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पूरे देश में कोरोना वायरस ने जमकर कहर बरपाया, इस जानलेवा बीमारी ने न जाने कितने लोगों की जान ले ली है. कोरोना के रफ्तार थामने के लिए और लोगों को इससे सुरक्षित रखने के लिए भारत सरकार बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन के काम पर जोर दे रही है. रोजाना वैक्सीन लगवाने वालों के रिकॉर्ड तोड़ आंकड़े पेश कर रही है. लेकिन उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में कुछ अलग ही मामला सामने आया है.
दरअसल, गाजियाबाद में एक बुजुर्ग की मौत के छह महीने बाद उनके मोबाइल पर कोरोनारोधी टीका के दूसरे डोज लगने का मैसेज आया. मृतक बुजुर्ग का मोबाइल इन दिनों उनका बेटा इस्तेमाल कर रहा था. उसपर एक लिंक आया था, उनके बेटे ने मैसेज में आए लिंक को डाउनलोड किया तो उनका कोरोना निरोधक वैक्सीन प्रमाण पत्र भी डाउनलोड हो गया. जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग अब इस लापरवाही पर पर्दा डालने में लगा है. इस मामले की शिकायत कविनगर क्षेत्र ने रहने वाले दुष्यंत पुंडीर ने नगरीय स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी से की तो उन्होंने विभाग के उच्चाधिकारियों का नंबर देते हुए कहा कि जहां शिकायत करनी हो कर दो उनका ये रवैया बेहद हैरान जनक था.
क्या है पूरा मामला
मामले की जानकारी देते हुए शास्त्री नगर के रहने वाले दुष्यंत पुंडीर ने बताया कि उनके घर के सामने गाजियाबाद के शास्त्रीनगर सी ब्लॉक में विश्व बिहारी सक्सेना रहते थे. उन्होंने 20 मार्च 2021 को कोवीशील्ड वैक्सीन का पहला डोज लगवाया था. जिसके बाद सात मई को बीमारी के चलते उनकी मौत हो गई, और अब 18 अक्तूबर की शाम को उनके बेटे कपिल सक्सेना को बुजुर्ग के मोबाइल नंबर पर मैसेज आया. जिसमें विश्व बिहारी सक्सेना को दूसरा डोज लगने की सूचना के साथ ही प्रमाण पत्र डाउनलोड करने का लिंक आया. लिंक को कपिल ने लिंक खोला तो उनके पिता के नाम से कोरोना निरोधक प्रमाण पत्र डाउनलोड बड़ी आसानी से हो गया.
दोषियों के खिलाफ होगी कार्रवाई
इस मामले की जानकारी जब पार्षद अर्चना सिंह को लगी तो उन्होंने कहा कि सरकार पूरे टीकाकरण योजना को लेकर गंभीरता बरत रही है. लेकिन स्थानीय स्तर पर सरकारी अधिकारी टीकाकरण की संख्या बढ़ाने को लेकर फर्जीवाड़ा करने में हैं. अर्चना सिंह ने कहा जिस व्यक्ति की छह महीने पहले मौत हो चुकी है, उसका भी वैक्सीनेशन अपडेट होना अधिकारियों की लापरवाही का ही नतीजा है. इस मामले की शिकायत की जाएगी. इस मामले में सीएमओ डॉ. भवतोष शंखधार का कहना है कि यह बेहद गंभीर मामला है मामले की जांच के लिए टीम गठित की जा रही है. जो भी मामले में दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
बहरहाल इस पूरे मामले को देख कर तो लगता है कि सरकारी अधिकारी लगातार कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर लगातार लापरवाही बरत रहे हैं. जिसके चलते कोरोना वैक्सीन घोटाला होने की पूरी संभावना बनी हुई है.
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