[responsivevoice_button voice="Hindi Female"]
फतेहपुर, 07 फरवरी 2019। केंद्र व प्रदेश सरकार बेरोजगारों को रोजगार दिए जाने की पहल कर रही है, लेकिन यूपी में इन दिनों मदरसे के सहायक अध्यापक भुखमरी की कगार में है। तीन साल से वेतन ना मिलने से एक शिक्षक इलाज के अभाव में जान जा रही हैं। ताजा मामला फतेहपुर जिले का है जहाँ मदरसों के 198 शिक्षक इन दिनों भुखमरी की कगार में है और सरकार से वेतन दिए जाने की मांग कर रहे हैं। तीन सालो से बिना वेतन मदरसों के शिक्षक बच्चो को शिक्षा देकर होनहार बनाने में लगे हुए है, लेकिन खुद के बच्चो को शिक्षा नहीं दिला पा रहे हैं। जिले के मदरसे का हाल इतना ज्यादा खराब है कि दर्जनों सहायक शिक्षक दूसरे बच्चो को अच्छी शिक्षा देने के लिए प्रयास कर रहे है, लेकिन खुद के बच्चो को शिक्षा नहीं दिला पा रहे हैं। शिक्षकों के बच्चो की फीस स्कूलों में ना जमा हो पाने से बच्चो के नाम काट घर भेज दिए जा रहे हैं।
मदरसे के सहायक अध्यापक शैलेन्द्र अवस्थी, इरशाद अहमद, रकीमा बानो, रूकैया बानो की माने तो पिछले तीन वर्षो से उनको वेतन नहीं दिया जा रहा हैं। वेतन पाने की आस में बैठे है की अब सैलरी आएगी और आर्थिक तंगी दूर हो जाएगी, लेकिन सैलरी न आने से इलाज तक नहीं करा पा रहे हैं। वहीं प्रिंसिपल उबैर रहमान की माने तो सैकड़ो मदरसों के सहायक अध्यापक है जिनकी सैलरी 36 महीने से ना आने पर परेशान है किसी तरह यहाँ आकर बच्चो को पढ़ाते है, लेकिन खुद के बच्चो की फीस नहीं जमा कर पा रहे है जिससे उनके बच्चे परेशान है। हालांकि इस मामले में जब अल्पसंख्यक अधिकारी वर्षा अग्रवाल से बात की तो उनका कहना था लगभग 198 सहायक अध्यापक है जिन्हे तीन सालो से वेतन नहीं मिला है जिसके लिए शासन को पत्र भेजा गया हैं। केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा आधुनिकीकरण शिक्षकों को वेतन दिया जाता है। केंद्र 60 प्रतिशत और प्रदेश सरकार 40 प्रतिशत देती है। केंद्र सरकार द्वारा पैसा ना मिलने से सहायक अध्यापक परेशान है। बहुत से शिक्षक आते है, लेकिन कुछ नहीं कर पाते उनकी शिकायत की कापी शासन को भेज दी जाती है।