उत्तर प्रदेश

Uttarakhand News: आखिर किसने बचाई जिम कॉर्बेट के निदेशक की कुर्सी? जानिए पूरा खेल

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Dehradun News: एक दिन पहले राज्य सरकार द्वारा किए गए भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के अफसरों के तबादले कई सवाल छोड़कर गए. इन तबादलों को अफसरों के खिलाफ लिए गए एक्शन के रूप में प्रचारित करने की बहुत कोशिश हुई, लेकिन सारी मेहनत उस समय बेकार गई जब गंभीर आरोपों की जांच झेल रहे कई अफसर इस लिस्ट में प्राइम पोस्टिंग पाने में कामयाब रहे.

‘सरकार के फैसले पर खड़े हुए सवाल’
अनऑफिशियल तरीके से मीडिया में इस बात को प्रचारित करवाया गया कि पीसीसीएफ राजीव भरतरी और डीएफओ कालागढ़ किशनचंद को जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के अंदर हुई गड़बड़ी का खामियाजा भुगतना पड़ा, लेकिन पार्क के निदेशक राहुल कुमार की कुर्सी डगमगानी तो दूर, हिली भी नहीं और यही बात सरकार के फैसले पर सवाल खड़े कर गई.

दरअसल मौजूदा सरकार में खासतौर पर अफसरों की पोस्टिंग को लेकर कई बार बड़े हैरान करने वाले फैसले सामने आए. एक दिन पहले आईएफएस अफसरों के ट्रांसफर लिस्ट पर गौर किया जाए तो वन विभाग के मुखिया राजीव भरतरी को बीच में ही हटा दिया, यह सामान्य फैसला नहीं था बल्कि पहली बार हुआ जब किसी पीसीसीएफ (हॉफ) को समय से पहले हटा दिया गया, चूंकि यह विभाग की सर्वोच्च पोस्ट है इसलिए अमूमन तौर जब तक कोई बहुत गंभीर आरोप न लग जाएं तब तक पीसीसीएफ हटाए नहीं जाते हैं. लेकिन अनऑफिशियली यह बताया जाता रहा कि जिम कॉर्बेट में कार्यों की गड़बड़ी के चलते हटा दिया गया है. एक डीएफओ किशन चंद को भी इसी वजह से पीसीसीएफ मुख्यालय से सम्बद्ध कर दिया गया. 

गड़बड़ी हुई है तो कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
जब महकमे के मुखिया और एक अन्य आईएफएस को हटा दिया गया तो फिर पार्क के निदेशक की कुर्सी क्यों नहीं गई. गंभीर आरोपों की जांच का सामना कर रहे अशोक गुप्ता को शिवालिक वृत्त के संरक्षक और डी.थिरूज्ञानसंबदन को हरिद्वार का डीएफओ बनाया जाना इस तबदला सूची की मारक क्षमता को कम कर देता है. इन सभी मामलों में वन मंत्री हरक सिंह रावत कुछ और ही कहते है. उनका कहना है कि पीसीसीएफ को हटाने के पीछे जिम कॉर्बेट में हुई गड़बड़ी नहीं है, वह वाइल्ड लाइफ से बाहर निकलकर विभाग को टीम की तरह लेकर चलने में असफल रहे. 

गंभीर आरोपों की जांच सरकार के लिए गंभीर बात नहीं!
शहरी विकास मंत्री बंशीधर भगत ने 20 सितंबर को गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के आरोपी को उसी स्थान पर दोबारा पोस्टिंग दी, जहां उसने गड़बड़ी की थी. 20 जुलाई को रुड़की से जिस सहायक नगर आयुक्त चंद्रकांत भट्ट को शहरी विकास निदेशालय से अटैच करके निलंबित किया था उसे आनन फानन में बहाल कर उसी निगम में उसी पद पर तैनाती दे दी गई, जहां से गंभीर आरोपों के चलते हटाया गया था. भट्ट की एक जांच निदेशालय स्तर से हो रही है और एक जिलाधिकारी हरिद्वार कर रहे हैं. लेकिन उसकी ताजपोशी उसी जगह करने के निर्णय ने भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार मिटाने के दावों की कलई खोल कर रख दी. 

गन्ना मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद ने 24 सितंबर को आरके सेठ नाम के अफसर को सितारगंज चीनी मिल का महाप्रबंधक बना दिया. सेठ के खिलाफ नादेही चीनी मिल में मुख्य अभियंता रहते जून माह में कार्रवाई हुई थी, इन पर 2016-18 के बीच चीनी चोरी घोटाले का आरोप था. विशेष ऑडिट रिपोर्ट में भी करोड़ों की गड़बड़ी के आरोप इन पर लगे थे. तत्कालीन गन्ना सचिव चंद्रेश यादव इस पूरे मामले की जांच कर रहे थे. 

‘भ्रष्टाचारी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा’
विभागीय मंत्री यतीश्वरानंद ने उस वक्त तुरंत कार्रवाई कर आरके सेठ को तत्काल प्रभाव से पद से हटा दिया था और सस्पेंड करते वक्त कहा था किसी भी भ्रष्टाचारी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा चाहे वह किसी प्राइवेट चीनी मिल में काम करता हो या फिर सरकारी पद पर तैनात हो. और चाहे वह कितना भी बड़ा अधिकारी क्यों न हो. और फिर बहाल करके प्राइम पोस्टिंग देते वक़्त कहा कि उनके पास कोई अफसर नहीं है, इसलिए सेठ को महाप्रबंधक के पद पर लाया गया है. ताकि गन्ना विभाग में काम अच्छे से किया जा सके. जांच रिपोर्ट में आरोप साबित हुए तो कार्रवाई कर देंगे.

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