उत्तर प्रदेश

जानें, कौन थीं झांसी की झलकारी बाई, जिसने रानी लक्ष्मीबाई बनकर अंग्रेजों को दिया था चमका

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Jhalkari Bai Birthday: आप बार-बार झाँसी की रानी की बहादुरी के किस्से सुनते रहते होंगे. लेकिन शायद ही आपने इस दौरान झलकारी बाई का नाम सुना होगा. इनका नाम इतिहास के किताबों में नहीं मिलता है. लेकिन ऐसा कहा जाता है कि झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के साथ कंधे से कंधा मिलाकर झलकारी बाई भी अंग्रेज़ों से लड़ीं थीं.

जानें, कौन थीं झलकारी बाई?

झलकारी बाई का जन्म 22 नवंबर 1830 को झांसी के भोजला गाँव में एक दलित परिवार में हुआ था और बाई अपने माता-पिता की इकलौती संतान थीं. झलकारी बाई की माता का उनके बचपन में ही निधन हो गया था. इनका परिवार पेशे से बुनकर था. गरीबी की वजह से झलकारी बाई स्कूली शिक्षा हासिल नहीं कर पाईं लेकिन उन्होंने बचपन में ही हथियार चलाना और घुड़सवारी सीख ली थी.

कहा जाता है कि एक बार उनके गांव में एक व्यापारी के घर डाकू आ गए थे, तब झलकारी बाई ने अकेले ही उन डाकुओं को भागने पर मजबूर कर दिया था. वहीं एक बार जंगल में शेर ने उन पर हमला किया तो उन्होंने अकेले ही कुल्हाड़ी से शेर को मार डाला था.

रानी लक्ष्मीबाई से कैसे हुई मुलाकात?

इतिहासकारों के मुताबिक झलकारी बाई झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के क़िले के सामने रहती थीं. झलकारी बाई की शादी पूरन सिंह के साथ हुई थी. पूरन सिंह रानी लक्ष्मीबाई की सेना के सिपाही थे और बड़े बहादुर माने जाते थे. कहा जाता है कि एक बार गौरी पूजा के अवसर पर झलकारी बाई, गांव की अन्य महिलाओं के साथ झांसी के किले में गईं थी. उसी दौरान रानी लक्ष्मीबाई की नजर उन पर पहली बार पड़ी थी. दरअसल झलकारी बाई का चेहरा रानी लक्ष्मीबाई से काफी मिलता जुलता था. यही वजह है कि रानी लक्ष्मीबाई ने झलकारी बाई को नोटिस किया और जब उन्हें पता चला कि झलकारी बाई उनकी सेना के एक सैनिक की पत्नी हैं तो रानी ने उनसे अलग से बातचीत की. जब रानी को झलकारी बाई की वीरता के बारे में पता चला तो उन्होंने तुरंत ही उन्हें अपनी सेना की महिला टुकड़ी में शामिल कर लिया.

साल 1857 में जब रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के खिलाफ हुंकार भरी तो अंग्रेजों ने झांसी पर हमला कर दिया. रानी लक्ष्मीबाई और उनकी पूरी सेना पूरी वीरता से लड़ी लेकिन अपने ही एक कमांडर के धोखे की वजह से ही उन्हें हार का सामना करना पड़ा और युद्ध का मैदान छोड़ना पड़ा. इसके बाद झलकारी बाई ने अंग्रेजों को युद्ध के मैदान में उलझाए रखने के लिए रानी लक्ष्मीबाई की तरह वेश धरकर अंग्रेजों के सामने यह कहकर आत्मसमर्पण किया कि वह रानी लक्ष्मीबाई हैं. हालांकि कुछ ही देर बाद अंग्रेज हकीकत जान गए और झलकारी बाई को गिरफ्तार कर लिया गया.

झलकारी बाई की कैसे हुई मृत्यु?

झलकारी बाई की मृत्यु को लेकर कई बातें कही जाती है. कुछ लोगों का मानना है कि 1858 को ही उनका निधन हो गया था. वहीं कुछ लोग मानते हैं कि अंग्रेजों ने उन्हें छोड़ दिया था और उसके कई साल बाद 1890 में उनका निधन हुआ. साल 2001 में झलकारी बाई की ग्वालियर में प्रतिमा स्थापित की गई. साथ ही सरकार ने झलकारी बाई के सम्मान में एक डाक टिकट भी जारी किया था. आज उनके जन्मदिन पर लोग याद कर रहे हैं.

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