उत्तर प्रदेश

UP Election 2022: अगर योगी आदित्यनाथ विधानसभा चुनाव लड़ेंगे तो किस सीट से?

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उत्तर प्रदेश में अब इस बात पर चर्चा तेज हो गई है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) विधानसभा (UP Assembly Election 2022) का चुनाव लड़ेंगे या नहीं. और अगर लड़ेंगे सीट कौन सी होगी. अभी शनिवार को ही योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि उनकी पार्टी जहां से कहेगी, वो वहां से चुनाव लड़ लेंगे. योगी आदित्यनाथ ने अब तक विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा है. वो 2017 में मुख्यमंत्री बनने से पहले तक लोकसभा के सदस्य थे. योगी आदित्नाथ 1998 में पहली बार गोरखपुर (Gorakhpur)से लोकसभा सांसद चुने गए. वो लगातार 5 बार से गोरखपुर से लोकसभा का चुनाव जीते. लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने विधानपरिषद की राह चुनी. आइए जानते हैं कि योगी आदित्यानाथ की चुनाव लड़ने की संभावनाएं क्या हैं. 

उत्तर प्रदेश में क्या चाहती है बीजेपी?

अमित शाह ने 29 अक्तूबर को लखनऊ में बीजेपी के सदस्यता अभियान की शुरुआत की. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि 2024 में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए जरूरी हैं कि 2022 में यूपी में योगी की सरकार बनें. बीजेपी ने यह साफ भी कर दिया है कि 2022 के चुनाव में वो योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर ही चुनाव लड़ेगी. 

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योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि पार्टी जहां से कहेगी वो चुनाव लड़ लेंगे. इसके बाद से अनुमान लगाया जा रहा है कि योगी अगर चुनाव लड़ेंगे तो कहां से लड़ेंगे. ऐसे में उनके लिए पहली मुफीद सीट गोरखपुर (शहर) की मानी जा रही है. पिछले 3 दशक में बीजेपी इस सीट से कभी नहीं हारी है. योगी आदित्यनाथ जिस गोरखनाथ मंदिर के महंथ हैं. वह गोरखपुर (ग्रामीण) विधानसभा सीट में आता है. यह सीट परिसीमन के बाद 2009 में अस्तित्व में आई है. इससे पहले मंदिर मानीराम विधानसभा सीट में था. योगी के गुरु महंत अवैद्यनाथ 5 बार इस सीट से जीते थे. ये दोनों सीटें योगी के लिए मुफीद हैं. लेकिन गोरखपुर (शहर) में डॉक्टर राधामोहन दास अग्रवाल उनके लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं. वो अभी इसी सीट से विधायक हैं. संघ की शाखा के रास्ते राजनीति में आए डॉक्टर अग्रवाल 2002 में हिंदू महासभा के टिकट पर चुनाव जीते थे. एक समय वो योगी आदित्यनाथ के सबसे करीबी थे. लेकिन अब रिश्ते पहले जैसे नहीं रहे. डॉक्टर अग्रवाल एक स्वच्छ छवि वाले नेता हैं. विरोधी दल के नेता भी उनका सम्मान करते हैं. अगर उनका टिकट कटा तो विपक्ष की कोई भी पार्टी उन्हें अपना उम्मीदवार बना सकती है. यह योगी आदित्यनाथ के लिए परेशान करने वाली बात होगी.

हिदुत्व की राजनीति और अयोध्या

अयोध्या को मंदिरों और साधु-संतों की नगरी कहा जाता है. यह दुनियाभर के हिंदुओं की आस्था का केंद्र है. ऐसे में 24 घंटे हिंदुत्व को जीने वाले योगी आदित्यनाथ के लिए अयोध्या भी मुफीद सीट हो सकती है. पिछले चुनावों तक अयोध्या का राम मंदिर बीजेपी की राजनीति का केंद्रीय मुद्दा था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले से वहां अब राम मंदिर का निर्माण हो रहा है. इसलिए मंदिर अब उतना बड़ा मुद्दा नहीं रहा है. लेकिन बीजेपी इस मुद्दे को जिंदा रखना चाहती है. योगी आदित्यनाथ के अयोध्या से चुनाव लड़ने से बीजेपी की यह मंशा पूरी हो सकती है.

अयोध्या के अलावा लखनऊ कैंट सीट भी योगी आदित्यनाथ के मुफीद है. लेकिन वह सुविधा के नजरिए से. यह सीट लखनऊ में है. इसलिए योगी आदित्यनाथ के लिए यहां से प्रचार करना बहुत मुश्किल भी नहीं होगा. रीताबहुगुणा जोशी 2017 में यहां से जीती थीं. लेकिन 2019 में उनके सांसद बनने के बाद हुए उपचुनाव में भी बीजेपी के सुरेशचंद्र तिवारी जीते. यह सीट इसलिए भी योगी के लिए मुफीद होगी कि यहां केवल कांग्रेस और बीजेपी का ही कब्जा रहा है. साप-बसपा के खाते में कभी भी यह सीट नहीं आई है.

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