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आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि उनकी पार्टी सच्चे हिंदुत्व के रास्ते पर चल रही है. वो बुधवार को एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में बोल रहे थे.
उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी देश के 130 करोड़ लोगों को एकजुट करना चाहती है. उन्होंने कहा कि कहा कि धर्म के नाम पर लोगों को बांटना, दंगे भड़काना और दलितों पर अत्याचार करना हिंदुत्व नहीं है. उनका कहना था कि एक इंसान को दूसरे इंसान से जोड़ना ही हिंदुत्व है. दरअसल इस बयान के बहाने ने आप के प्रमुख ने बीजेपी को निशाने पर लिया है. जिससे उन्हें अगले साल होने वाले यूपी, उत्तराखंड, पंजाब और गोवा के चुनाव में मुकाबला करना है. आम आदमी पार्टी इन राज्यों के चुनाव मजबूती से लड़ने की कोशिश कर रही है.
उत्तर प्रदेश में कितना सक्रिय है आम आदमी पार्टी
अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराना चाहती है. आप के यूपी प्रभारी और राज्य सभा सांसद संजय सिंह पिछले साल से ही यूपी में सक्रिय हैं. पहले उन्होंने ब्राम्हणों पर कथित अत्याचार और कोरोना से निपटने में हुए भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया. इसको लेकर यूपी सरकार ने उनपर कई मुकदमें भी दर्ज कराए थे.
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संजय सिंह ने इस साल सितंबर में ‘तिरंगा यात्रा’ निकालने की शुरूआत की. लखनऊ, आगरा और नोएडा जैसे शहरों में तिरंगा यात्रा आयोजित की गई. अयोध्या में भी तिरंगा यात्रा निकाली गई. इसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी शामिल हुए. संजय सिंह ने इसे ‘असली बनाम फर्जी राष्ट्रवाद’ की लड़ाई बताया था.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 25-26 अक्तूबर को अयोध्या का दौरा किया. इस दौरान वो रामजन्मभूमि और हनुमानगढ़ी का दर्शन करने गए और सरयू की आरती में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने ऐलान किया कि उनकी सरकार दिल्ली के बुजुर्गों को अयोध्या की मुफ्त यात्रा करवाएगी. वहीं जब वो गोवा गए तो वहां भी उन्होंने यह कहा कि अगर उनकी सरकार बनी तो गोवा के बुजुर्गों को अयोध्या की यात्रा करवाई जाएगी.
विधानसभा चुनाव पर है आम आदमी पार्टी की नजर
अदरअसल आम आदमी पार्टी अपनी इस राजनीति के जरिए बीजेपी को घेरने की कोशिश कर रही है. वह बीजेपी के ही पिच पर उसे घेरने कोशिश कर रही है. हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की राजनीति बीजेपी का ट्रेडमार्क है. इस समय आदमी पार्टी इसमें सेंध लगाने की कोशिश कर रही है. अगले साल जिन 5 राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं, उनमें से उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और गोवा में आप को बीजेपी से मुकाबला करना होगा. इनमें से तीन राज्यों में बीजेपी सत्ता में है.
इस समय देश की राजनीति सांप्रदायिकता विरोधी, राष्ट्रवाद और साफ्ट हिंदुत्व के मुद्दे पर हो रही है. सांप्रदायिकता विरोधी राजनीति करने वाले दलों की संख्या अधिक है. ऐसे में आम आदमी पार्टी को सांप्रदायिकता विरोधी राजनीति में अपनी जगह नहीं दिखाई देती है. इसलिए उसने अब राष्ट्रवाद और साफ्ट हिंदुत्व के रास्ते पर आगे बढ़ने का फैसला किया है. उत्तर प्रदेश के शहरों में तिरंगा यात्रा और बुजुर्गों को अयोध्या की मुफ्त यात्रा कराने का वादा करने इसी दिशा में उठाया गया कदम है. वह खुद को बीजेपी के विकल्प के रूप में पेश कर रही है.
बिजली-पानी बनाम साफ्ट हिंदुत्व
भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के कोख से पैदा हुई आदमी पार्टी ने बिजली-पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दे पर चुनाव लड़कर दिल्ली में सरकार बनाई. लेकिन यूपी पहुंचते ही उसे राम याद आने लगते हैं. दरअसल यूपी जैसे बड़े राज्य में बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य कभी चुनावी मुद्दा नहीं बन पाया. वहां धर्म और जाति के आधार पर ही चुनाव लड़ा और जीता जाता है. आप भी उसी रास्ते पर चलती नजर आ रही है.
आप पहली बार उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के चुनाव में अगले साल उतरेगी. वहीं 2017 का चुनाव वह पंजाब और गोवा में लड़ चुकी है. पंजाब की 117 सदस्यों वाली विधानसभा में उसने 112 सीटों पर चुनाव लड़ा था. उसे 20 सीटों पर जीत मिली थी और 28 पर जमानत जब्त हो गई थी. आप को पंजाब में 24.62 फीसदी वोट मिले थे. वहीं गोवा की 40 सदस्यों वाली विधानसभा में आप ने 39 पर चुनाव लड़ा था. उसे हर सीट पर हार मिली थी. लेकिन आप 6.45 फीसदी वोट हासिल करने में कामयाब रही थी.
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