर आपके हाथ से छिनकर लेते जाएंगे.

अस्सी घाट

वाराणसी का प्रसिद्ध अस्सी घाट काशी विश्वनाथ मंदिर से करीब 3 किलोमीटर दूर स्थित है. इस घाट पर गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना की थी. श्रद्धालु अक्सर इस घाट पर स्नान करने के बाद एक पेड़ के नीचे बैठकर भगवान शिव का ध्यान लगाते हैं. अगर आप इस घाट पर जाने की सोच रहे हैं तो आपको सुबह 5 बजे इस घाट पर पहुंचना चाहिए. दरअसल इस घाट पर सुबह 5.30 बजे गंगा आरती शुरू होती है. आरती खत्म होने के बाद आप यहां स्थित योग शिविर में भाग ले सकते हैं.

रामनगर का किला

अगर आपकी इतिहास में दिलचस्पी है तो आपको वाराणसी के रामनगर किला जाना चाहिए. अस्सी घाट से आप नाव से या ऑटो की मदद से रामनगर किला जा सकते हैं. यह किला 17वीं शताब्दी में बनावाया गया था. यह किला सालों तक वाराणसी के राजवंश का महल रहा है. हालांकि अब इसकी दिवारों दरार आ चुकी हैं. रामनगर किले के भीतर आपको इतिहास से जुड़ी तमाम चीजें देखने को मिलेगी.

कथवाला मंदिर

गंगा किनारे स्थित कथवाला मंदिर को नेपाली मंदिर भी कहा जाता है. यह मंदिर अपने काष्ठकला पर आधारित वास्तुकला के लिए जानी जाती है. इस मंदिर में काली लकड़ियों पर उकेरी गई नक्काशी अपनी ओर ध्यान आकर्षित करती है. यह मंदिर ललिका घाट पर बना हुआ है. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसे नेपाल के राजा ने बनवाया था.

मणिकर्णिका घाट

ललिता घाट से आगे वाराणसी की एक और प्रसिद्ध घाट मणिकर्णिका घाट है. मुख्यतः इस घाट पर लाशों का दाह संस्कार किया जाता है. इस घाट पर 24 घंटे चिताएं जलती रहती हैं. इस घाट के बारें में ऐसा कहा जाता है कि यहां दाह संस्कार किए जाने वाले लोगों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

सारनाथ

वाराणसी कैंट स्टेशन ने तकरीबन 12 किलोमीटर दूर सारनाथ स्थित है. यह वहीं स्थान है जहां भगवान बुद्ध ने 528 ईसापूर्व में पहली बार अपने 5 शिष्यों को ज्ञान दिया था. सारनाथ चीनी यात्री फाह्यान भी आ चुका है. सारनाथ में धर्मराजिका स्तूप है जिसका निर्माण सम्राट अशोक ने कराया था. सारनाथ में आपको भगवान बुद्ध के बारे में और अच्छे से जानने का मौका मिलेगा. इसके अलावा यहां अशोक स्तंभ हिरणों का एक पार्क और पुरातत्व विभाग का संग्रहालय है.

नया विश्वनाथ मंदिर

नया विश्वनाथ मंदिर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU)  के परिसर में बना हुआ है. इस मंदिर का निर्माण प्रसिद्ध उद्यमी बिड़ला समूह द्वारा कराया गया है. इस मंदिर की संरचना काशी विश्वनाथ मंदिर के आधार पर ही की गई है. नए विश्वनाथ मंदिर की खास बात यह है कि यह 7 मंदिरों का समावेशी रूप है. इस मंदिर के प्रथम तल पर भगवान शिव, द्वीतीय तल पर देवी दुर्गा और लक्ष्मी नारायण की प्रतिमा स्थापित है.     

दुर्गाकुंड का दुर्गा मंदिर

वाराणसी के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक दुर्गाकुंड में स्थित दुर्गा मंदिर भी है. यहां हजारों श्रद्धालु देवी दुर्गा के दर्शन करने आते हैं. यह मंदिर लाल पत्थरों से बना हुआ है. ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में बंगाल की रानी भवानी ने करवाया था.

वाराणसी में इनका उठाए लुफ्त

नौका विहार अगर आप वाराणसी घूमने आ रहे हैं तो यहां पर नौका विहार का लुफ्त जरूर उठाइंएगा. शाम के वक्त आप अस्सी घाट से लेकर मणिकर्णिका घाट तक नौका विहार का आनन्द ले सकते हैं. इसके अलावा नौका विहार करते हुए शाम की गंगा आरती में भी शरीक हो सकते हैं.

गंगा आरती- वाराणसी का गंगा आरती विश्व प्रसिद्ध है, वैसे शहर के कई घाटों पर गंगा आरती होती है, लेकिन दशाश्वामेध घाट पर होने वाली शाम की आरती खास है. आरती देखने के लिए हर रोज तकरीबन 20 हजारों लोग घाटों पर एकत्रित होते हैं.

बनारसी पान- वाराणसी मंदिरों के अलावा अपने पान के लिए भी प्रसिद्ध है. जब भी आपको बनारस आने का मौका मिले तो यहां के पान का मजा जरूर लिजिएगा.

शॉपिंग- काशी विश्वनाथ मंदिर से दशाश्वमेध घाट वाले रास्ते पर आपको तमाम दुकानें दिखेंगी. आप यहां से बनारसी साड़ी या अन्य कपड़ों की शॉपिंग कर सकते हैं. इसके अलावा आप बनारस के दूसरे हिस्सों से भी शॉपिंग कर सकते हैं. हालांकि बनारस की गलियां थोड़ीं संकरी है लेकिन इन गलियों में लगने वाला बाजार हमेशा गुलजार रहता है.

 

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