उत्तर प्रदेश

Chhath Puja: गोरखपुर में नजर आ रहा है छठ महापर्व का उत्साह, तैयारियों में जुटी हैं महिलाएं 

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Chhath Puja Preparation in Gorakhpur: वैश्विक महामारी कोरोना की दूसरी लहर के बाद छठ महापर्व का उत्साह लोगों में दिखाई दे रहा है. छठ की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. पुत्र रत्न की प्राप्ति के साथ परिवार में खुशहाली और समृद्धि के साथ दीर्घायु की कामना के लिए महिलाएं छठ मईया (Chhathi Maiya) का व्रत करती हैं. बिहार-झारखंड के साथ यूपी और देश-दुनिया में छठ महापर्व का उत्साह दिखाई दे रहा है. इस व्रत में परिवार और समाज में सुख शांति के लिए भी महिलाओं द्वारा कामना की जाती है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के शहर गोरखपुर (Gorakhpur) में भी छठ की तैयारियां जोरों पर हैं. महिलाएं परिवार के साथ घाट पर वेदियां बनाने में जुटी हैं.

तैयारियों में जुटी हैं महिलाएं 
गोरखपुर के महेश्वरा घाट पर महिलाएं पति और बच्चों के साथ छठ मईया की पूजा के लिए वेदियां बना रही हैं. छठ का महापर्व इस बार सोमवार 8 नवंबर से नहाय-खाय के साथ शुरू होगा. मंगलवार 9 नवंबर को खरना, बुधवार 10 नवंबर को अस्ताचलगमी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद 11 नवंबर यानी गुरुवार को सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ का महापर्व संपन्न होगा. महिलाएं छठ के महापर्व और कठिन व्रत के लिए घाट पर पति और परिवार के लोगों के साथ तैयारी में जुटी हैं.

छठ मईया से जो मांगते हैं वो पूरा करती हैं
सुनीता पति कैलाश और परिवार के साथ यहं पर आईं हैं. सुनीता बताती हैं कि पिछले 20 साल से छठ मईया का व्रत कर रही हैं. वो बताती हैं कि छठ मईया से जो मांगते हैं, वो पूरा करती हैं. उन्होंने बताया कि उनकी तीन बेटियां हैं और दो बेटे हैं. बेटे की मुराद पूरी होने के बाद से व्रत कर रही हैं. ये व्रत निर्जला करते हैं. कैलाश बताते हैं कि वो वेदी बना रहे हैं. उन्होंने बताया कि पहले दिन पांच फल और गन्ना आदि लेकर पूजा-पाठ किया जाता है. ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. उसके बाद दूसरे दिन भोर में उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद से व्रत पूरा हो जाता है.

संतान प्राप्ति के लिए करती हैं व्रत 
संजू रामगढ़ताल की रहने वाली हैं. उनका सिक्टौर मानीराम के महेश्वरा में ससुराल है. वो अपने पति गुड्डू के साथ महेश्वरा घाट पर वेदी बनाने के लिए आई हैं. वो बताती हैं कि वो 15 साल ये व्रत कर रही हैं. उन्होंने बताया कि वो निर्जला व्रत रहती हैं. उनकी कोई संतान नहीं है. संतान प्राप्ति के लिए वो ये कठिन व्रत हर साल करती हैं. उन्हें विश्वास है कि छठी मईया एक दिन उनकी मुराद जरूर पूरी करेंगी.

मां में है आस्था 
गुड्डू बताते हैं कि उनकी पत्नी संजू व्रत करती हैं. उन्होंने बताया कि वो पत्नी की मदद करने के लिए यहां पर वेदी बनाकर उसे रंगने के लिए आए हैं. उनके बच्चे नहीं हैं. पत्नी 15 साल से व्रत कर रही हैं. पूरा विश्वास है कि छठी मईया उनकी मुराद जरूर पूरी करेंगी. मां में काफी आस्था है. डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद दूसरे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही व्रत पूरा होगा.

कठिन होता है व्रत 
बता दें कि, छठ के पहले घाट पर वेदियां बनाने का सिलसिला शुरू हो चुका है. महिलाएं परिवार के साथ वेदियां बनाने में जुटी हैं. छठ के महापर्व पर लाखों की संख्या में महिलाएं इस कठिन व्रत का बेटे और परिवार की खुशहाली के लिए निर्वहन करती हैं. ऐसे में इस व्रत के महत्व को आसानी से समझा जा सकता है.

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