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महापौर, लखनऊ ने ‘अब मेरी बारी’ बस यात्रा के उत्तर प्रदेश चरण को दिखायी हरी झंडी

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लखनऊ, : श्रीमती संयुक्ता भाटिया, माननीय महापौर, लखनऊ ने ‘अब मेरी बारी’ के उत्तर प्रदेश चरण को आज हरी झंडी दिखाकर रवाना किया| ‘अब मेरी बारी’ लड़कियों के नेतृत्व वाली एक राष्ट्रीय पहल है, जिसमें बस यात्रा के जरिये झारखण्ड, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की 300 से अधिक गर्ल चैंपियंस जुड़ी हैं| ये बस यात्रा झारखंड के गुमला से 21 सितंबर को शुरू हुई थी और सिमडेगा व रांची होते हुए अब ये उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ पंहुची है जहां से आज इस यात्रा का दूसरा चरण शुरू हुआ है।
बस यात्रा के जरिये ये गर्ल चैंपियंस सरकारी योजनाओं में मौजूद कमियों की ओर सरकारी अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश कर रही हैं और देश की की समस्त किशोरियों के लिये बेहतर यौन और प्रजनन स्वास्थ्य अधिकार (सेक्सुएल एंड रिप्रोडक्टिव हेल्थ राइट्स), शिक्षा, पोषण और सुरक्षा की मांग कर रही है ताकि टीनएज प्रेगनेंसी, शिक्षा में रूकावट, जल्दी शादी या बाल विवाह, लड़कियों के ऊपर होने वाली हिंसा और यौन शोषण जैसे मुद्दों को को रोका जा सके|
राजधानी लखनऊ में बस यात्रा के दूसरे चरण के मौके पर ‘अब मेरी बारी’ बस यात्रा टीम ने ने बाल विवाह, टीनएज प्रेगनेंसी, उचित यौन और प्रजनन स्वास्थ्य सेवा (सेक्सुएल एंड रिप्रोडक्टिव हेल्थ सर्विसेज) जैसे मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने के लिये एक कार्यक्रम का आयोजन किया जिसका उद्घघाटन श्रीमती संयुक्ता भाटिया, माननीय महापौर, लखनऊ, उत्तर प्रदेश ने किया।
बस को रवाना करने से पहले श्रीमती संयुक्ता भाटिया, माननीया मेयर, लखनऊ ने इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया। अपने उद्घाटन भाषण में श्रीमती भाटिया ने कहा कि उन्हें ‘अब मेरी बारी’ बस यात्रा के उत्तर प्रदेश चरण को हरी झंडी दिखाते हुए बहुत खुशी हो रही है। “इस बस से देश की विभिन्न भागों से आयीं किशोरियां जुड़ी हैं और उनके लिये हमारे देश में किशोर-किशोरियों के लिये कई कार्यक्रम चलाये जाते हैं, जिनमें ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ और ‘राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम’ प्रमुख हैं। ये कार्यक्रम किशोरियों को समुचित जानकारी देते हैं और उन्हें आगे बढ़ने में मदद करते हैं ताकि किशोरियां जीवन में आगे बढ़ सकें और लगातार तरक्की कर सकें। ‘अब मेरी बारी’ अभियान और बस यात्रा से उत्तर प्रदेश के किशोर-किशोरियों को यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य (सेक्सुअल एंड रिप्रोटक्टिव हेल्थ), पोषण, टीनएज प्रेगनेंसी, बालविवाह जैसे मुद्दों पर अपनी जानकारी और अनुभव बढ़ाने का मौका मिलेगा। मुझे पूरी उम्मीद है कि उत्तर प्रदेश की लड़कियां समाज में बदलाव ला कर रहेंगी और लगातार सक्रिय भूमिका निभाती रहेंगी।“
संगीत नाटक अकादमी में आयोजित इस कार्यक्रम में कई सारे सामाजिक और गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों, छात्र-छात्राओं और कई अन्य लोगों ने भी हिस्सा लिया।
“लड़कियों को शादी, प्रजनन और उनके जीवन के बारे में अपने स्वयं के उचित निर्णय लेने के लिए, यह आवश्यक है कि वे स्कूल जाएं, उन्हें यौन और प्रजनन स्वास्थ्य (सेक्सुएल एंड रिप्रोडक्टिव हेल्थ) के बारे में पर्याप्त जानकारी प्रदान की जाए, और सरकारी सेवाएं उनतक पहुंचे। इससे बाल विवाह और टीनएज प्रेगनेंसी को रोक पाना संभव हो सकेगा और लड़कियों एवं युवा महिलाओं को सशक्त बनाया जा सकेगा,” माई लाइफ, मेरे फैसले’ से जुड़ी एक किशोरी प्रांजलि शर्मा ने कहा।
‘अब मेरी बारी’ बस यात्रा एक ऐसे महत्वपूर्ण समय में उत्तर प्रदेश में पहुंची है, जब राज्य में टीनएज प्रेगनेंसी के मामलों को रोकने के लिए विभिन्न सामाजिक एवं गैर-सरकारी संगठन उचित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में टीनएज प्रेगनेंसी की दर 3.8% है | राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 (नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 यानीएनएफएचएस-4) के आंकड़ों का जनगणना, 2011 से मिलान और विश्लेषण करने पर पता चलता है कि संख्यात्मक आधार पर भारत में टीनएज प्रेगनेंसी एवं कम उम्र की महिलाओं में मातृत्व के तकरीबन 44.67 लाख केसेज होने का अनुमान है, जबकि उत्तर प्रदेश में ऐसे 4.08 लाख मामलों के होने का अनुमान है। यानी कि देश की हर दसवीं टीनएज प्रेगनेंट लड़की उत्तर प्रदेश में रहती है।
बहराइच (9.9%), एटा (9.2%), बदायूँ (8.9%), मथुरा (8.7%), ललितपुर (8.6%), महामाया नगर (8.6%), चित्रकूट (8.2%), सीतापुर (7.3%), कांशीराम नागर (7.1%) और श्रावस्ती (7%) 10 ऐसे जनपद हैं, जहां एनएफएचएस-4 के मुताबिक टीनएज प्रेगनेंसी के मामले सबसे ज्यादा पाये गये हैं। एनएफएएचएस के आंकड़े ये भी दर्शाते हैं कि उत्तर प्रदेश में कानूनी उम्र से पहले किशोरियों की शादी यानी बालविवाह की दर 21.2% है जो देश के लिये दर्ज की गई बाल विवाह की दर – 11.9% – से लगभग दोगुनी है। टीनएज में मां बनने या 18 वर्ष से पहले लड़कियों की शादी कर देने से उनके आगे बढ़ने के अवसर लगभग खत्म हो जाते हैं और कमउम्र में मां बनने से उन्हें कई तरह की मुश्किलें, जैसे कि प्रसव के दौरान मृत्यु, कुपोषण, बच्चों के पालन-पोषण से जुड़ी जानकारियों का अभाव, घरेलू हिंसा वगैरह का भी सामना करना पड़ता है। किशोरी मां से पैदा हुए बच्चों पर भी मृत्यु का खतरा ज्यादा होता है।
‘अब मेरी बारी’ बस यात्रा की शुरूआत 21 सितंबर को गुमला, झारखंड से शुरू हुई और अपने पहले चरण में यह बस सिमडेगा और रांची से होकर गुजरी। अपने दूसरे चरण में आज यह बस उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के विभिन्न हिस्सों से होते हुए सीतापुर जाएगी और वहां से प्रदेश के कई हिस्सों को पार करते हुए राजस्थान की ओर बढ़ेगी।, जहां 4 अक्टूबर को जयपुर में इस यात्रा का समापन होगा। इस दौरान किशोरियों के जीवन में मौजूद समस्याओं और चुनौतियों के बारे में यह जागरूकता बढ़ाने का काम यह बस करेगी।
गुमला, जहां यह बस यात्रा शुरू हुई, वहीं लगभग 60 गर्ल चैंपियंस ने सरकार के स्थानीय प्रतिनिधियों, गैर-सरकारी संगठनों और समुदाय के गणमान्य व्यक्तियों से बात की और अपने विचार और मुद्दे उनके समक्ष रखे| इस कार्यक्रम में 100 से अधिक लोगों ने भाग लिया। गुमला से बस सिमडेगा जिला होते हुए रांची पहुंची|
अब मेरी बारी के यंग एम्पलिफायर्स और स्थानीय ‘मेरी लाइफ, मेरे फैसले’ से सम्बंधित लड़कियों ने मिलकर झारखण्ड, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के किशोर-किशोरियों से जुड़े मुद्दों और समस्याओं पर चर्चा की| टीनएज प्रेगनेंसी, बाल विवाह, यौन और प्रजनन स्वास्थ्य अधिकारों (एसआरएचआर) का उन तक नहीं पहुंच पाना और राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यकम (आरकेएसके) में सुधार उनकी चर्चा के सामान्य विषय थे।
इन किशोरियों द्वारा दिये गये कुछ सुझाव निम्नलिखित हैं:
1. किशोरियों को अनुकूल स्वास्थ्य क्लीनिकों (एडोलेसेंट फ्रेडली हेल्थ क्लीनिक) में उपलब्ध गर्भनिरोधक, परामर्श सेवाओं और अन्य दवाओं के बारे में उचित जानकारी दें|
2. बाल विवाह का मुकाबला करने के लिए किशोर-किशोरियों से खुल कर बात करें |
3. किशोर-किशोरियों को ग्राम स्तरीय बाल संरक्षण समिति (वीएलपीसीसी) को आकार देने में भूमिका निभाने का मौका दें |

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