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UP Assembly Election 2022: उत्तर भारत समेत यूपी के ज्यादातर इलाकों में ठंड ने दस्तक दे दी है. लेकिन चुनाव की वजह से यूपी में सियासी पारा काफी गर्म है. हर दिन सियासी दलों के लोग अलग-अलग जिलों में जनसभाएं कर वोटरों को रिझाने में जुटे हैं. इसी कड़ी में आज एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बाराबंकी में शोषित वंचित सम्मेलन किया. सम्मेलन में जाने से पहले ओवैसी ने लखनऊ में एबीपी गंगा से एक्सक्लूसिव बातचीत की. बातचीत के दौरान एआईएमआईएम सांसद ने अखिलेश यादव, ओम प्रकाश राजभर और केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. साथ ही उन्होंने ये भी साफ कर दिया कि उनकी पार्टी यूपी में विधानसभा की 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी.
असदुद्दीन ओवैसी ने राजभर पर शायराना अंदाज में कसा तंज
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ओमप्रकाश राजभर के साथ छोड़ने पर कहा कि लोग आते हैं और जाते हैं. उन्होंने कहा कि मैं अकेला ही चला था जानिबे मंजिल मगर लोग साथ आते गए कारवां बनता गया. ओवैसी ने साफ तौर पर कहा कि 2017 में उनकी पार्टी ने जब यूपी में पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा था तब से लेकर इन 5 वर्षों में आज काफी बदलाव हुआ है. 5 साल पहले उनकी पार्टी की जो पोजीशन थी आज उससे काफी ज्यादा बेहतर स्थिति है. इसीलिए इस बार उनकी पार्टी ने तय किया है कि 100 सीटों पर विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने कहा कि इस बार उन्हें पूरी उम्मीद है कि रिजल्ट बेहतर आएगा.
अखिलेश यादव और ओमप्रकाश राजभर के साथ आने पर ओवैसी ने साफ तौर पर कहा कि 2017 के यूपी चुनाव में क्या नतीजा रहा सबको मालूम है. 2019 में अखिलेश यादव हाथी पर बैठ गए लेकिन उसका भी क्या परिणाम सामने आया सब जानते हैं. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव सारे एक्सपेरिमेंट कर चुके हैं और रंग की बात करते हैं. उनका तो हर चुनाव में अलग रंग होता है. ओवैसी ने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि 2019 में 75 फीसदी मुसलमानों ने समाजवादी पार्टी को वोट किया फिर भी सपा बसपा से मिलकर केवल 15 सीट जीत पाए. इतना ही नहीं अखिलेश यादव के परिवार में 3 लोग चुनाव हार गए.
एबीपी गंगा ने जब असदुद्दीन ओवैसी से जानना चाहा कि आखिर चुनाव में क्या उनका किसी के साथ गठबंधन होगा तो ओवैसी ने साफ तौर पर कहा कि यूपी में किसके साथ गठबंधन होगा ये अभी तय नहीं है. कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के बाद बीजेपी के तमाम नेताओं की ओर से आ रहे बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए ओवैसी ने साफ तौर पर कहा कि अगर कृषि बिल फिर लागू होते हैं तो देश में पहले से भी ज्यादा बड़ा आंदोलन होगा. कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक कई जगह सिंधु बॉर्डर जैसा आंदोलन देखने को मिलेगा. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि पीएम को अपनी इमेज नैरेटिव की बहुत फिक्र रहती है.
कृषि कानून की वापसी को पीएम के परसेप्शन से जोड़ा
दरअसल कृषि कानून बिल को लेकर हो रहे आंदोलन से उनका परसेप्शन खराब हो रहा था और साथ ही साथ उन्हें यह भी अनुमान था कि चुनाव में इसका सियासी नुकसान उठाना पड़ेग. इसीलिए मजबूरी में इस कानून को वापस लेने का ऐलान किया है. ओवैसी ने स्पष्ट किया कि सीएए और एनआरसी भी असंवैधानिक है और उसे भी सरकार को वापस लेना चाहिए. साथ ही ये भी कहा कि अब इसे लेकर भी आंदोलन देश में शुरू हो सकते हैं. लखीमपुर की घटना का जिक्र करते ओवैसी ने कहा कि दरअसल केंद्रीय गृहराज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी को मन्त्रीमंडल से पीएम इसलिए नहीं हटा रहे हैं क्योंकि अपर कास्ट का वोट चाहिए.
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