उत्तर प्रदेश

अयोध्या: सूर्य की किरणों से होगा रामलला का अभिषेक, आधुनिक टेक्नोलॉजी से होगी मंदिर की सुरक्षा

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Ayodhya News: अयोध्या के सर्किट हाउस में राम मंदिर निर्माण समिति व श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की दूसरे दिन की  बैठक का आयोजन किया गया. इस बैठक में प्रत्येक रामनवमी में रामलला का सूर्य की किरणों से अभिषेक, आधुनिक प्रकाश व्यवस्था व आधुनिक सुरक्षा को लेकर मंथन किया गया. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि प्रधानमंत्री ने अंतरिक्ष वैज्ञानिकों से अपील की है कि वे ऐसी तकनीक खोजे ताकि सूर्य की किरणों से रामलला का अभिषेक हो सके. ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि आज की बैठक में राम मंदिर में प्रकाश व सुरक्षा व्यवस्था पर भी चर्चा हुई. मंदिर के अंदर प्रकाश कैसा हो, विशेष अवसरों पर किस तरह का प्रकाश व्यवस्था हो, मंदिर का बाहरी भाग कैसे प्रकाशित हो, प्रकाश को सदैव एक सा रहने का प्रयास किया जा रहा है.

त्योहारों पर कैसी होगी राम मंदिर में लाइटिंग

आम दिनों में व त्योहारों पर प्रकाश कैसा हो, जन्मोत्सव के अवसर पर लाइटिंग की व्यवस्था कैसी हो, इस पर भी चर्चा हुई है. चंपत राय ने बताया कि राम मंदिर के अंदर दीवारों व खंभो पर मूर्तियां बनाई जाएंगी. परकोटा के अंदर भी बनाई मूर्तियां जाएंगी जिसमे दशावतार, नवग्रह, शक्ति पीठ की मूर्तियां बनाई जाएंगी.

बिजली के लिए नहीं होगा तार का प्रयोग

बिजली के लिए आधुनिक तकनीक का प्रयोग होगा. बिजली के लिए तारों का प्रयोग नहीं होगा. जिस तरह से साउंड सिस्टम बेतार का होता है वैसी ही प्रकाश व्यवस्था की जायेगी. मंदिर में हमेशा भजन बजता रहेगा. राम मंदिर की सुरक्षा भी आधुनिक होगी. सुरक्षा में तकनीक का प्रयोग होगा. सुरक्षा में मैन पावर का कम प्रयोग होगा. बैठक की अध्यक्षता राम मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्र ने की. बैठक में ट्रस्ट के पदाधिकारी सदस्य के अलावा टाटा कंसल्टेंसी व एलएनटी के एक्सपर्ट भी रहे मौजूद.

आधुनिक तकनीक से होगी मंदिर की सुरक्षा

श्री राम जन्मभूमी तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि एक विचार यह भी आया कि बिजली के लिए तार डालना पड़ता है. आजकल साउंड सिस्टम बिना तार का आ गया है. ऐसे ही बिना तार का उपयोग किए लाइटिंग सिस्टम भी हो सकता है. यह चर्चाएं सामान्यता बड़ी विशेषताएं की बात थी. हम तो श्रोता थे इन बातों के विशेषज्ञ नहीं है. साधु महात्मा भी इन चीजों के विशेषज्ञ नहीं है तो उस इंजीनियरिंग सिस्टम को हमने सुनने और समझने की कोशिश की है. इसके विशेषज्ञ मूर्ति आइकोनोग्राफी के विशेषज्ञ सोमपुरा हैं. वह अपने साथ दूसरे आदमी को लाए थे.

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