उत्तर प्रदेश

BJP में शामिल हो सकते हैं समाजवादी पार्टी के 17 विधायक, पार्टी ने तैयार किया ये सीक्रेट प्लान

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UP Assembly Election 2022: यूपी विधानसभा चुनाव को जीतने के लिए अमित शाह ने एक प्लान तैयार किया है. वह सीक्रेट प्लान बीजेपी का पुराना आजमाया हुआ फॉर्मूला है और उसी फॉर्मूले ने बीजेपी को बीते 7 सालों में हर चुनाव में जीत दिलाई है. एक बार फिर उसी रणनीति के तहत बीजेपी ने 2022 का चुनाव जीतने की अपनी सियासी बिसात बिछा दी है.

बीते 7 सालों में उत्तर प्रदेश में 2 लोकसभा के और 1 विधानसभा के चुनाव हो चुके हैं हर चुनाव में बीजेपी ने बंपर जीत हासिल की है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक बार फिर जब 2022 के चुनाव करीब आ गए हैं तो उत्तर प्रदेश की सारी कमान अपने हाथ में ले ली है. वाराणसी में जब पार्टी की अब तक की सबसे बड़ी बैठक को उन्होंने संबोधित किया तो साफ तौर पर अपने उसी फॉर्मूले को आजमाने के लिए कार्यकर्ताओं को निर्देशित किया जिसके बलबूते वह लगातार जीतते चले आ रहे हैं. जो रणनीति 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपनाई उसने बीजेपी को पहले लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक बहुमत दिलाया फिर उसी फॉर्मूले पर चलते हुए बीजेपी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में अब तक की सबसे बड़ी और ऐतिहासिक जीत हासिल की. जब 2019 के लोकसभा चुनाव आए और सपा-बसपा का गठबंधन हो गया तब भी ये कहा गया कि शायद बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी लेकिन अनुमानों को धता बताते हुए बीजेपी ने एक बार फिर लोकसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल की, और इसके पीछे भी बीजेपी की वही सीक्रेट प्लान काम आया.

बीजेपी का ये है सीक्रेट प्लान

दरअसल, बीजेपी का वो सीक्रेट प्लान है दूसरे दलों में सेंधमारी कर जीत का माद्दा रखने वाले विधायकों, पूर्व विधायकों पूर्व सांसदों को अपनी पार्टी में शामिल करा लेना. जब 2014 के लोकसभा चुनाव देश में हो रहे थे उससे पहले भी बीजेपी ने यही रणनीति अपनाई थी. कांग्रेस के तमाम बड़े दिग्गज बीजेपी में शामिल हुए थे और जब बारी उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव की आई तो भी बीजेपी ने इसी फॉर्मूले को अपनाया बीएसपी कांग्रेस सपा में जबरदस्त सेंधमारी की. अगर आप उन नामों पर गौर करेंगे तो आपको साफ तौर पर समझ में आ जाएगा कि बीजेपी का वह फॉर्मूला कितना हिट रहा. 2014 में जहां बसपा के राज्यसभा सदस्य रहे एस पी सिंह बघेल ने बीजेपी जॉइन की तो वहीं 2015 में बसपा के कद्दावर नेता दारा सिंह चौहान, राज्यसभा के सदस्य रहे जुगल किशोर, यूपी में बसपा सरकार में मंत्री रहे फतेह बहादुर सिंह शामिल हुए, तो वहीं कांग्रेस का बड़ा नाम रहे अवतार सिंह भड़ाना भी बीजेपी में शामिल हुए थे.

फिर उसके बाद अगर 2016 की बात करें तो फिर बसपा से चाहे बृजेश पाठक हों, स्वामी प्रसाद मौर्या हो, भगवती सागर हों, ममतेश शाक्य हों, रोशनलाल हों, रोमी साहनी हों, रजनी तिवारी, राजेश त्रिपाठी, या फिर समाजवादी पार्टी से अनिल राजभर, कुलदीप सिंह सेंगर रहे हो या अशोक बाजपेई हों वो बीजेपी में शामिल हुए थे. जबकि कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी भी बीजेपी में 2017 के चुनाव से पहले शामिल हुई थी. इनके साथ आने का फायदा बीजेपी को विधानसभा चुनाव में मिला और बीजेपी ऐतिहासिक बहुमत के साथ सत्ता में आई. जबकि 2018 में सपा के कद्दावर नेता नरेश अग्रवाल बीजेपी में शामिल हुए. वहीं अगर 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो बसपा में मंत्री रहे वेदराम भाटी, आरएलडी की पूर्व सांसद सारिका बघेल बीजेपी में शामिल हुईं. जिसका फायदा बीजेपी को 2019 के लोकसभा चुनाव में भी मिला. सपा बसपा गठबंधन होने के बावजूद बीजेपी ने सहयोगियों के साथ 64 सीटें लोकसभा की जीत ली.

बीजेपी की कोशिश समाजवादी पार्टी में सेंधमारी की

2022 के चुनाव के लिए भी बीजेपी के चाणक्य अमित शाह ने कुछ ऐसी ही रणनीति तैयार की है. लेकिन इस बार उनकी कोशिश समाजवादी पार्टी में सेंधमारी की है और इसके संकेत भी हाल ही में समाजवादी पार्टी के विधायक सुभाष पासी के बीजेपी ज्वाइन करने के साथ ही मिलने भी लगे हैं. सूत्रों की मानें तो लगभग 17 के आसपास समाजवादी पार्टी के विधायक बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर सकते हैं, इसकी तस्दीक खुद ज्वाइनिंग कमेटी के मेंबर और यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने एबीपी गंगा पर की थी.

विधानसभा चुनाव से पहले तमाम दलों के नेता बीजेपी में आना चाहते हैं, लगातार पार्टी में दूसरे दलों के नेताओं की जॉइनिंग भी हो रही है लेकिन कुछ नेताओं की जॉइनिंग को लेकर सवाल भी खड़े हुए जिनमें बसपा के जितेंद्र सिंह बबलू की जॉइनिंग को लेकर तो काफी बखेड़ा खड़ा हो गया था, बात यहां तक पहुंची की पार्टी की सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने इस पर अपनी नाराजगी व्यक्त कर दी थी और बाद में जितेंद्र सिंह बबलू का निष्कासन किया गया. इसके अलावा संत कबीर नगर के एक समाजसेवी वैभव चतुर्वेदी की जॉइनिंग पर भी सवाल खड़े हुए थे. ऐसी किसी भी स्थिति से बचने के लिए अब पार्टी ने ज्वाइनिंग कमेटी का गठन किया है जिसका अध्यक्ष पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेई को बनाया है. प्रदेश के दोनों उपमुख्यमंत्री इस जॉइनिंग कमेटी के सदस्य हैं. इसके अलावा पार्टी पदाधिकारी दयाशंकर सिंह भी इस जॉइनिंग कमेटी में है. लक्ष्मीकांत बाजपेई का साफ तौर पर कहना है कि तमाम सारे दलों के नेता बीजेपी में आना चाहते हैं लेकिन वो साफ छवि के हो उन पर कोई आरोप ना हो इन सारी चीजों को देखने के लिए ही इस जॉइनिंग कमेटी का गठन हुआ है जो पार्टी ज्वाइन करने वाले नेताओं की स्क्रीनिंग करेगी. समाजवादी पार्टी के विधायकों के बीजेपी ज्वाइन करने के सवाल पर वह कहते हैं कि इस बात की उन्हें जानकारी नहीं है कि कौन कौन आना चाहता है क्योंकि वो तो उनके नाम की स्क्रीनिंग करके पार्टी में आगे बढ़ा देंगे बाकी जो फैसला है वह पार्टी नेतृत्व करेगा.

बीजेपी का यह टेस्टेड फॉर्मूला रहा है

चुनाव से पहले बीजेपी की कोशिश है कि उन दलों में सेंधमारी की जाए जिनके नेताओं का अपने क्षेत्र में अच्छा प्रभाव है. यह उसका टेस्टेड फॉर्मूला भी रहा है. और इसीलिए 2022 के चुनाव में बीजेपी अपने टेस्टेड फॉर्मूले को एक बार फिर आजमाने में जुटी है. लेकिन इस बार उसके टारगेट पर समाजवादी पार्टी और उसके नेता हैं, क्योंकि पार्टी का लक्ष्य विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करना है फिर अपना उम्मीदवार अपना हो या फिर किसी दूसरे दल से आया हुआ ही क्यों ना हो.

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