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लोकसभा ही नहीं विधानसभा चुनाव में भी चलेगा सपा-बसपा का गठबंधन : मायावती , मायावती का अपनाम मेरा अपमान : अखिलेश

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लखनऊ, । आखिरकार राजनीतिक सुगबुगाहट और मीडिया में रही सुर्खियों के अनुरूप शनिवार को बहुजन समाज पार्टी व समाजवादी पार्टी ने महागठबंधन का औपचारिक एलान कर दिया। दोनों दलों के मुखिया मायावती और अखिलेश यादव ने भाजपा के खिलाफ एक साथ मिलकर आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की। साथ ही चुनाव के लिए मायावती-अखिलेश ने उ.प्र. की लोकसभा सीटों का बराबर-बराबर बंटवारा भी कर लिया। हालांकि सूबे की कुल 80 सीटों में से चार सीटें कांग्रेस समेत अन्य दलों के लिए छोड़ गयी हैं। यही नहीं यह भी एलान किया गया कि अगले 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी यह गठबंधन चलेगा।
शनिवार को एक पंच सितारा होटल में आयोजित सपा-बसपा की संयुक्त प्रेस वार्ता में दोनों दलों के राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती और अखिलेश यादव मौजूद रहे और एक-दूसरे का स्वागत कर महागठबंधन का एलान किया। सपा के साथ मिलकर आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा करते हुए बसपा मुखिया मायावती ने कहा कि यह प्रेस कॉन्फ्रेंस गुरु-चेला यानि पीएम नरेन्द्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की नींद उड़ाने वाली है। तभी तो गठबंधन की भनक लगते ही भाजपा ने सपा अध्यक्ष को फंसाने के लिए खनन मामले में उनका नाम उछाला, पर हम हर स्तर पर अखिलेश यादव के साथ हैं।
मायावती ने कहा कि भाजपा के अहंकार को खत्म करने लिए ये गठबंधन जरूरी था। उन्होंने कहा कि बेईमानी से भाजपा ने यूपी में सरकार बनाई है। भाजपा को आगे आने से रोकने के लिए हम पहले ही उपचुनावों में गठबंधन कर चुके हैं। मायावती ने कहा कि हमारे (सपा-बसपा) गठबंधन से देश में उम्मीद जगी है। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य बीजेपी एंड कम्पनी को रोकना है। इसलिए गेस्ट हाउस कांड से ऊपर उठकर देश और जनता की व्यापक जनभावनाओं के अनुरूप हमने यह गठबंधन किया है।
मायावती ने बताया कि यूपी में लोकसभा की कुल 80 सीटों में से सपा-बसपा बराबर-बराबर 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। बाकी चार में से दो रायबरेली व  अमेठी सीट कांग्रेस के लिए छोडी, ताकि इससे भाजपा को लाभ न मिले। जबकि दो सीटें अन्य दलों के लिए छोड़ दी गई है।
एक सवाल पर मायावती ने कहा कि हमारा कांग्रेस से गठबंधन नहीं होगा। कहा कि कांग्रेस का वोट कभी किसी दूसरे दल को ट्रांसफर नहीं होता। 1996 में हमने और 2017 में अखिलेश यादव ने समझौता कर के देख लिया। उन्हांंने कहा कि 1977 की तरह ही आगामी लोकसभा चुनाव होगा। हमारा गठबंधन भाजपा को उत्तर प्रदेश से रोक देगा। अगर वोटिंग मशीन में गड़बड़ी नहीं हुई तो हम जीतेंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कार्यकाल में घोषित इमरजेंसी थी, अब भाजपा में अघोषित इमरजेंसी है। बोफोर्स घोटाले से कांग्रेस गयी थी और अब रॉफेल से भाजपा सरकार जाएगी। कौन किस सीट से चुनाव लड़ेगा, के सवाल पर मायावती ने कहा कि जल्द ही पता चल जाएगा कि कौन किस सीट से लड़ेगा। उन्होंने कहा कि अगले 2022 में होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव में भी यह गठबंधन चलेगा।
वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रेस वार्ता में कहा कि भाजपा का कार्यकाल जातिवाद का चरम काल है। उत्तर प्रदेश जातीय प्रदेश बन गया है, जिसमें शरीफों का जीना मुश्किल हो गया है। फर्जी एनकाउंटर किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आगामी चुनाव में सपा-बसपा मिलकर यूपी से भाजपा का सफाया करेंगे। अखिलेश ने कहा कि  भाजपा ने जब मायावती पर अशोभनीय टिप्पणी की थी, तभी मैंने गठबंधन का मन बना लिया था। भाजपा के अहंकार के विनाश के लिए सपा-बसपा का मिलना जरूरी था।
उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं को चेतावनी देते हुए कहा कि भाजपा कार्यकर्ता समझ लें कि आज से मायावती का अपमान हमारा अपमान है। अब अगर भाजपा का कोई नेता मायावती का अपमान करता है तो, वह मेरा अपमान होगा।
मायावती को प्रधानमंत्री बनाने के सवाल पर अखिलेश ने स्पष्ट जवाब न देते हुए गोलमोल जवाब दिया और कहा कि यूपी ने हमेशा पीएम दिया है। हमें खुशी है कि यहां से प्रधानमंत्री बने।

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