उत्तर प्रदेश

महोबा क्यों फेमस है? यहीं से पीएम मोदी करेंगे यूपी चुनाव का शंखनाद

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PM Modi Mahoba Visit: यूपी विधानसभा चुनाव- 2022 को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने तैयारी तेज कर दी है. इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चुनावी मैदान में उतरने वाले हैं. पीएम मोदी बुंदेलखंड से 19 नवम्बर को चुनावी बिगुल फूंकने जा रहे हैं और महोबा तथा झांसी से चुनाव प्रचार का आगाज करेंगे. इस दौरान वे एक दशक बाद पूरी हुई अर्जुन सहायक परियोजना का लोकार्पण करेंगे. इस मौके पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहेंगे.

अर्जुन सहायक परियोजना के जरिये ही पीएम मोदी एक बार से जनता के मन को जीतने के लिए कहीं न कहीं महोबा से चुनावी बिगुल को फूंक रहे हैं. इस मौके पर आइये हम आपको बताते हैं कि महोबा क्यों फेमस है?

राहिला सागर सूर्य मंदिर

महोबा में कई ऐसे दार्शनिक स्थल है, उनमें से एक है राहिला सागर सूर्य मंदिर, जिसका इतिहास बहुत पुराना है. महोबा में राहिला सागर सूर्य मंदिर को चंदेलों ने लगभग 1000 साल से भी पहले बनाया था. यह मंदिर महोबा से 3 किमी दूर दक्षिण-पश्चिम में मिर्तला और रहीलिया गांव के पास स्थित है. बताया जाता है कि इस मंदिर में लंबे समय तक सत्ता में बने रहने के लिए चंदेल राजा सूर्य की पूजा करते थे. इसका निर्माण 5वें चंदेला शासक राहिला देव वर्मन ने अपने शासन काल (890 ईस्वी – 915 ईस्वी) के दौरान किया था, जिसका नाम राजा राहिला देव के नाम पर रखा गया था.

PM Modi Mahoba Visit: महोबा क्यों फेमस है? यहीं से पीएम मोदी करेंगे यूपी चुनाव का शंखनाद

चंदेल ने (जिन्हें चंद्रवंशी भी माना जाता है) 9वीं से 13वीं शताब्दी तक बुंदेलखंड क्षेत्र पर शासन किया. उनकी राजधानी खजुराहो में थी, जिसे बाद में उन्होंने महोत्सव नगर (महोबा) में बदल दिया. वेअपने शासन के दौरान बनाए गए मंदिरों के लिए लोकप्रिय हो गए.  इसके उदाहरण खजुराव, कालिंजर और महोबा के मंदिरों में देखे जा सकते हैं. कुतुबुद्दीन ऐबक ने मध्य भारत में अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए 1202-03 ईस्वी में बुंदेलखंड पर हमला किया और कालिंजर किले पर कब्जा कर लिया, जिसे पहले अभेद्य माना जाता था. ऐबक चंदेलों को हटाने और इस क्षेत्र पर कब्जा करने में सफल रहा. उसने महोबा और खजुराहो पर भी कब्जा कर लिया. इसके बाद खजुराहो, कालिंजर और राहिलिया सागर सूर्य मंदिर और कई मंदिरों को नष्ट कर दिया.

ऐसा कहा जाता है कि चंदेल शासकों ने अपने शासन काल में 10 से अधिक मंदिरों का निर्माण करना राजा की परंपरा और सामाजिक कर्तव्य बना दिया था. उस समय लगभग 120 मंदिर मौजूद थे जो अब घटकर 20 मंदिर हो गए हैं.

कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां एक मेला लगता है तथा इसी के पास पवित्र सूरज कण्ड भी है. इसी के समीप राहिल सागर से लगा हुआ एक मन्दिर भी है, जहां भगवान शिव की प्रतिमा है तथा इसी के सन्निकट एक सूर्य प्रतिमा है यह प्रतिमा लगशग 4 फूट की है और अराधना मुद्रा में है. इसके अलावा यहां पर दिसरापुर सागर, विजय सागर झील, कीरत सागर, मदन सागर, गोरख पहाड़ी, कल्याण सागर जैसे दार्शनिक स्थल भी है.

ऐसे में पीएम मोदी यहां से चुनावी बिगुल फूंक कर कहीं न कहीं देश की पुरानी सभ्यताओं को याद दिलाएंगे और जनता को अपनी तर जोड़ने की कोशिश करेंगे. वहीं 19 नवम्बर को महारानी लक्ष्मी बाई की 193 वीं जयंती भी है. ऐसे में लक्ष्मी बाई की जयंती को भी ध्यान में रखकर 19 नवम्बर की तारीख को हरी झंड़ी दी गई है.

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