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गोरक्षपीठ की परंपराएं अद्भुत होती हैं जिसका हर साल पूरे उत्साह के साथ पालन होता है। यहां हर साल विजयादशमी की रात में विशेष पात्र पूजा होती है। जिसमें गोरक्ष-पीठाधीश्वर दंडाधिकारी की भूमिका में होते हैं। नाथ परंपरा के तहत यहां संतों और योगियों की प्रतीक रूप में अदालत लगती है। विजयादशमी की रात में यहां गोरक्ष पीठाधीश्वर संतों के विवाद का निपटारा करते हैं।
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