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भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अहम किरदार निभाने वाले और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय (Madan Mohan Malaviya) का निधन आज ही दिन हुआ था. उनकी 75वीं पुण्यतिथी पर देश उनको याद कर रहा है. अपने जीवन में मदन मोहन मालवीय ने स्वतंत्रता सेनानी, पत्रकार, समाज सुधारक के साथ-साथ वकील की भी जिम्मेदारी निभाई.
इलाहाबाद में हुआ जन्म
महानमा कहे जाने वाले पंडित मदन मोहन मालवीय का जन्म प्रयागराज ( उस समय इलाहाबाद) के एक आम परिवार में 25 दिसंबर 1861 को हुआ था. उनके पिता का नाम ब्रजनाथ और मां का नाम भूनादेवी था. मोहन मालवीय ने शुरुआती शिक्षा इलाहबाद में की और इसके बाद कलकत्ता की यूनिवर्सिटी से BA की डिग्री हासिल की. वे कविता लिखने के शौकीन थे. कानूनी शिक्षा हासिल करने के बाद उन्होंने दो साल के अंदर ही हाई कोर्ट में वकालत शुरू कर दी थी.
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने महामना को याद करते हुए श्रद्धांजलि दी है.
स्वतंत्रता सेनानियों का लड़ा केस
भारत रत्न पाने वाले मदन मोहन मालवीय ने साल 1911 में वकालत छोड़कर समाज सेवा शुरू कर दी. हालांकि उन्होंने चौरा चौरी कांड में गिरफ्तार किए गए 177 स्वतंत्रता सेनानियों के लिए केस में वकालत की और उनमें से 156 को रिहा करवाया. इनमें सभी आरोपियों को मौत की सजा सुनाई गई थी.
कई साल रहे कांग्रेस अध्यक्ष
पंडित मदन मोहन मालवीय साल 1909, 1918, 1932 और 1933 में कांग्रेस अध्यक्ष पद पर रहे. वे नरमपंथी नेता के रूप में जाने जाते थे. सन 1889 में इंडिया ओपिनियन दैनिक अंग्रेजी शुरू करने के बाद मालवीय 1907 से दो साल तक हिंदी साप्ताहिक अभ्युदय के एडिटर रहे.
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